12 साल बाद फिर से पब्लिक ट्रांसपोर्ट सुधारने की कवायद
भोपाल । करीब 12 साल पहले राजधानी में पब्लिक ट्रांसपोर्ट की सुविधा देने के लिए 400 करोड़ रूपए खर्च किए गए थे, उसके बाद भी आधी राजधानी अब भी पब्लिक ट्रांसपोर्ट की सुविधा से दूर है। करीब दस लाख लोगों को अपने घर के पास पब्लिक ट्रांसपोर्ट की दरकार है। इसको देखते हुए एक बार फिर से पूरे शहर में पब्लिक ट्रांसपोर्ट सुधारने की कवायद की जा रही है। इसके तहत 402 करोड़ रूपए की योजना बनाई गई है। इसके तहत पांच साल में 1000 बसें खरीदी जाएंगी।शहर में पब्लिक ट्रांसपोर्ट का जिम्मा संभालने वाली भोपाल सिटी लिंक लिमिटेड (बीसीएलएल) ने शहर में करीब दो दर्जन रूट तय कर यहां बस सुविधा दे रखी है। फिर भी शहर की लगभग आधी आबादी को पब्लिक ट्रांस्पोर्ट का लाभ नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में शहर के हर क्षेत्र तक पब्लिक ट्रांसपोर्ट की पहुंच बनाने के लिए 400 करोड़ रुपए से अधिक खर्च किया जाएगा। इसके लिए एक हजार नई बस खरीदी जाएंगी। इसमें 300 सीएनजी बस होंगी। कुछ बस चलना भी शुरू हो गई हैं। साथ ही अंदरूनी मार्गों को जोडऩे के लिए फीडर सेवा शुरू की जाएगी ई बाइक और रिक्शा यहां चलाए जाएंगे।
बसों की संख्या 1500 तक पहुंचाने का लक्ष्य
भोपाल सिटी लिंक लिमिटेड ने करीब एक दशक पहले लाल बसों के संचालन की शुरुआत की थी। वर्ष 2014 की स्थिति में 225 बस चलाई जा रही थी। इसमें 20 एसी बस भी शामिल थी। यात्रियों के लिए 177 स्टॉप बनाए गए इस साल बसों की संख्या दोगुनी से ज्यादा यानि 515 तक पहुंच जाएगी। यात्री प्रतीक्षालय भी 425 हो जाएंगे। अगले पांच साल में बसों की संख्या बढ़ा कर 1500 तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। इसी तरह बस स्टॉप भी 1100 हो जाएंगे। बीसीएलएल ने वर्ष 2020 में कंप्रेस्ड नेचुरल गैस (सीएनजी) से चलने वाली 300 बस खरीदने का प्लान बनाया था इसे अमृत योजना में शामिल किया योजना में बसों के लिए केंद्र व राज्य सरकार अनुदान देंगी। इन बसों के संचालन के लिए रूट भी लगभग फाइनल किए जा चुके हैं। एक बस की कीमत 29 लाख रुपए है। यानि बस खरीदी पर 87 करोड़ रुपए खर्च होगा यह बसें पर्यावरण फ्रेंडली होंगी। इनसे प्रदूषण काफी कम होगा। कुछ बसों का संचालन शुरू कर दिया गया है। संभावना जताई जा रही है कि इस साल शहर की सड़कों पर 100 सीएनजी बस दौडऩे लगेंगी।
इलेक्ट्रिक बस को लेकर पेंच
बीसीएलएल ने 100 इलेक्ट्रिक बस चलाने का प्लान बनाया। एक बस की कीमत करीब एक करोड़ रुपए है। इस हिसाब से एक अरब रुपए खर्च होने का अनुमान लगाया गया। बसों की खासियत यह है कि अधिकतम तीन घंटे में पूरी तरह चार्ज हो जाएगी। एक बार में 200 किमी की दूरी तय कर सकेगी। बस 31 सीटर है। इसमें 15 लोग खड़े भी हो सकते हैं। ई बसों से प्रदूषण नहीं होता और धुआं नहीं निकलता है। पहले चरण में इलेक्ट्रिक बसों के लिए तीन डिपो बनाने की योजना थी। केंद्र सरकार ई बस खरीदने के लिए 40 फीसदी राशि मुहैया कराएगी। बाकी राशि चयनित ऑपरेटर खर्च करेगा। फिर बस चलाएगा। दिक्कत रखरखाव पर होने वाले खर्च की व्यवस्था करने में है। इसके लिए राज्य शासन से मदद मांगी थी संचालन के लिए राहत देने का प्रस्ताव भेजा था, लेकिन इसे हरी झंडी नहीं मिल पाई। जानकारी के अनुसार नई योजना के तहत 75 करोड़ रूपए की बस खरीदी जाएगी। बाग सेवनिया, कोकता, वीर सावरकर सेतु, भानपुर खंती, पुराना आरटीओ कार्यालय, पुतलीघर, नादरा, आरिफ नगर, विद्या नगर में 125 करोड़ रूपए से नए बस डिपो बनेंगे। आईएसबीटी, जवाहर चौक और बैरागढ़ स्थित मौजूदा डिपो का दस करोड़ से उन्नयन कार्य करवाए जाएंगे। वहीं खजूरी कलां में 53 करोड़ रूपए से नए आईएसबीटी का निर्माण किया जाएगा। साथ ही इलेक्ट्रिक साइकिल, ई रिक्शा, सीसीटीवी सर्विलांस कैशलेस टिकटिंग, डिजिटल तकनीक पर 109.80 करोड़ रुपए का खर्च किए जाएंगे।