सदगुरु की अनुकंपा से पाएं मान-सम्मान
अष्टम भाव पर मंगल या शनि, अथवा दोनों की पूर्ण दृष्टि हो, तो यह स्थिति किसी गंभीर दुर्घटना से हानि का संकेत है। यदि इस भाव में कोई ग्रह न हो और इस पर किसी भी ग्रह की दृष्टि न हो, तो व्यक्ति जीवन में सद्गुरु की अनुकंपा प्राप्त करके सत्कर्मों की ओर उन्मुख होकर मोक्ष का वरण करता है, ऐसा प्राचीन ग्रंथ कहते हैं।
जन्म कुंडली में यदि कर्क राशि में वृहस्पति आसीन हो, तो व्यक्ति शुभ कर्मों की ओर आकृष्ट होकर अगले जन्म में उत्तम कुल में पैदा होता है। यदि लग्न में उच्च का चंद्रमा हो और वह किसी पापी ग्रह से दृष्ट न हो, तो व्यक्ति जिंदगी को बहुत अच्छी तरह जीता है और जीवन का समापन बहुत शांति और हर्ष के साथ होता है, ऐसा पवित्र ग्रंथों में वर्णित है।
टिप्स
मान्यताएं कहती हैं कि सूर्योदय के समय सूर्य को ताम्र पात्र से जल अर्पित करने से अपार मान प्रतिष्ठा का योग निर्मित होता है। यदि उसमें एक चुटकी कुमकुम मिला दिया जाए, तो किसी अपमान से बाहर निकलने में सहायता मिलती है। यदि उसमें लाल मिर्च के 24 बीज डाल दिए जाएं, तो रुके धन की वापसी का मार्ग प्रशस्त होता है।
राशि और आप
मिथुन राशि के लोगों की बौद्धिक और मानसिक क्षमता अपार होती है। एक प्रकार से ये अलौकिक क्षमता से सराबोर होते हैं। इनके विचार मौलिक और मन बहुत कोमल होता है। ये जोखिम उठाने वाले, जिज्ञासु, प्रेमी, साहसी, अधीर और दयालु होते हैं। नई बातें ये बहुत जल्दी सीख लेते हैं। बात करने में ये कुशल होते हैं। ये जीवन के कुछ काल खंड में बहुत अधिक भ्रमण करते हैं। ये धनी, संपन्न और प्रभावशाली लोगों में शुमार होते हैं। ये साहसी और एकांतप्रेमी होते हैं। इनका व्यक्तित्व बहिर्मुखी नहीं होता, फिर भी ये विशिष्ट समूह में ख्याति अर्जित करते हैं। दूसरों के कारण या गलत फैसले धन को नष्ट कर देते हैं। साहित्य, कला और संगीत में गहरी रुचि होती है। इनकी पसंद-नापसंद परिवर्तित होती रहती है।