प्राचीन मंदिरों में भक्तों के लिए ड्रेस कोड लागू....
राजस्थान में इन दिनों मंदिरों में ड्रेस कोड लागू करने को लेकर बहस चल रही है। जयपुर, उदयपुर और अमजेर समेत प्रदेश के कई जिलों के प्राचीन मंदिरों में भक्तों के लिए ड्रेस कोड लागू कर दिया गया है। इसे लेकर मंदिरों में बोर्ड, पोस्टर और बैनर भी लगा दिए गए हैं। जिन पर लिखा है कि मंदिर में हाफ पैंट, बरमूडा, मिनी स्कर्ट, नाइट सूट, कटी-फटी जीन्स, फ्रॉक पहनकर प्रवेश ना करें।
कथावाचक प्रदीप मिश्रा ने भी दिया था बड़ा बयान
पुष्कर के मेला ग्राउंड में चल रहे ब्रह्म शिव पुराण कथा में बीते दिनों पंडित प्रदीप मिश्रा ने इसे लेकर बड़ी बात कही थी। उन्होंने कहा था कि मंदिरों में ड्रेस कोड लागू करना विधर्मियों की चाल है। युवा पीढ़ी को धीरे-धीरे धर्म से दूर किया जा रहा है। बेटा-बेटी धीरे-धीरे मंदिर जाना कम कर देंगे, सिर्फ बूढ़े-बूढ़े लोग ही मंदिर में दर्शन करने के लिए जाएंगे। जवान लड़के-लड़कियां मंदिर के बाहर से ही कह देंगे कि हम तो जींस पहने हैं, टी-शर्ट पहने हैं। मंदिर नहीं जा रहे। इस विवाद के बीच आइए जानते हैं कि राजस्थान के किन मंदिरों में ड्रेस कोड को लेकर बोर्ड लगाए गए हैं, और ऐसा क्यों किया गया है...।
तो बाहर से करें दर्शन
जयपुर में करीब 100 साल पुराना झाड़खंड महादेव मंदिर है। बीते दिनों मंदिर के मुख्य द्वार के बाहर ड्रेस कोड को लेकर बैनर लगा दिया गया। इसमें लोगों से सम्य कपड़े पहनकर आने का आग्रह किया गया था। बैनर पर लिखा था- हाफ पैंट, बरमूडा, मिनी स्कर्ट, नाइट सूट, कटी-फटी जीन्स, फ्रॉक पहनकर आने पर बाहर ही दर्शन कर लाभ प्राप्त करें। हम आशा करते हैं कि आप भारतीय संस्कृति को धारण करने में सहयोग करेंगे।
ड्रेस कोड को लेकर बैनर लगाए
भीलवाड़ा के कोटड़ी के श्री चारभुजा नाथ मंदिर में ड्रेस कोड लागू है। यहां तीन महीने पहले ही ड्रेस कोड को लेकर पोस्टर-बैनर लगा दिए गए थे। श्री चारभुजा मंदिर ट्रस्ट की ओर से लगाए गए इन बैनरों पर लिखा है- सभी महिलाएं और पुरष मंदिर में मार्यादित वस्त्र पहनकर ही आएं। छोटे वस्त्र, हाफ पेंट, बर्मुडा, मिनी स्कर्ट, नाइट सूट और कटी-फटी जीन्स आदि पहनकर आने पर बाहर से ही दर्शन कर सहयोग करें।
श्री पावापुरी मंदिर में चेंजिंग रूम की सुविधा
सिरोही जिले के कृणगंज में जैन धर्म का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। यहां श्री पावापुरी जैन मंदिर में आने वाले भक्तों को सभ्य कपड़े पहनकर मंदिर में प्रदेश करने का निर्देश है। मंदिर कमेटी की ओर से यहां चेंजिंग रूम भी बनवाए गए हैं। जहां महिला और पुरुषों दोनों के लिए कपड़ों की भी व्यवस्था है। अगर, कोई भक्त गरिमामय कपड़े पहनकर नहीं आता है तो उसे कपड़े देकर चेंज करने के लिए कहा जाता है। जो भक्त कपड़े बदल लेते हैं, उन्हें ही मंदिर में प्रवेश दिया जाता है।
तूफान में बोर्ड उखड़ा, जल्द लगेगा
पुष्कर के ब्रह्मा मंदिर में भी ड्रेस कोड के निर्देश हैं। यहां भी भक्तों से सभ्य कपड़े पहनकर मंदिर में प्रवेश करने की अपील की गई है। इसे लेकर यहां एक बोर्ड भी लगा था, लेकिन बिपरजॉय तूफान में बोर्ड उखड़ गया। मंदिर समिति जल्द ही यहां नया बोर्ड लगाएगी।
बिना पारंपरिक ड्रेस के भक्तों को यहां नहीं मिलता प्रवेश
सिरोही जिले का सारणेश्वर महादेव मंदिर देशभर में जाना जाता है। इस मंदिर का निर्माण 1298 में किया गया था। इस मंदिर में देवझूलनी एकादशी पर बड़ा मेला भी लगता है। मंदिर में उसी को प्रवेश मिलता है जो देवासी समाज की पारंपरिक ड्रेस पहनकर आता है। अगर, कोई ऐसा नहीं करता है, तो उसे मंदिर में प्रवेश नहीं मिलता है।
यहां सबसे पहले लागू किया गया ड्रेस कोड
अजमेर के अंबे माता मंदिर में भी ड्रेस कोड लागू है। यहां करीब दो महीने पहले मंदिर के बाहर शॉर्ट, टी शर्ट, शॉर्ट जींस, बरमुडा, मिनी स्कर्ट और नाइट सूट जैसी ड्रेस पहनकर आने पर बाहर से ही दर्शन करने के पोस्टर लगा दिए गए थे।
मंदिर में क्यों लागू किया जा रहा ड्रेस कोड
प्रदेश के मंदिरों में ड्रेस कोड लागू करने को लेकर ज्यादातर मंदिर समित\ट्रस्ट का कहना है कि मंदिर कोई घूमने का स्थल नहीं है। यहां आने वाले भक्तों को गरिमामय कपड़े पहनकर आना चाहिए। मंदिर आस्था की जगह, इससे सभी की आस्था जुड़ी हुई है, ऐसे में इन बातों का ध्यान रखना जरूरी है। लोग विदेशी नहीं, भारतीय संस्कृति को अपनाएं इसके लिए ऐसा किया जा रहा है।