चुनावी साल में सरकार की युवाओं पर नजर
भोपाल । मध्यप्रदेश में चुनावी साल में युवा नीति तैयारी की गई है। इसकी शुरुआत 23 मार्च को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान करेंगे। वे भोपाल के मोतीलाल नेहरू स्टेडियम में होने वाली यूथ महापंचायत में युवा नीति के साथ युवा पोर्टल लॉन्च करेंगे। कार्यक्रम को लेकर तैयारी शुरू कर दी हैं। उधर, लागू होने वाली युवा नीति को लेकर सियासत भी शुरू हो गई है।
जानकारी के मुताबिक कार्यक्रम में 17 से 35 आयु वर्ग के युवा महापंचायत में शामिल होंगे। साथ ही, कार्यक्रम के लाइव प्रसारण के जरिए प्रदेश के लाखों युवा भी कार्यक्रम में जुड़ेंगे। मुख्यमंत्री युवाओं से भी संवाद करेंगे। नीति में शिक्षा के साथ कौशल, रोजगार, खेल समेत उद्यमिता के साथ युवा नेतृत्व को फोकस किया गया है। नीति में जिला स्तर पर युवा संसाधन केद्रों की स्थापना का प्रावधान किया गया है। युवाओं को लेकर प्रदेश स्तरीय सरकार के इस बड़े आयोजन को लेकर सियासत भी शुरू हो गई है। कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा ने कहा कि सरकार युवाओं के साथ फिर छलावा करने की तैयारी में है। प्रदेश में 34 लाख से अधिक पंजीकृत बेरोजगार हैं। चुनावी साल में सरकार को अब युवा नीति की याद आई है। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि रोजगार और निवेश के नाम पर करोड़ों खर्च करने के नाम पर धांधली की गई। लिहाजा, सरकार श्वेत पत्र जारी करे। उधर, बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने कहा कि कांग्रेस का काम सिर्फ झूठ बोलकर सियासत करना है। इसका पर्दाफाश भी मुख्यमंत्री ने सदन में दिया है। युवा नीति प्रदेश के युवाओं के लिए मील का पत्थर साबित होगी।
युवाओं के सुझावों पर बनी युवा नीति
युवा नीति को लेकर सरकार ने सुझाव मांगे थे। प्रदेशभर से 3 हजार 18 सुझावों पर मंथन किया गया। इसमें सर्वाधिक सुझाव भी रोजगार से संबंधित रहे। संबंधित विभागों तक सुझाव पहुंचाए गए। इसके बाद विभागों ने सुझावों की रिपोर्ट तैयार की। फिर अंतिम खाका तैयार करने नीति के लिए बनाई आधा दर्जन विभागों की संयुक्त समिति ने मुहर लगाई। नीति का खाका भी सीएम शिवराज सिंह चौहान के सामने पेश किया गया। सीएम शिवराज ने जिला स्तर पर युवा संसाधन केंद्र स्थापित करने संबंधित प्रावधान का निर्देश अधिकारियों को दिया था।
इन विभागों ने तैयार किया खाका
नीति तैयार करने में स्कूल शिक्षा, उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास, ग्रामीण विकास, नगरीय प्रशासन, चिकित्सा शिक्षा, एमएसएमई, किसान-कल्याण एवं कृषि विकास, जनसंपर्क, लोक निर्माण, जल संसाधन और पर्यावरण विभाग शामिल रहे। इसके अलावा, मध्यप्रदेश जन अभियान परिषद और नेहरू युवा केंद्र से भी सुझाव मांगे गए थे।