अधूरी परियोजना को पूर्णता का प्रमाणपत्र
भोपाल । खंडवा के संत सिंगाजी ताप विद्युत गृह को लेकर एडवोकेट राजेंद अग्रवाल ने मप्र विद्युत नियामक आयोग में आपत्ति लगाई है। जिसमें आरोप लगाया है कि परियोजना का काम अधूरा होने के बावजूद पूर्णता का प्रमाणपत्र जारी कर दिया गया। सिर्फ यही नहीं परियोजना का पूरा भुगतान भी हो गया है जबकि आपत्तिकर्ता की तरफ से 19 प्रमाण पत्र दिए हैं। सिंगजी ताप गृह-दो में लगभग 3000 काम नहीं हुए है। इसकी सूची बनाई गई है। यह कार्य निजी कंपनी मेसर्स एलएंडटी को भेजी है। इतना सब होने के बावजूद 19 कार्य पूर्णत: के प्रमाण पत्र जारी कर करोड़ों रुपये का भुगतान किया गया है। अपत्तिकर्ता की सूची में सयंत्र संचालन के लिए टरबाइन की उपयोगिता ज्यादा है। जिसका उपयोग ही नहीं किया जा रहा है। सयंत्र उपयोगिता जहां मात्र 37.7 फीसद था वहीं दोनों इकाईयों की टरबाइन अगस्त-सितंबर 2020 में क्षतिग्रस्त हो गई थी। इस वजह से बिजली का उत्पादन विगत आठ माह पूरी तरह से ठप रहा। जिस वजह से मप्र पावर जनरेशन कंपनी को करीब 800 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। टरबाइन टूटने की अपने आप में पूरे विश्व की अनोखी घटना है। मप्र पावर जनरेशन कंपनी का खुद दावा है कि ऐसी अप्रत्याशित घटना को सबक की तरह लिया गया है इस मामले में कई विशेषज्ञों तक को बुलाकर अध्ययन करवाया गया है।
223.51 करोड़ रुपये का खर्च बताया
राजेंद्र अग्रवाल ने आपत्ति में बताया कि 10 जनवरी 2022 के बिंदु क्रमांक दो सिंगाजी ताप विद्युत गृह के लिए अतिरिक्त पूंजीकरण राशि 223.51 करोड़ रुपये का व्यय पेश किया गया है। यह राशि आयोग के सामने अपने मौखिक तथ्य प्रस्तुत किए गए हैं। इस मामले में आपित्तकर्ता राजेंद्र अग्रवाल ने कहा कि पूरे मामले में लंबित कार्य के बावजूद पूर्णत: का प्रमाण पत्र जारी करना नियम संगत नहीं है इस वजह से इस मांग को आयोग के द्वारा अमान्य करना चाहिए।