अमेरिका जुटा सऊदी अरब से हाथ मिलाने में, प्रिंस सलमान को मनाने की कोशिश
रियाद । अमेरिका इस समय सऊदी अरब के चीनी खेमे में शामिल होने से चिंतित है। यही वजह है कि अब जेक सुलिवन को प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से बातचीत करने अरब रवाना किया है। जानकारी के अनुसार सऊदी अरब के चीन के खेमे में जाने से अमेरिका बेचैन हो उठा है। बाइडन प्रशासन को अब यह डर सताने लगा है कि अगर जल्द ही कुछ नहीं किया गया तो पूरा मध्य-पूर्व उसकी हाथ से निकल सकता है। दरअसल सऊदी अरब को खाड़ी देशों का नेता माना जाता है। खाड़ी के अधिकतर देश सऊदी की विदेश नीति को ही फॉलो करते हैं। ऐसे में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपने चाणक्य जेक सुलिवन को सऊदी अरब भेजा है। जेक सुलिवन अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं। उन्होंने जेद्दा में सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के साथ लंबी बातचीत भी की है। दोनों नेताओं की मुलाकात को एक महत्वाकांक्षी और दूरगामी राजनयिक सफलता के लिए चली गई चाल का हिस्सा बताया जा रहा है।
इस संबन्ध में व्हाइट हाउस ने बताया कि सुलिवन और प्रिंस सलमान ने गुरुवार को दुनिया से जुड़े अधिक शांतिपूर्ण, सुरक्षित, समृद्ध और स्थिर मध्य पूर्व क्षेत्र के लिए एक साझा दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने की पहल पर चर्चा की। इस मुलाकात पर कहा जा रहा है कि सुलिवन किसी प्रकार अमेरिका-सऊदी अरब-इजरायल-फिलिस्तीन समझौते की संभावना तलाशने के लिए जेद्दा गए थे। चीन भी इस मुद्दे पर तेजी से काम कर रहा है। ऐसे में अमेरिका को डर है कि अगर चीन ने इजरायल फिलिस्तीन विवाद का हल खोज लिया तो यह उसके लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं होगा। उन्होंने कहा कि यह सौदा अमेरिका-सऊदी सुरक्षा समझौते और सऊदी-इजरायल राजनयिक संबंधों के सामान्यीकरण से जुड़ी एक बड़ी सौदेबाजी होगी। इसमें अमेरिका के कहने पर कब्जे वाले क्षेत्रों में फिलिस्तीनियों की दुर्दशा में कुछ सुधार, यहूदी बस्ती के निर्माण को रोकना और वेस्ट बैंक पर कभी कब्जा न करने का वादा शामिल हो सकता है।
वर्तमान में सऊदी अरब और इजरायल एक देश के तौर पर एक दूसरे को मान्यता नहीं देते हैं। हालांकि, दोनों देशों के बीच बैक चैनल डिप्लोमेसी पिछले कई वर्षों से जारी है। ईरान के खिलाफ भी सऊदी अरब और इजरायल ने लंबे समय तक एक साथ काम किया है। सीआईए के लिए मध्य पूर्व विश्लेषक के तौर पर काम कर चुके और व्हाइट हाउस सलाहकार ब्रूस रीडेल ने कहा कि इस तरह के बहुआयामी समझौते का विचार राजनीतिक रूप से दूर की कौड़ी है। उन्होंने कहा कि सऊदी जो बाइडन को दोबारा निर्वाचित होते नहीं देखना चाहता। वह डोनाल्ड ट्रंप के व्हाइट हाउस में वापस आने को दृढ़ता से पसंद करते हैं।