बांग्लादेश में पुरुषों और महिलाओं के लिए नया ड्रेस कोड लागू किया गया था, जिस पर विवाद छिड़ गया है। आदेश बैंक में काम करने वाले पुरुषों और महिलाओं के लिए जारी हुआ था, जिसे केंद्रीय बैंक ने जारी किया था, लेकिन ड्रेस कोड पर विवाद छिड़ने से केंद्रीय बैंक के कार्यकारी निदेशक और प्रवक्ता आरिफ हुसैन ने आदेश वापस ले लिया। केंद्रीय बैंक ने रातों-रात अध्यादेश पास करके ड्रेस कोड लागू किया था, लेकिन ड्रेस कोड के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए।

क्या ड्रेस कोड हुआ था लागू?
केंद्रीय बैंक के आदेशानुसार, बैंक में काम करने वाली महिलाएं अब शॉटर्स, स्लीवलेस और लैगिंग्स नहीं पहनेंगी, बल्कि साड़ी, सलवार कमीज, सिर पर स्कार्फ, हिजाब और फॉर्मल शूज, सैंडल पहनकर ही ऑफिस आएंगी। वहीं पुरुष जींस और चिनो ट्राउजर नहीं पहनेंगे, बल्कि उन्हें फॉर्मल ड्रेस पहनकर बैंक आना होगा। आदेश में यह भी कहा गया है कि अगर केंद्रीय बैंक के निर्देशों का पालन नहीं किया तो अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। साथ ही ड्रेस कोड संबंधी निर्देशों का पालन सुनिश्चित करने के लिए एक अधिकारी नियुक्त करने का आदेश भी बैंकों को दिया गया।

ड्रेस कोड के खिलाफ विरोध प्रदर्शन
वहीं ड्रेस कोड लागू होने से महिलाओं के कपड़ों पर प्रतिबंध लगा तो लोग भड़क गए। केंद्रीय बैंक के आदेश की सोशल मीडिया पर तीखी आलोचना होने लगी। लोगों ने ड्रेस कोड वाले आदेश की तुलना अफगानिस्तान में तालिबान सरकार द्वारा महिलाओं के लिए जारी किए गए फरमानों से की। बांग्लादेश की सरकार की तानाशाही कहा गया, क्योंकि तालिबान सरकार ने अपने देश की महिलाओं के लिए फरमान जारी किया है कि वे सार्वजनिक स्थानों पर सिर से पैर तक कपड़े पहनें। बांग्लादेश महिला परिषद की अध्यक्ष फौजिया मुस्लिम ने बांग्लादेश में इस तरह के निर्देश को अभूतपूर्व बताया।

वहीं विवाद बढ़ता देखकर केंद्रीय बैंक के प्रवक्ता आरिफ हुसैन खान ने ड्रेस कोड का आदेश वापस ले लिया और मीडिया ब्रीफिंग में स्पष्टीकरण दिया कि ड्रेस कोड को लेकर जारी सर्कुलर पूरी तरह से एक सलाह है। हिजाब या बुर्का पहनने को लेकर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है।