राजस्थान की 9 प्रयोगशालाएं अब अंतरराष्ट्रीय मानकों पर, पर्यावरण जांच रिपोर्ट होगी विश्व के 120 देशों में मान्य
Rajasthan News : राजस्थान अंतरराष्ट्रीय फलक पर एक और अनूठी छाप छोड़ने जा रहा है। राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल की सभी प्रयोगशालाओं में वायु, जल, ध्वनि और मिट्टी की जांच अब अंतरराष्ट्रीय मानकों के मुताबिक होगी। इसके लिए मंडल अपनी प्रयोगशालाओं को अंतरराष्ट्रीय मानकों (आइएसओ/आइईसी 17025:2017) के अनुसार अपडेट कर रहा है। अपडेशन के बाद इन प्रयोगशालाओं में की गई पर्यावरण जांच रिपोर्ट भारत सहित विश्व के 120 देशों में मान्य होगी।
9 प्रयोगशालाएं अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरी उतरी
जयपुर स्थित राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल की केंद्रीय प्रयोगशाला सहित 9 प्रयोगशालाएं अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरी उतरी हैं। इनमें केंद्रीय प्रयोगशाला जयपुर, क्षेत्रीय प्रयोगशाला भिवाड़ी, सीकर, उदयपुर, किशनगढ़, अलवर, कोटा, चित्तौड़गढ़ और भीलवाड़ा शामिल हैं। जबकि 5 अन्य की प्रमाणीकरण के लिए टेस्टिंग चल रही है। अगले माह नेशनल एक्रीडिटेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लेबोरेटरीज (एनएबीएल) की टीम आएगी, इन प्रयोगशालाओं की गुणवत्ता की जांच करेगी। सबकुछ ठीक रहा और ये प्रयोगशालाएं भी अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप खरी उतरी तो अगस्त तक इन्हें भी एनएबीएल सर्टिफिकेट मिल जाएंगे। इनमें भरतपुर लैब सहित बीकानेर, जोधपुर, पाली, बालोतरा की क्षेत्रीय प्रयोगशालाएं शामिल हैं।
एनएबीएल प्रमाण-पत्र मिलने का है इंतजार
एनएबीएल प्रमाण-पत्र मिलने के बाद ये प्रयोगशालाएं अंतरराष्ट्रीय मानक प्राप्त लैब हो जाएंगी। हालांकि इसके लिए प्रदूषण नियंत्रण मंडल को एनएबीएल के जरिए अंतरराष्ट्रीय प्रयोगशाला प्रत्ययन सहयोग (आइएलएसी) से अनुबंध करना होगा। राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने कवायद राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) के निर्देशों के बाद शुरू की है।
अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार मान्य हो जाएगी हमारी जांच रिपोर्ट
केंद्रीय प्रयोगशाला, जयपुर के अलावा 8 क्षेत्रीय लैब अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार प्रमाणित हैं। प्रदेश की 5 अन्य प्रयोगशालाएं भी अगस्त माह तक एनएबीएल से मान्यता प्राप्त हो जाएंगी। इसके बाद हमारी पर्यावरण जांच रिपोर्ट अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार मान्य हो जाएगी।
एस.पी.सिंह, सदस्य सचिव, राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल5
यह होगा फायदा…
1- प्रयोगशालाओं में जांच के परिणाम सटीक होंगे। इससे जांच की गुणवत्ता और पारदर्शिता में सुधार होगा।
2- जांच रिपोर्ट का रिकॉर्ड समुचित तरीके से संधारित हो पाएगा।
3- प्रयोगशालाओं में जांच की प्रक्रिया, नमूने एकत्र करने और उनके रखरखाव की प्रक्रिया बेहतर होगी।
4- वायु, जल, ध्वनि व मिट्टी प्रदूषण की सभी पैरामीटर्स के अनुरूप जांच होगी।