यूएन में देश की आवाज बुलंद करेगी इंदौर की बेटी
इंदौर । मानव अधिकारों के हनन को लेकर पाकिस्तान सहित कई देश अक्सर भारत को कठघरे में खड़ा करते रहते हैं। इन देशों का आरोप होता है कि भारत में दलित, आदिवासी और पिछड़ों पर अभी भी अत्याचार होते हैं। कई देशों के गैर सरकारी संगठन संयुक्त राष्ट्र में इस मुद्दे को मुखरता से उठाते हैं। संयुक्त राष्ट्र में मानव अिधकारों को लेकर चल रहे सम्मेलन इन्ही बातों का जवाब देने के लिए भारत की प्रतिनिधि के तौर पर इस बार इंदौर की बेटी रोहिणी घावरी का चयन किया गया है। इंदौर की रोहिणी जिनेवा में रहकर पीएचडी कर रही है। वो 16 मार्च को संयुक्त राष्ट्र में भारत का पक्ष रखेगीं। रोहिणी खुद दलित समाज का प्रतिनिधित्व करती है और अक्सर दलितों के पक्ष में आवाज उठाती रहती है। इसी कारण भारत सरकार ने रोहिणी का चयन मानव अधिकारों पर भारत का पक्ष रखने के लिए किया है। रोहिणी का कहना है कि भारत में एक दलित को राष्ट्रपति बनाया जाता है, अभी एक आदिवासी महिला हमारी महामहिम है, पिछड़े वर्ग से आने वाले व्यक्ति हमारे प्रधानमंत्री है, इसके बाद भी पाकिस्तान जैसे देश भारत में मानवाधिकारों के हनन का मुद्दा उठाते रहते हैं। इन्हीं बातों का जवाब देने के लिए मुझे मौका मिला है। ये मेरे लिए बेहद खुशी और गर्व का क्षण है।
मां सफाईकर्मी और पिता समाजसेवी
रोहिणी की मां नूतन घावरी कर्मचारी राज्य बीमा निगम अस्पताल में सफाईकर्मी है। उनके पिता भी सफाईकर्मी थे, पर वे नौकरी छोड़कर राजनीति और समाजसेवा में लग गए है। रोहिणी की दो बहन और एक भाई हैं। एक बहन डेंटल सर्जन है, उसका चयन राज्य सरकार में मेडिकल अधिकारी के लिए हो चुका है। एक बहन एलएलबी और भाई इंजीनियरिंग की तैयारी कर रहा है। मां नूतन का कहना है कि रोहिणी का मन बचपन से ही पढ़ाई में खूब लगता था, जब उसने पढ़ने की इच्छा जाहिर की तो हमने उसे सोना गिरवी रख पढ़ाया।
राज्य सरकार ने दी एक करोड़ की स्कालरशिप
रोहिणी ने मार्केटिंग में एमबीए की पढ़ाई की थी। इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए प्रदेश सरकार के अनुसूचित जनजाति विभाग ने उसे एक करोड़ रुपये की स्कालरशिप दी है। जिससे वो जिनेवा में रहकर पीएचडी की पढ़ाई कर रही है। वो कहती है कि मेरे माता-पिता ने बड़े कष्टों के बाद हमें इस मुकाम पर पहुंचाया है। हम चारों भाई-बहन आज दलित समाज के लिए मिसाल बन चुके हैं।
इंटरनेट मीडिया पर रहती है मुखर
रोहिणी इंटरनेट मीडिया पर मुखरता से अपनी बात रखती हैं। वे आए दिन समाज सुधार, दलितों और पिछड़ों के पक्ष में अपने विचार रखती है। साथ ही वह लड़कियों की शिक्षा को लेकर भी अपनी बात रखती है। वो हर दिन एक-दो पोस्ट जरूर करती है।