इमरान खान को सुप्रीम कोर्ट से मिली रिहाई
करांची। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी के मामले में वहां की सरकार को बड़ा झटका लगा है। पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने इमरान खान की गिरफ्तारी को गैरकानूनी बताते हुए उन्हें रिहा कर दिया है। हालांकि, उन्हें आज रात पुलिस लाइंस गेस्ट हाउस में ही रहना होगा। उनकी सुरक्षा के लिहाज से यह निर्देश दिया गया है। इमरान की रिहाई को उनके समर्थकों के लिए बड़ी जीत माना जा रहा है।
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान इमरान ने कहा कि उन्हें घर जाना है। इस पर कोर्ट ने कहा कि उन्हें जानकारी मिली है कि इमरान के बानी गाला वाले घर को आग के हवाले किया जा सकता है। इसलिए उन्हें यहां से सीधे गेस्ट हाउस जाना चाहिए। कोर्ट ने इमरान से उन लोगों की लिस्ट भी देने के लिए कहा, जो उनसे मिलना चाहते हैं।
दरअसल, इमरान खान की गिरफ्तारी का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। इस पर कोर्ट ने कहा है कि कल इमरान को इस्लामाबाद हाई कोर्ट के सामने पेश होना पड़ेगा। लेकिन इमरान खान को तुरंत रिहा किया जाता है। चीफ जस्टिस ने इमरान से हालचाल पूछा। इस पर खान ने कहा- मुझे गिरफ्तार नहीं, अगवा किया गया था। कस्टडी में मारपीट की गई। चीफ जस्टिस ने कहा- हम आपको रिहा करने का हुक्म दे रहे हैं। लेकिन आपकी गिरफ्तारी के बाद मुल्क में जो हिंसा हुई, आपको उसकी निंदा करनी होगी। रिहाई के बाद इमरान ने कहा- मेरी गिरफ्तारी ऐसे की गई, जैसे मैं कोई आतंकी हूं। क्रिमिनल जैसा सलूक किया गया। डंडों से पीटा गया। 145 से ज्यादा फर्जी केस डाल दिए गए। मेरी गिरफ्तारी के बाद देश में क्या हुआ, मुझे नहीं पता। मैं नहीं चाहता कि देश में हालात खराब हों।
दूसरी तरफ, सरकार की प्रवक्ता मरियम औरंगजेब ने कहा- लाडले की गिरफ्तारी से इंसाफ देने वाले परेशान हैं। चीफ जस्टिस ऑफ पाकिस्तान जस्टिस उमर अता बांदियाल को इस्तीफा देना चाहिए। औरंगजेब ने कहा- सुप्रीम कोर्ट एक दहशतगर्द को शह दे रहा है। इमरान की गिरफ्तारी के बाद एक साजिश के तहत हिंसा फैलाई गई। फौज पर हमले किए गए। इस्लामाबाद हाईकोर्ट गिरफ्तारी को सही ठहराया था। मरियम ने आगे कहा- आपके लाडले ने जितना नुकसान एक दिन में किया है। उतना तो भारत 75 साल में नहीं कर सका। सुप्रीम कोर्ट ने इमरान के 60 अरब रुपए के घोटाले पर सवाल क्यों नहीं किए। इस आदमी की वजह से दो दिन में पूरा मुल्क जल गया। इसके पहले उसने पुलिस और रेंजर्स पर हमले कराए। सुप्रीम कोर्ट तब क्यों चुप रहा।