बढ़ती महंगाई से दुनियाभर के देशों के प्रमुख दिख रहे चितिंत
लंदन । बढ़ती महंगाई दुनियाभर के लिए चिंताजनक स्थिति पैदा कर रही है। यह न सिर्फ अविकासशील और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित कर रही है, बल्कि अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोप की विकसित अर्थव्यवस्थाओं के लिए भी बड़ी चुनौती बन गई है। दावोस में आयोजित वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में शामिल हो रहे दुनियाभर के नेताओं और बिजनेस लीडर्स ने इस पर चिंता जाहिर की है। कीमतों में उछाल की वजह से न सिर्फ उपभोक्ताओं का सेंटीमेंट बिगड़ा है, बल्कि वैश्विक वित्तीय बाजारों को भी इसका झटका लग रहा है। इस काबू में करने के लिए अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व सहित दुनिया के अन्य केंद्रीय बैंकों को भी ब्याज दरों में बढ़ोतरी करनी पड़ रही है। इसकारण डॉलर में मजबूती आ रही है।
रूस-यूक्रेन युद्ध और कोविड-19 के कारण चीन में लगे लॉकडाउन की वजह से कच्चे तेल और खाद्य बाजार में कीमतों में आई उछाल पर विराम लगता फिलहाल नहीं दिख रहा है। इसकारण और निराशा हो रही है। जर्मनी के वाइस चांसलर रॉबर्ट हैबेक ने कहा कि हमारे सामने कम से कम चार ऐसी समस्याएं हैं जो आपस में जुड़ी हुई हैं। बढ़ती महंगाई, ऊर्जा का संकट, खाद्य संकट (फूड पॉवर्टी) और पर्यावरण संकट हैं। उन्होंने कहा कि अगर हम सिर्फ एक संकट पर ध्यान केंद्रित करते रहे, तब दूसरी अन्य समस्याओं को नहीं सुलझा सकते हैं। लेकिन अगर कोई भी समस्या हल नहीं होती है, तब मुझे वास्तव में डर है कि हम वैश्विक मंदी की ओर बढ़ रहे हैं। इसका वैश्विक स्थिरता पर जबरदस्त प्रभाव है।
आईएमएफ की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने कहा कि युद्ध, सख्त वित्तीय स्थिति और कीमतों में उछाल, खासकर खाद्य पदार्थों की कीमतों में तेजी ने स्पष्ट रूप से ग्लोबल आउटलुक को अंधेरे में धकेल दिया है। उन्होंने कहा कि वैश्विक आर्थिक मंदी की अभी संभावना नहीं है, लेकिन यह पूरी तरह से परिदृश्य से बाहर भी नहीं है। उन्होंने कहा कि यह एक मुश्किल साल होने वाला है। रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से खाद्य पदार्थों की कीमतों का बढ़ना बड़ी समस्या बनी हुई है।
यूरोपियन सेंट्रल बैंक (ईसीबी) की प्रेसिडेंट क्रिस्टीन लेगार्ड ने चेतावनी दी कि महंगाई और विकास विपरीत रास्ते पर है। कीमतों में उछाल का असर आर्थिक गतिविधियों और घरेलू खरीद क्षमता पर पड़ता है। उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध अति-वैश्वीकरण के लिए महत्वपूर्ण घटनाक्रम साबित हो सकता है। इससे सप्लाई चेन पर असर पड़ा है और लागत में बढ़ोतरी हो हुई है।