निकाय चुनाव में कांग्रेस के लिए अपने बने चुनौती
भोपाल । मध्य प्रदेश में हो रहे नगरीय निकाय चुनाव को अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा है। लेकिन, नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस की कमजोर कड़ी सभी के सामने उभर कर सामने आ रही है। दरअसल कांग्रेस पार्टी ने 2023 के चुनाव के पहले बीजेपी के मुकाबले खुद को मजबूत बनाने के लिए मंडलम सेक्टर से लेकर बूथ प्रभारी तक तैनात करने का प्लान तैयार किया था। पार्टी ने बूथ स्तर पर खुद को मजबूत बनाने के लिए एक बूथ पांच यूथ जैसे अभियान चलाए थे, लेकिन आलम यह कि बूथ स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक के पदाधिकारी नगरीय निकाय चुनाव में सक्रिय तौर पर दिखाई नहीं दे रहे। नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस की ज्यादा सक्रियता नहीं दिखने के पीछे बड़ी वजह संगठन के पदाधिकारियों के चुनाव मैदान में व्यस्त होना है और यही कमजोरी कांग्रेस के लिए नगरीय निकाय चुनाव में चुनौती बन गया है। कांग्रेस पार्टी ने हाल ही में प्रदेश महिला कांग्रेस की कमान विभा पटेल को सौंपी थी, लेकिन उन्हें भोपाल का महापौर पद का उम्मीदवार घोषित करने के बाद महिला कांग्रेस निष्क्रिय नजर आ रही है। कांग्रेस के पिछड़ा वर्ग विभाग का अध्यक्ष सिद्धार्थ कुशवाहा को बनाया है, लेकिन वह भी सतना में पार्टी के उम्मीदवार हैं। दूसरी ओर, यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को टिकट नहीं देने पर संगठन से जुड़े पदाधिकारी नाराज हैं। यही हालत सेवादल और दूसरे मोर्चा संगठनों की है। आलम यह की वार्ड स्तर पर कांग्रेस के उम्मीदवारों को मंडलम सेक्टर और बूथ प्रभारी ढूंढे नहीं मिल रहे हैं। हालांकि, कांग्रेस का कहना है कि जो कंट्रोल रूम बनाया गया है यदि उस पर उम्मीदवार अपनी समस्या भेजेंगे तो उसका समाधान पीसीसी स्तर से किया जाएगा।
भाजपा ने बनाया ये प्लान
वहीं, दूसरी तरफ बीजेपी ने नगरीय निकाय चुनाव में इस बार संगठन से जुड़े पदाधिकारियों को कम और नए चेहरों को ज्यादा मौका दिया है। संगठन ने पार्टी से जुड़े सभी मोर्चा प्रकोष्ठ को नगरीय निकाय चुनाव में पार्टी की जीत के लिए झोंक दिया है। बूथ स्तर तक खुद को मजबूत बना चुकी बीजेपी नगरी निकाय चुनाव में अपने हर कार्यकर्ता की मदद ले रही है। बता दें, इस बार का नगरीय निकाय चुनाव बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। ज्यादातर नगरीय निकायों में बीजेपी का कब्जा रहा है। प्रदेश की सभी 16 नगर निगमों में बीजेपी लंबे समय से काबिज रही है। ऐसे में बीजेपी को शहर की सरकार से बेदखल करना कांग्रेस के लिए चुनौती है। लेकिन, उससे भी बड़ी चुनौती कांग्रेस के लिए खुद को बूथ स्तर तक मजबूत बनाने की है। यह बात हर बार चुनाव में उसके लिए कमजोर कड़ी साबित होती है। इस बार भी आलम यह है कि बूथ पर पार्टी के पदाधिकारी ढूंढे नहीं मिल रहे हैं।