मिशन 2023 और 2024 की जंग के लिए भाजपा ने तैनात किए सेनापति
भोपाल । भाजपा ने 2023 में होने वाले विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए नए प्रभारियों और सह प्रभारियों को नियुक्त कर दिया है। मध्यप्रदेश के प्रभारी पी. मुरलीधर राव बने रहेंगे। सह प्रभारी पंकजा मुंडे और सांसद रामशंकर कठेरिया बनाए गए है। विश्वेश्वर टूडू की जगह रामशंकर कठेरिया लेंगे। यानी मप्र में मिशन 2023 और 2024 के लिए मुरलीधर, पंकजा और कठेरिया की तिकड़ी रणनीति बनाएगी। बताया जाता है कि प्रदेश में जातिगत समीकरणों को साधने के लिए इस तिकड़ी को प्रदेश की कमान सौंपी गई है। राव पिछले महीनों से प्रदेश प्रभारी की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। इसलिए सरकार और संघ में तालमेल और दलितों को साथ लाने के लिए रामशंकर कठेरिया की नियुक्ति बड़ा रणनीतिक कदम है। गौरतलब है कि मप्र में ओबीसी और दलित वर्ग सबसे बड़ा वोट बैंक है। इस वोट बैंक को अपनी ओर करने के लिए सभी पार्टियां प्रयास कर रही हैं। ऐसे में अगले विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने अपने दलित वोटरों को साधने के लिए उत्तरप्रदेश के बड़े अनुसूचित जाति वर्ग के नेता सांसद रामशंकर कठेरिया को मध्यप्रदेश भाजपा का सहप्रभारी बनाया है। संघ के प्रचारक रहे कठेरिया काफी समय तक अनुसूचित जाति जनजाति वर्ग आयोग के अध्यक्ष रहे हैं। इस नाते उनका मध्यप्रदेश के अनुसूचित बाहुल्य क्षेत्रों में प्रवास होते रहे हैं। आगरा से दो बार और इटावा से मौजूदा सांसद रामाशंकर कठेरिया भाजपा का बड़ा दलित चेहरा माना जाता है। उनके द्वारा दलित चेतना पर कई पुस्तकें लिखी गई है।
जल्द मोर्चे पर तैनात होंगे सहप्रभारी
प्रदेश प्रभारी पी. मुरलीधर राव लगातार सक्रिय हैं। उन्होंने सत्ता और संगठन का पूरा फीडबैक तैयार कर लिया है। वहीं सहप्रभारी पंकजा मुंडे भी पहले से ही जिम्मेदारी संभाल रही हैं। अब दूसरे सहप्रभारी रामशंकर कठेरिया भी जल्द मोर्चा संभालेंगे। जानकारों की मानें तो रामशंकर कठेरिया जल्द ही भोपाल प्रवास पर आएंगे। इसके पहले वे 17 सितम्बर को श्योपुर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आगमन पर मौजूद रह सकते हैं। भोपाल में संगठन प्रभारी पी. मुरलीधर राव के साथ पदाधिकारियों से औपचारिक मुलाकात करने के बाद कठेरिया अपना पूरा फोकस मध्यप्रदेश की अनुसूचित जाति बाहुल्य सीटों पर रखेगे। उनकी इन क्षेत्रों में सभाएं और बैठक शुरु होगी, जिसका सिलसिला विधानसभा चुनाव तक अनवरत जारी रहेगा। कठेरिया ने 13 साल की उम्र में आरएसएस प्रचारक के रूप में काम शुरू किया। वे संघ के विभाग प्रचारक पद पर भी रहे और उन्हें वर्ष 2014 में मोदी मंत्रिमंडल में जगह भी मिली। वे 2014 से 25 मई 2016 तक मानव संसाधन विभाग के राज्यमंत्री रहे।
कठेरिया के कंधे पर बड़ी जिम्मेदारी
राजनीति के जानकार मानते है कि भाजपा ने अगले विधानसभा चुनाव और उसके बाद लोकसभा चुनाव में मध्यप्रदेश के दलित वर्ग को साधने के लिए कठेरिया को मध्यप्रदेश की जिम्मेदारी सौपी है। दरअसल कठेरिया का मध्यप्रदेश की सीमावर्ती उन क्षेत्रों में खासा प्रभाव में है, जहां दलित वर्ग चुनावी दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इनमें से कई विधानसभा क्षेत्रों में बहुजन समाज पार्टी का वर्चस्व है। ऐसे में भाजपा इन्हें क्षेत्र के वोटरों को अपने साथ करने के लिए रणनीति के तहत प्रयास कर रही है और उसी प्रयास के लिए कठेरिया को मध्यप्रदेश का सह प्रभारी बनाया गया है।
दलित बाहुल्य क्षेत्रों पर फोकस
विधानसभा और लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने मप्र में कठेरिया की नियुक्ति की है। यह प्रदेश में प्रदेश के करीब 80 लाख दलित वोटों को साधने की कोशिश है। बता दें कि मप्र में एससी वर्ग के लिए 35 सीटें आरक्षित हैं। फिलहाल कांग्रेस के पास 35 में से 14 सीट हैं। वहीं भाजपा के खाते में एससी वर्ग की 21 सीटें हैं। प्रदेश में करीब 16 फीसदी दलित आबादी है। 50 सीटों पर दलित वोटर्स का दबदबा है। गौरतलब है कि मप्र में एससी और एसटी वोटरों को सत्ता की चाभी माना जाता रहा है। दोनों वर्गों के लिए प्रदेश की 82 विधानसभा सीटें आरक्षित हैं। इनके वोटरों की बात की जाए तो इनकी संख्या 40 फीसदी है। ऐसे में जिस दल को इन वर्गों का साथ मिलता है, उसका सत्ता तक पहुंचने का रास्ता आसान हो जाता है। पिछले 2018 विधानसभा चुनावों में इन दलों ने कांग्रेस का साथ निभाया था। आदिवासी क्षेत्रों की अधिकतर सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली थी। वहीं अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों पर कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया था। इसलिए भाजपा कठेरिया के माध्यम से इस बड़े वोट बैंक को साधने की कोशिश में जुटेगी।