शत-प्रतिशत टीकाकरण नहीं होने से तेजी से बढ़ रहा कोरोंना
नई दिल्ली। तीन साल तक कोविड-19 के डर और दहशत में जीने के बाद जब दुनिया सामान्य स्थिति की ओर वापस लौट रही थी तो भारत में एक बार फिर संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है जो यह दर्शाता है कि महामारी अभी भी नियंत्रण में नहीं है। देश में शनिवार 8 अप्रैल को कोविड-19 के 6,155 नए मामले दर्ज किए गए और सक्रिय मामलों की संख्या बढ़कर 30,000 से अधिक हो गई। जबकि रविवार को पांच हजार से अधिक नए मामले आ गए। दैनिक पॉजिटिविटी रेट का राष्ट्रीय औसत पांच प्रतिशत को पार कर 5.63 प्रतिशत पर पहुंच गया। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, साप्ताहिक पॉजिटिविटी रेट 3.47 प्रतिशत रहा। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा शनिवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, नौ और लोगों की कोरोना से मौत के साथ ही मरने वालों की कुल संख्या 5,30,954 हो गई। वहीं ठीक होकर अस्पताल से छुट्टी पाने वालों की संख्या 4.41 करोड़ पर पहुंच गई। भले ही देश में टीकाकरण दर के आंकड़े बहुत उत्साहजनक हैं, फिर भी बहुत सारे कारक अभी भी लोगों को खुद को टीका लगाने से रोकने में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं। टीकाकरण के साइड इफेक्ट को लेकर चल रही ढेर सारी अफवाहों के कारण लोग टीका लगवाने से डर रहे हैं।
सीके बिड़ला अस्पताल, गुरुग्राम में आंतरिक चिकित्सा विभाग के अध्यक्ष डॉ. रवींद्र गुप्ता ने कहा, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर टीकों के खिलाफ बहुत सारे नकारात्मक प्रचार हैं, जिसके कारण लोगों ने दूसरा शॉट या बूस्टर खुराक नहीं लिया। राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान 16 जनवरी 2021 को शुरू हुआ था। अब तक कुल 220.66 करोड़ टीके लगाए जा चुके हैं। इनमें 95.21 करोड़ लोग सेकेंड डोज और 22.87 करोड़ लोग प्रिकॉशन या बूस्टर डोज भी लगवा चुके हैं। मंत्रायल के 8 अप्रैल 2023 के आंकड़ों के अनुसार पिछले 24 घंटे में टीके की 1,963 खुराकें लगाई गई हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में टीकाकरण की दर और भी कम है। रोहतक के गढ़ी बोहर गांव के रहने वाले प्रवेश नांदल (38) ने मीडिया को बताया कि उनके गांव के अधिकांश लोगों ने टीके नहीं लगवाए हैं, लेकिन उन्होंने किसी तरह दोनों खुराक के लिए सर्टिफिकेट प्राप्त कर लिया है। उन्होंने कहा, लगवाने के बाद भी कई लोगों की मौत होने के बाद अधिकांश ग्रामीणों ने इसे लेने से परहेज किया।