केमिकल-वेपन फ्री देश बनने की कतार में अमेरिका.....
अमेरिकी सेना ने देश के रासायनिक हथियारों के सबसे बड़े भंडार को नष्ट करना शुरू कर दिया है और आज वो देश केमिकल हथियारों से मुक्त देश हो जाएगा। इन केमिकल हथियारों को नष्ट करना कोई आसान बात नहीं है। इन हथियारों को नष्ट करने के लिए काफी योजना और बजट की जरूरत पड़ी है। इन हथियारों को विनाश करने के दौरान एक छोटी-सी चूक भारी विनाश का कारण बन सकती है। गौरतलब है कि अमेरिका दशकों बाद इन हथियारों को नष्ट करने में कामयाब होगा।
1940 के दशक से संग्रहित वेपन होंगे नष्ट
हथियारों का विनाश रिचमंड, केंटुकी और प्यूब्लो, कोलोराडो के लिए एक बड़ा संकट है। अंतरराष्ट्रीय रासायनिक हथियार सम्मेलन के तहत अमेरिका को अपने बचे हुए रासायनिक हथियारों को खत्म करने के लिए 30 सितंबर तक का समय मांगा था। गौरतलब है कि अंतरराष्ट्रीय रासायनिक हथियार सम्मेलन की शुरुआत 1997 में हुई थी और अब तक इसमें 193 देश शामिल हुए। केंटुकी में नष्ट किए जा रहे केमिकल हथियारों में जीबी नर्व एजेंट वाले 51,000 एम55 रॉकेटों को भी नष्ट किया जा रहा है, जो 1940 के दशक से डिपो में संग्रहीत किए गए थे।
स्टेनलेस स्टील विस्फोट कक्ष में होंगे नष्ट
प्यूब्लो साइट पर श्रमिकों ने पुराने हथियारों को सावधानीपूर्वक और धीरे-धीरे कन्वेयर सिस्टम पर लोड करने के लिए भारी मशीनरी का उपयोग किया जा रहा है। तीन लेयर के एक स्टेनलेस स्टील विस्फोट कक्ष में इस केमिकल हथियारों को नष्ट करने का काम हो रहा है। फिलहाल, अमेरिका ने केमिकल हथियारों को नष्ट करने के लिए रोबोटिक मशीन का इस्तेमाल किया है। इन केमिकल हथियारों को कई हिस्सों में खोलकर और फिर धोकर 1500 डिग्री फारेनहाइट पर जलाया गया है। इन श्रमिकों की छोटी-सी भूल से इनकी देखने और सुनने की क्षमता पर असर पड़ सकता है। इसके साथ ही, त्वचा पर छाले और आंखों, नाक, गले तथा फेफड़ों में सूजन पैदा हो सकती है। डिफेंस डिपार्टमेंट को हथियार नष्ट करने में 3 लाख करोड़ रुपये का खर्च आया है, जो अनुमानित बजट से 2900 प्रतिशत ज्यादा है।
सैन्य इतिहास के एक अध्याय की होगी समाप्ति
कोलोराडो और केंटुकी स्थल यूटा और जॉन्सटन एटोल सहित कई स्थानों में देश के रासायनिक हथियारों को संग्रहित किया गया था और नष्ट किया गया। अन्य स्थानों में अलबामा, अर्कांसस और ओरेगन भी शामिल हैं। अमेरिकी अधिकारी सचिव किंग्स्टन रीफ ने कहा कि आखिरी अमेरिकी केमिकल हथियार का विनाश सैन्य इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय खत्म कर देगा, लेकिन फिर भी हम इन्हें खत्म करने के लिए बहुत उत्सुक हैं।
प्रथम विश्व युद्ध के दौरान हुआ इस्तेमाल
