चीन ने अंडमान से सिर्फ 1200 किमी दूर रीम नेवल बेस किया तैयार
नामपेन्ह । चीन लगातार भारत के और करीब आता जा रहा है। ताजा जानकारी मिली है कि चीन ने कंबोडिया के रीम नेवल बेस को पूरी तरह से तैयार कर लिया है। हालिया सैटेलाइट तस्वीरों से यह खुलासा हुआ है कि रीम नेवल बेस पर बहुत बड़ी संख्या में इंफ्रास्ट्रक्चर को डेवलप किया गया है। इसमें नौसैनिकों के रहने के लिए आवास, नई ऑफिस बिल्डिंग, एयर डिफेंस मिसाइल बेस, ड्राई डेक और युद्धपोतों को ठहरने के लिए पहले से बड़ी जेट्टी शामिल हैं। रीम नेवल बेस को सबसे पहले अमेरिका ने बनाया था, लेकिन 2019 में कंबोडियाई सरकार ने कर्ज के बदले इसे चीन को सौंप दिया था। यह नेवल बेस बंगाल की खाड़ी में मौजूद भारतीय सैन्य अड्डा अंडमान और निकोबार से सिर्फ 1200 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। ऐसे में रीम नेवल बेस के विकसित होने और चीनी नौसेना की मौजूदगी से हिंद महासागर में भारत की चिंता भी बढ़ सकती है। हालांकि चार साल पहले अमेरिकी खुफिया विभाग ने पहली बार बताया था कि चीन और कंबोडिया के बीच रीम नौसैनिक अड्डे को लेकर करार हुआ है। तब से लेकर दुनियाभर के विश्लेषकों और खुफिया एजेंसियों ने इस सैन्य अड्डे के हर एक डेवलपमेंट पर करीबी निगाह रखी है।
लेकिन अब मैक्सार टेक्नोलॉजीज की सैटेलाइट तस्वीरों से पता चला है कि थाईलैंड की खाड़ी पर सिहानोकविले के पास कंबोडियाई नौसैनिक अड्डे में बड़े स्तर पर डेवलपमेंट हुआ है। चीन के पैसों से विकसित यह नौसैनिक अड्डा बीजिंग की सैन्य पहुंच को दक्षिण पूर्व एशिया के विवादित जल क्षेत्रों तक बढ़ाएगा। इन नई सैटेलाइट तस्वीरों ने चीनी पैसों से विकसित रीम नौसैनिक अड्डे के विकास कार्यों का पूरा लेखा-जोखा दिया है। इसमें साफ और समतल जमीन, अधिक बड़े क्षेत्र में विस्तार, कई नई इमारतों और सड़कों का निर्माण और सबसे महत्वपूर्ण पहले मौजूद मूल जेट्टी की तुलना में अधिक बड़ी जेट्टी का निर्माण शामिल है। इस नौसैनिक अड्डे के चारों और नई बाड़ भी लगाई गई है। इसके अलावा अमेरिकी पैसों से बनी इमरतों को ध्वस्त भी कर दिया गया है।
बता दें कि पिछले 18 महीनों में कंबोडियन प्रधानमंत्री हुन सेन ने बेस के पास एयर डिफेंस, सामान्य कमांड फैसिलिटी और नौसैनिक रडार की स्थापना के निर्माण के लिए 157 हेक्टेयर भूमि आवंटित की है। कंबोडियन सरकारी मीडिया ने बताया है कि रीम में नई स्टोरेज फैसिलिटी, एक अस्पताल, ड्राईडॉक्स और स्लिपवे की योजना बनाई गई है। हुन सेन 1998 से अमेरिका की सत्ता में हैं। उनकी बढ़ती निरंकुश प्रवृति ने कंबोडिया में अमेरिकी प्रभाव को काम किया है। उन्हें 1970 के दशक में कंबोडिया में शासन करने वाले तानाशाह खमेर रूज का समर्थक करने वाले चीन का करीबी माना जाता है। यही कारण है कि चीन ने कंबोडिया में बड़े पैमाने पर निवेश किया है।