कोलार सिक्स लेन प्रोजेक्ट में काटे जा रहे हरेभरे पेड़
भोपाल । राजधानी में विकास कार्यों के नाम पर हरे-भरे पेड़ों की नियमों के विरुद्ध कटाई के मामले सामने आते हैं। ऐसा ही मामला कोलार सिक्स लेन प्रोजेक्ट में सामने आया है। यहां सौ से अधिक हरे-भरे पेड़ों की बलि दी गई। पेड़ कटाई को लेकर नियमों का भी पालन नहीं किया गया। मध्यप्रदेश के पूर्व आईएफएस अधिकारी एवं मुख्य वन संरक्षक एसपी तिवारी ने मामले में शिकायत दर्ज कराई है।
तिवारी ने बताया कि जिन पेड़ों को काटा गया वो दीर्घ जीवी वृक्षों की श्रेणी में आते हैं। इसमें सालों पुराने आम, नीम, पीपल सतपार्नी, कारंज समेत अन्य प्रजाति के वृक्ष शामिल हैं। काटे गए पेड़ों में कई की उम्र भी 70 साल से अधिक की है। उन्होंने बताया कि भोपाल में ग्रीन मास्टर प्लान को लेकर अमल किया जा रहा है। साथ ही सरकार पर्यावरण संरक्षण को लेकर भी पौधारोपण के लिए अभियान चला रही है। इसके उलट सघन रहवासी क्षेत्र में इतनी बड़ी संख्या में पेड़ों की कटाई से पर्यावरण को भारी नुकसान हुआ है।
ट्रांसलोकेशन तकनीक की अनदेखी, पर्यावरण पर भारी पूर्व आईएएफएस अफसर एसपी तिवारी ने बताया कि विकास कार्यों में बाधा बने पेड़ों को संरक्षित करने भी तकनीक है। ट्रांसलोकेशन तकनीक के जरिए महज 10 हजार रुपये प्रति पेड़ खर्च कर इन्हे जीवन दान दिया जा सकता है। इंदौर में इस तकनीक को अपनाकर हजारों वृक्षों को कटने से बचाया जा रहा है। लेकिन, भोपाल में नियमों को ताक पर पेड़ों की कटाई के मामले सामने आते हैं। ज्यादातर निर्माण एजेंसियां पेड़ों की कटाई की अनुमतियां तक नहीं लेती। भोपाल में मेट्रो प्रोजेक्ट, स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट, सिविल वर्क में हर साल हजारों पेड़ों की बलि दी गई।
सिक्स लेन प्रोजेक्ट में यह किया जा रहा काम पीडब्ल्यूडी के कोलार सिक्स लेन प्रोजेक्ट की कुल लागत 222 करोड़ रुपये की है। प्रोजेक्ट के तहत कुल 15.10 किलोमीटर लंबी सिक्स लेन का निर्माण किया जा रहा है। प्रोजेक्ट के तहत 27 छोटी पुल-पुलियों का निर्माण भी किया जाना है। मशीनों के जरिए रोजाना 3.5 मीटर चौड़ी और 570 मीटर लंबी सड़क निर्माण का लक्ष्य रखा गया है। छटाई के नाम पर पेड़ों की कटाई भोपाल के बागमुगालिया और लहारपुर क्षेत्र में बिजली विभाग की मनमानी सामने आई है। पर्यावरण प्रेमी उमाशंकर तिवारी ने बताया कि पेड़ों की छटाई के नाम पर बिजली विभाग का अमला पेड़ों की कटाई कर रहा है। कई स्थानों पर पेड़ों को आधा तक काट दिया गया। बीते दो माह में एक दर्जन से ज्यादा मामलों में मौके पर पहुंच रहवासियों के साथ विरोध भी किया। साथ ही मामले की शिकायत भी दर्ज कराई गई है।