सैन्य विशेषज्ञों का कहना है कि युद्ध सामग्री को नष्ट करके, अमेरिका आधिकारिक तौर पर यह यह संदेश देना चाह रहा है कि अब युद्ध में इस प्रकार के हथियार स्वीकार्य नहीं हैं। यह संदेश खासकर उन देशों को दिया जा रहा है, जो इस समझौते में शामिल नहीं हुए हैं। इस केमिकल हथियारों को पहली बार प्रथम विश्व युद्ध में इस्तेमाल किया गया था। उस दौरान इसके प्रकोप से लगभग एक लाख से अधिक लोग मारे गए थे।
कुछ देशों ने अब भी समझौते पर नहीं किया हस्ताक्षर
गौरतलब है कि मिस्र, उत्तर कोरिया और दक्षिण सूडान ने केमिकल हथियारों को नष्ट करने वाली संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। वहीं, इजराइल ने संधि पर हस्ताक्षर किया है, लेकिन अब तक इसकी पुष्टि नहीं की है। अमेरिकी अधिकारी रीफ ने कहा कि इस बात की चिंता बनी हुई है कि सम्मेलन के कुछ दलों, जैसे रूस और सीरिया के पास अघोषित केमिकल हथियारों का भंडार है, फिर भी, हथियार नियंत्रण समर्थकों को उम्मीद है कि अमेरिका का यह अंतिम कदम शेष देशों को इसमें शामिल होने के लिए प्रेरित कर सकता है।
आखिर क्या होते हैं केमिकल हथियार
ऑर्गेनाइजेशन फॉर द प्रोहिबिशन ऑफ केमिकल वेपंस यानी OPCW के मुताबिक, केमिकल हथियार, ऐसे हथियार होते हैं, जिनमें जानबूझकर ऐसे केमिकल डाले जाते हैं, जिसके इस्तेमाल से लोगों को मारा या फिर आसानी से नुकसान पहुंचाया जा सकता है। रासायनिक हथियार को केमिकल वेपन भी कहते है। दरअसल, यह केमिकल हथियार बहुत ही घातक होते हैं, इसके जरिए लाखों, करोड़ों लोगों को एक बार में मौत के घाट उतारा जा सकता है।
इसके अलावा, यदि किसी को इन हथियारों से केवल लोगों को नुकसान पहुंचाना हो तो, यह भी काफी आसान हो जाता है। इस हथियार की मदद से हजारों और लाखों लोगों को एक साथ किसी भी गंभीर बीमारी का शिकार बनाया जा सकता है। यहां तक कि किसी भी सैन्य उपकरण में भी यदि केमिकल का इस्तेमाल किया जा रहा है, तो उसे केमिकल हथियाक की कैटेगरी में ही रखा जाता है।
मूल रूप से रासायनिक हथियारों में विषैली गैस ऑक्सीम, लेविसिट, सल्फर मस्टर्ड, नाइट्रोजन मस्टर्ड, सरीन, विषैली गैस क्लोराइड, हाइड्रोजन, साइनाइड, फॉस्जीन, डाई फॉस्जीन आदि जैसे जहरीले गैसों को मिलाया जाता है।
पहले भी बनाई गई हथियारों को नष्ट करने की योजना
अमेरिका ने कई बार अपने केमिकल हथियारों को नष्ट करने की योजना बनाई। पहली बार में योजना बनाई गई थी कि इन हथियारों को एक पुराने जहाज के जरिए समुद्र में बहा दिया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं किया जा सका। दरअसल, लोगों ने इस योजना का काफी विरोध किया था, जिसके बाद योजना को रद्द करना पड़ा। इसके बाद योजना बनाई गई थी कि इन केमिकल हथियारों को एक फरनेस में जला दिया जाएगा, लेकिन इस योजना को मंजूरी नहीं मिली थी, क्योंकि इसको जलाने के बाद जो धुंआ निकलता, वो विषैला और घातक होता।
केमिकल हथियारों का शिकार हुए लाखों लोग
