प्रदेश की आबो-हवा में सुधार- भोपाल, इंदौर, ग्वालियर में प्रदूषण कम हुआ
भोपाल । प्रदेश में प्रदूषण का स्तर लगातार कम होता जा रहा है। राज्य के कई शहरों की हवा में सुधार आ रहा है। इंदौर में पिछले तीन दिनों से लगातार वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 से कम रहा, जिसे सबसे अच्छा माना जाता है। इंदौर के साथ ही भोपाल, ग्वालियर, उज्जैन और देवास में भी हवा के स्तर में सुधार देखने को मिला है। बता दें कि पिछले 5 माह से यानी इंदौर में मार्च से 4 जुलाई तक एक्यूआई का स्तर 100 के ऊपर ही बना हुआ था। 18 मार्च को होली के दिन इसकी मात्रा 184 थी। इंदौर में मार्च के बाद पहली बार 5 जुलाई को वायु गुणवत्ता सुचांक 50 के नीचे आया था। इंदौर के रीगल चौराहे पर लगे रियल टाइम पॉल्यूशन मानिटरिंग स्टेशन की गणना के अनुसार इंदौर में 12 जुलाई को एक्यूआई 42, 13 जुलाई को एक्यूआई 36 और 14 जुलाई को एक्यूआई का स्तर 47 दर्ज किया गया है। पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के पूर्व मुख्य प्रयोग शाला अधिकारी डॉ. डीके वाघेला ने बताया कि बारिश के कारण हवा में मौजूद धूल के कण जमीन पर बैठ जाते हैं। वह पानी गिरने से ज्यादा समय तक हवा में नहीं घूम पाते हैं। जिससे एक्यूआई लेवल कम हो जाता है।
मार्च में पहुंचा था स्तर 181
पिछले 8 मार्च से 5 जुलाई तक शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 100 से नीचे नहीं आया था। इंदौर में एक्यूआई का लेवल 8 मार्च के बाद से 100 से कम ही नहीं हुई था। 8 मार्च को शहर का एक्यूआई 99 था। वहीं ठीक एक माह बाद यानी 8 अप्रेल को एक्यूआई का लेवल 205 के स्तर तक पहुंच गया था। वहीं पॉल्यूशन बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि बारिश का मौसम होने की वजह से अक्टूबर माह तक शहर का पॉल्यूशन लेवल कम ही रहेगा।
भोपाल, उज्जैन और देवास में भी सुधार
इंदौर के साथ ही भोपाल, ग्वालियर, उज्जैन और देवास में भी हवा के स्तर में सुधार देखने को मिला है। एक्यूआई का स्तर भोपाल में पिछले तीन दिन से जहां 45 तो उज्जैन में दो दिन से 50 के नीचे बना हुआ है। वहीं देवास में इसका स्तर पिछले चार दिन से 40 के नीचे ही बना हुआ है। जबकि जबलपुर में पिछले दो दिन में एक्यूआई का स्तर से 50 से ऊपर ही बना हुआ है।
स्वास्थ्य के लिहाज से खतरनाक पीएम-10
पीएम 10 कण, यानी हवा में मौजूद 10 माइक्रोमीटर व्यास (बाल के व्यास से लगभग 5 गुना कम) के वह कण, जो श्वास के साथ शरीर में जाकर कई तरह की बीमारियां पैदा करते हैं। धूल और धुआं इसका सबसे प्रमुख दृश्य उदाहरण है, हालांकि इसका 90 प्रतिशत प्रदूषण आंखों से नहीं देखा जा सकता है। मानकों के लिहाज से हवा में इनका स्तर 51 से कम होना चाहिए। दूसरे ऐसे ही खतरनाक माने जाने वाले पीएम 2.5 के लिए यह मानक 31 है।