हाईकोर्ट का आदेश: ओरिजिनल दस्तावेज़ों के लिए मनमानी फीस नहीं वसूली जा सकती

जबलपुर: डिप्रेशन के कारण मेडिकल का एक छात्र मनोरोगी हो गया. स्वास्थ्य कारणों से मेडिकल सीट छोड़ने पर भी कॉलेज प्रबंधन ओरिजिनल डॉक्यूमेंट्स वापस लौटाने के एवज में 30 लाख रुपए की मांग कर रहा था. हाईकोर्ट में दायर की गई इस याचिका का निराकरण करते हुए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ ने छात्र को ओरिजिनल दस्तावेज वापस लौटाने के आदेश जारी किये हैं.
अहमदाबाद निवासी मीत यादव ने दायर की थी याचिका
अहमदाबाद गुजरात निवासी मीत यादव की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि उसने साल 2023 में पीपुल्स डेंटल अकादमी भोपाल में बीडीएस सीट में दाखिला लिया था. इस दौरान जिन्दगी में बदलाव आने के कारण वह डिप्रेशन में चला गया था. डिप्रेशन के कारण वह मनोरोगी हो गया.
बीडीएस सीट छोड़ने पर 30 लाख की मांग
बीडीएस की सीट छोड़ने के एवज में कॉलेज प्रबंधन शिक्षा संबंधित ओरिजिनल दस्तावेज वापस लौटाने के एवज में 30 लाख रुपए की मांग कर रहा है. कॉलेज प्रबंधन का कहना है कि दाखिले के समय उसने बॉन्ड साइन किया था. जिसकी शर्त के अनुसार मेडिकल सीट बीच में छोड़ने के एवज में 30 लाख रुपए का भुगतान करना होगा.
लोकसभा में भी उठा था मुद्दा
याचिकाकर्ता की तरफ से पैरवी करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता आदित्य संधी ने युगलपीठ को बताया कि "याचिकाकर्ता की स्थिति ऐसी है कि माता-पिता का उसके साथ रहना आवश्यक है. माता-पिता के साथ नहीं रहने पर वह आत्मघाती कदम उठा सकता है. मेडिकल सीट छोड़ने के एवज में छात्र से 30 लाख रुपए लेने का मामला लोकसभा में उठाया गया था. नेशनल मेडिकल कमीशन ने इस पॉलिसी पर पुनर्विचार करने के निर्देश मध्य प्रदेश सरकार को दिये थे."
हाईकोर्ट ने दिये ओरिजनल दस्तावेज वापस करने के निर्देश
मध्य प्रदेश सरकार ने साल 2025 से उक्त पॉलिसी को समाप्त करने का निर्णय लिया है. सरकार द्वारा गलत पॉलिसी निर्धारित की गई थी. ऐसे में पूर्व में दाखिला लेने वाले छात्रों पर उसे कैसे लागू किया जा सकता है. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ ने छात्र को ओरिजिनल दस्तावेज वापस लौटाने के आदेश जारी किये हैं.