अमेरिका ने 1918 के बाद किसी भी युद्ध में घातक केमिकल हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया था, लेकिन वियतनाम युद्ध के दौरान केमिकल हथियार एजेंट ऑरेंज का इस्तेमाल किया गया था, जो इंसानों के लिए सबसे घातक केमिकल हथियारों में से एक था। इस हथियार के इस्तेमाल के कारण उस समय लगभग हजारों लोग मारे गए थे।
साल 1986 में अचानक अमेरिका के उटाह क्षेत्र में 5600 भेड़ रहस्यमयी तरीके से मृत पाई गई। इसको लेकर काफी जांच के बाद अमेरिकी कांग्रेस ने दबाव बनाना शुरू किया। इसके बाद सेना ने स्वीकार किया कि उन्होंने केमिकल हथियारों का परीक्षण किया है। दरअसल, यह जगह केमिकल परीक्षण क्षेत्र के बेहद पास था, जिसके कारण उसका असर इन मवेशियों पर हुआ था।
भारत पहले ही नष्ट कर चुका अपना केमिकल हथियार
जून 1997 में, भारत ने घोषित किया था कि इसके पास रासायनिक हथियारों यानी सल्फर मस्टर्ड का 1,045 टन है। 2006 के अंत तक भारत ने अपने रासायनिक हथियारों के सामग्री भंडार का 75 प्रतिशत से अधिक नष्ट कर दिया था और उम्मीद जताई थी कि थी वो तय किए गए समय सीमा के अंतर्गत ही अपने सभी केमिकल हथियारों को नष्ट कर देगा।
भारत ने मई 2009 में संयुक्त राष्ट्र को सूचित किया है कि इसने अंतरराष्ट्रीय रासायनिक हथियार कन्वेंशन के अनुपालन में रासायनिक हथियारों के अपने पूरे भंडार को नष्ट कर दिया था। दक्षिण कोरिया और अल्बानिया के बाद भारत तीसरा देश बना, जिसने अपने केमिकल हथियारों को पूरी तरह से नष्ट कर दिया था। हालांकि, भारत की पुष्टि के बाद संयुक्त राष्ट्र के निरीक्षकों द्वारा इस पर क्रॉस-जांच भी की गई थी।
दुनिया के सबसे घातक केमिकल हथियार
नर्व एजेंट
नर्व एजेंट को दुनिया का सबसे घातक केमिकल हथियार माना जाता है। इसकी छोटी-सी डोज पल भर में किसी की भी जान ले सकती है। VX, सरीन और ताबुन इसके घातक तत्व है।
चोकिंग एजेंट
चोकिंग एजेंट एक दम घोंटने वाला केमिकल हथियार है। प्रथम विश्व युद्ध में इसके इस्तेमाल से लाखों लोग मारे गए थे। इसके घातक तत्व फॉस्जीन, क्लोरीन, क्लोरोपिक्रिन और डिफोसजीन है।
ब्लिस्टरिंग एजेंट
इस केमिकल हथियार के प्रकोप से मनुष्य के शरीर पर कुछ ही पल में फफोले हो जाते हैं। यहां तक कि इसके असर से व्यक्ति अंधा हो जाता है या फिर उसकी जान भी जा सकती है। इसे सल्फर मस्टर्ड, नाइट्रोजन मस्टर्ड, लेविसाइट जैसे घातक तत्वों द्वारा तैयार किया जाता है।
ब्लड एजेंट
ब्लड एजेंट मनुष्य के सेल पर हमला करते हैं और दम घोंट देते हैं। इसमें हाइड्रोजन साइनाइड और आर्सिन जैसे घातक तत्व शामिल हैं।
रॉयट कंट्रोल एजेंट
रॉयट कंट्रोल एजेंट दूसरे केमिकल हथियारों के मुकाबले कम घातक होते हैं। इससे आंख, मुंह, स्किन, फेफड़े में जलन पैदा होती हैं। आमतौर पर इसका इस्तेमाल भारी भीड़ पर काबू पाने के लिए किया जाता है।