भारत भूषण विश्वकर्मा
7400794801

भाग - 01

बहुत पहले कभी बीमारू और पिछड़ा राज्य कहलाने वाले मध्यप्रदेश के दिन तब बदलना शुरू हो गए थे जब तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्गी राजा के दिग्विजयी अभियान को एक साध्वी ने रोक भाजपा की सरकार बना दी... हिंदुत्व का प्रखर चेहरा रहीं उमा भारती ने मध्यप्रदेश के नवनिर्माण की परिकल्पनाओं पर काम चालू कर दिया... दीगर बात है कि उमा भारती ज्यादा लंबे समय तक टिक नहीं सकीं और सत्ता की बागडोर भाजपा के वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं में शुमार रहे स्वर्गीय बाबूलाल गौर के हाथों में आ गई... भोपाल को दिल में बसाने वाले और भोपालियों के दिल में बसने वाले गौर ने भी मध्यप्रदेश को पटरी पर लाने के हर संभव प्रयास किए... तमाम जिम्मेदारियों को अनुभवी कंधों पर उठाकर चलने वाले बाबूलाल गौर की कार्यशैली युवाओं को भी अचंभित कर देने वाली रही... समय का पहिया अपनी दिशा में बढ़ता रहा और वो दिन भी आ गया जब जगत मामा शिवराज सिंह चौहान ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में अपनी पारी शुरू की... किसी विस्फोटक बल्लेबाज की भांति धुआंधार प्रदर्शन करते चौहान किसी भी मोर्चे पर कभी नहीं चूके... अपने देसी अंदाज और सहजता के लिए पहचाने जाने वाले शिवराज एक सफल मुख्यमंत्री से ज्यादा मामा और भाई के रूप में प्रसिद्ध होते गए... मध्यप्रदेश के साथ देश भर में जहां शिवराज सिंह चौहान की छवि परवान चढ़ रही थी वहीं प्रदेश की छवि भी अब विकासशील प्रदेश में तब्दील हो चुकी थी... मुख्यमंत्री के रूप में शिवराज ने हर वर्ग, आयु, समाज, धर्म के हितग्राहियों के लिए योजनाओं का पिटारा खोल दिया... सरल शब्दों में कहा जाए तो लब्बोलुआब यह कि स्वर्णिम मध्यप्रदेश की कल्पना को मूर्तरूप शिवराज सिंह चौहान ने दिया... 

लेकिन समय चक्र कहां रुकता है आज शिवराज सिंह चौहान केंद्रीय मंत्री हैं और मध्यप्रदेश की कमान संभाल रहे हैं डॉ मोहन यादव... शिवराज सरकार में मंत्री रहे डॉ मोहन यादव प्रदेश को उस शिखर पर ले जाने हेतु प्रतिबद्ध नजर आ रहे हैं जिसका सपना भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्रियों ने देखा था... हालांकि डॉ मोहन यादव के विषय में कभी शिवराज विरोधी होने की अफवाहें उड़ाई जाती हैं, तो कभी उनकी सख्ती पर सवाल उठाए जाते हैं... लेकिन संगठन के अखाड़े में पके मजबूत पहलवान मोहन यादव इन सब को अनदेखा कर लगातार नए कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं... विपक्षी और बाजार जो भी कहे लेकिन डॉ मोहन यादव की कार्यशैली में तीनों पूर्व मुख्यमंत्रियों की झलक और उनके शब्दों में सभी के प्रति सम्मान हमेशा देखने को मिलता है... प्रदेश को लेकर बड़ा विजन और अलग रोडमैप रखने वाले मोहन यादव का आज तक ऐसा कोई बयान सामने नहीं आया है जिसमें वे किसी भी सीनियर नेता पर कटाक्ष करते दिखाई देते हों... उनकी कार्यशैली में एक तरफ उमा भारती की तरह हिंदुत्व और मातृ संगठन के प्रति समर्पण नजर आता है, तो दूसरी ओर उनके निर्णय बाबूलाल गौर की भांति साहसी और आत्मविश्वासी दिखाई पड़ते हैं... वहीं जनता से सीधे जुड़ जाने की आदत और हमेशा मुस्कुराते हुए अभिवादन स्वीकार कर लेने की उदारता से शिवराज सिंह चौहान की याद आना स्वाभाविक है... 

दरअसल संघ की अनुशासित जीवनशैली मोहन यादव के सार्वजनिक जीवन में भी स्पष्ट रूप से दिखाई देती है, जिसके अनेकों उदाहरण प्रदेश वासियों के सामने मौजूद हैं... मध्यप्रदेश में भाजपा के प्रमुख चेहरे और पूर्व मुख्यमंत्री रहे तीन दिग्गजों के अनुभव हासिल कर स्वर्णिम मध्यप्रदेश की अलग तस्वीर बनाने वाले डॉ मोहन यादव के लिए इतना ही कहेंगे "आखिर क्यों न मोहे मोहन..."

दूसरे भाग में जल्द पढ़िए - "और कितना मोहोगे मोहन..."