ईसाई विश्वासियों ने प्रभु का ‘अंतिम भोज’ का पर्व मनाया
भोपाल 14 अप्रैल 2022 को शाम 6 बजे से सभी ईसाइयों ने अपने-अपने चर्चों में प्रभु का अंतिम भोज मनाया। यह उस पास्का त्योहार की याद दिलाता है जब इस्राइलियों को गुलामी से छुड़ाया गया था। अपनी मृत्यु से पहले प्रभु ने अपने शिष्यों को अपने साथ अंतिम भोज करने के लिए आमंत्रित किया । रात के खाने के दौरान उन्होंने रोटी ली और कहा कि यह मेरा शरीर है। बाद में उन्होने थोड़ी दाखरस ली और कहा कि यह मेरा खून है। यह मेरी याद में किया करो। तब से कैथोलिक हर दिन यूख्रीस्त मनाते हैं। यूख्रीस्त मनाने के लिए उन्होंने पुरोहिताई की स्थापना की। अंतिम भोज के दौरान उन्होंने फिर से अपने शिष्यों के पैर धोए और कहा कि जो मेरे शिष्य बनना चाहते हैं, उन्हें दूसरों की सेवा करने के लिए विनम्र बनना चाहिए। अंत में उसने चेलों को एक नई आज्ञा दी “एक दूसरे से प्रेम रखो जैसा मैं ने तुम से प्रेम रखा है“। इसलिए यह गुरुवार का दिन यूख्रीस्त, पुरोहिताई, प्रेम और सेवा के महत्व को दर्शाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण दिन है।
भोपाल के आर्चबिशप ए.ए.एस. दुरईराज ने जहांगीराबाद स्थित कैथेड्रल में पवित्र समारोह की अगुवाई की और प्रतीक स्वरूप 12 विश्वासियों के पैर धाये। अपने प्रवचन में उन्होने कहा कि - येसु ख्रीस्त ने ईश पुत्र होते हुए भी अपने शिष्यों के पैर धोकर उन्हें चूमा और उनसे कहा - जैसा मैने तुम लोगों के साथ किया है वैसा ही तुम दुसरों के साथ किया करो। मानव सेवा को परम धर्म मानने के कारण ही ख्रीस्तीय धर्म का आस्तित्व है। सभी ख्रीस्तीयों को प्रेम, सेवा व शांति के पथ पर पड़ने वाले किसी भी प्रकार के अड़चनों से घबराये बिना निरंतर मानव सेवा के कार्य करते रहना चाहिये।
पवित्र गुरूवार से एक दिन पहले सभी पुरोहित गणों ने आशानिकेतन स्थित अजम्पशन चर्च में साक्रामेंण्ट के तीन तेलों जिन्हें -बीमारों का तेल, कत्था का तेल, और पवित्र मसीह का तेल कहा जाता है को आशीषित किया। जिन्हें सालभर विभिन्न धार्मिक अवसरों और जरूरतों में प्रयोग किया जायेगा।
आर्चडायसिस के जनसंपर्क अधिकारी फादर मारिया स्टीफन ने कहा कि ईसाईयों को गरीबो की मदद, जरूरतमदों और पीड़ितों की सेवा में सदैव तत्पर रहना चाहिए जैसा कि प्रभु येसु खी्रस्त ने अपना जीवन लोगों की सेवा में न्यौछावर कर दिया था। आज येसु खी्रस्त ने ‘यूख्रीस्तीय’ एवं ‘पुरोहिताई’ की स्थापना की है। इसलिये यह दोनों ईसाईयों के लिये आध्यात्मिकता के अभिन्न स्तोत्र है। गुरूवार की पवित्र पूजन विधि के बाद मसीह के आज (गुड फा्रइडे) के दुःखभोग व मरण की याद में कई घण्टों की पवित्र संस्कार की आराधना हुई।
हम कोरोना महामारी के दो साल बाद पुनः 17 अप्रैल को ईस्टर महोत्सव बी.एस.एस.एस. कालेज परिसर में शाम 6.30 बजे से मनाने जा रहें हैं।