पॉश कॉलोनियों में चल रहा बिजली चोरी का खेल
भोपाल । मप्र बिजली का अवैध उपयोग बिजली कंपनियों के लिए सबसे बड़ी समस्या बना हुआ है। खास बात यह है कि सरकार ने गरीबों के लिए जो अटल गृह ज्योति योजना शुरू की है उसका फायदा उठाने के लिए राजधानी की पॉश कॉलोनियों में बिजली चोरी का खेल चल रहा है। विद्युत वितरण कंपनियों की आशंका इसलिए बढ़ी है कि 2 हजार वर्ग फीट से बड़े भूखंड पर बने मकानों में भी बिजली की खपत 150 यूनिट ही हो रही है। इसलिए बिजली कंपनियां अब पॉश कॉलोनियों के 20 फीसदी कनेक्शन की जांच कराएगी। गौरतलब है कि मप्र में उपयोग से अधिक बिजली का उत्पादन होता है। इसलिए उपयोग से अधिक जो बिजली होती है उसे दूसरे राज्यों को बेची जाती है। लेकिन उसके बाद भी मप्र की तीनों विद्युत वितरण कंपनियां घाटे में रहती हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह बिजली चोरी और लाइन लॉस है। लाइन लॉस को कम करने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। वहीं बिजली चोरी पर भी लगामा कसी जा रही है। लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है।
बिजली चोरी, लॉइन लॉस कम करने और बिजली कंपनियों को घाटे से उभारने के लिए अब बिजली कनेक्शनों की जांच अलग तरह से होगी। पहली बार बिजली कंपनी इस तरह का प्रयोग कर रही है। इसके तहत महंगी कलेक्टर गाइडलाइन वाली लोकेशन को चिह्नित किया जा रहा है। हर शहर की महंगी कलेक्टर गाइडलाइन वाली कॉलोनियों के 20 फीसदी कनेक्शन की जांच की जाएगी। इसमें कम बिजली बिल वाले कनेक्शन की जांच होगी। 2026-27 तक के लिए कंपनियों ने लाइन लॉस के लिए लक्ष्य निर्धारित किया है। पूर्व क्षेत्र ने 86 फीसदी बिलिंग और 100 फीसदी संग्रहण के साथ 14 फीसदी लाइन लॉस का लक्ष्य बनाया है। इसी तरह पश्चिम क्षेत्र ने 88 फीसदी बिलिंग 100 फीसदी संग्रहण के साथ 12 फीसदी लाइन लॉस का लक्ष्य बनाया है। वहीं मध्य क्षेत्र में 86 फीसदी बिलिंग 100 फीसदी संग्रहण के साथ 14 फीसदी लाइन लॉस का लक्ष्य बनाया है।
अटल गृह ज्योति योजना का दुरूपयोग
गौरतलब है कि सरकार अटल गृह ज्योति योजना के तहत बिजली कंपनियों को सब्सिडी दे रही है। इसके तहत प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को प्रथम 100 यूनिट बिजली खपत पर सिर्फ 100 रुपए बिजली बिल देना होगा। इस योजना के अंतर्गत 150 यूनिट तक बिजली खपत करने वाले उपभोक्ताओं को सब्सिडी दी जाती है। प्रदेश में इस योजना के लागू होने के बाद योजना का फायदा उठाने वाले उपभोक्ताओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। इसको देखते हुए अब बिजली कंपनी ऐसी पॉश कॉलोनियों को चिह्नित कर रही है, जहां 2 हजार वर्ग फीट से अधिक के मकान बने हुए हैं, फिर भी बिजली बिल 150 यूनिट आ रहा है। ऐसी महंगी कलेक्टर गाइड लाइन वाली कॉलोनियों की जांच की जाएगी। बिजली कंपनी का दावा है कि सरकार की सब्सिडी का फायदा उठाने के लिए बिजली उपभोक्ताओं द्वारा गड़बड़ी की जा रही है। अटल गृह ज्योति योजना के अंतर्गत सरकार हर साल बिजली कंपनियों को सब्सिडी जारी करती है। इसके तहत इस साल सरकार ने 5866 करोड़ 26 लाख रुपए की सब्सिडी जारी की है। सरकार हर साल बिजली कंपनियों को 24 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की सब्सिडी दे रही है। इसके बाद भी बिजली कंपनियां घाटे में चल रही हैं। इसको देखते हुए अब बिजली कंपनियों को अपना लाइन लॉस कम करने और बिजली चोरी रोकने का टारगेट मप्र विद्युत विनियामक आयोग ने भी दिया है।
सबसे अधिक लाइन लॉस पूर्व क्षेत्र में
प्रदेश में सबसे अधिक लाइन लॉस पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के क्षेत्र में होता है। पूर्व क्षेत्र में 27.40 फीसदी लाइन लॉस होता है। उसके बाद मध्य क्षेत्र में 24.67 फीसदी और पश्चिम क्षेत्र में 11.61 फीसदी लाइन लॉस होता है। प्रदेश की बिजली कंपनियों को मप्र विद्युत विनियामक आयोग ने साल 2026-27 तक 15 फीसदी तक लाइन लॉस कम करने का टारगेट दिया है। लॉइन लॉस कम करने के लिए बिजली कंपनियां बिजली चोरी वाले क्षेत्रों में अंडर ग्राउंड केबल बिछा रही हैं। इसके अलावा प्रदेश में स्मार्ट मीटर लगाने का काम भी शुरू हो गया है। माना जा रहा है कि इन व्यवस्थाओं से बिजली चोरी रुकेगी और लाइन लॉस भी कम होगा। नियमित बिजली बिल जमा करने वाले बिजली उपभोक्ताओं को इससे फायदा भी मिलेगा।