किम जोंग उन का आदेश, जंग की तैयारी करे सेना
प्योंगयांग । नॉर्थ कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन ने सेना को जंग के लिए तैयारी करने को कहा है। वहीं, अपने टॉप जनरल को भी पद से हटा दिया है। कोरियाई समाचार एजेंसी के मुताबिक किम जोंग उन ने युद्ध की बढ़ती संभावनाओं के मद्देनजर सेना को मिलिट्री ड्रिल्स को बढ़ाने के भी निर्देश दिए हैं। सेना को रियल वॉर ड्रिल करने के आदेश दिए गए हैं।
ये निर्देश किम जोंग उन ने 9 अगस्त को मिलिट्री कमीशन की बैठक के बाद दिए हैं। किम जोंग उन ने जनरल पाक सु इल को हटाकर री योंग गिल को नया मिलिट्री चीफ बनाया है। री योंग गिल इससे पहले देश के रक्षा मंत्री के रूप में काम कर चुके हैं।
किम जोंग उन ने मीटिंग के दौरान सेना से कहा है कि वो अपने सभी हथियारों का मास प्रोडक्शन कराए, ताकि जंग के दौरान उन्हें कमी न हो। दरअसल, किम जोंग उन के आदेशों की एक वजह साउथ कोरिया और अमेरिका के बीच होने वाली मिलिट्री ड्रिल्स भी हैं। ये मिलिट्री ड्रिल 21 से 24 अगस्त तक चलेंगी। इन्हें लेकर नॉर्थ कोरिया चेतावनी भी दे चुका है। बैठक के दौरान किम जोंग उन ने अगले महीने 9 सितंबर को होने वाली मिलिट्री डे परेड की तैयारी को लेकर भी जरूरी निर्देश दिए हैं।
नॉर्थ कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन गुरुवार से पिछले सप्ताह शनिवार तक हथियार बनाने वाली फैक्ट्रियों का दौरा किया। इनमें वो फैक्ट्री भी थी जहां क्रूज मिसाइल और एरियल वेपेन बनाए जाते हैं। इस दौरान तानाशाह खुद राइफल फायर करते नजर आए। किम ने सुपर लार्ज-कैलिबर मल्टिपल रॉकेट लॉन्चर और ट्रांसपोर्टर-इरेक्टर-लॉन्चर के लिए गोले बनाने वाली फैक्ट्रियों का भी निरीक्षण किया। ्यष्टहृ्र के मुताबिक, किम ने कहा कि युद्ध की तैयारी के लिए सबसे जरूरी छोटे हथियारों का आधुनिकीकरण है।
मार्च में नॉर्थ कोरिया ने कई इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल सहित दूसरी मिसाइलों की टेस्टिंग की थी। देश ने पहली बार अपने परमाणु हथियार दुनिया के सामने पेश किए थे। इस दौरान नॉर्थ कोरिया ने और भी खतरनाक परमाणु हथियार बनाने की बात कही थी। न्यूक्लियर एक्सपट्र्स का मानना है कि नॉर्थ कोरिया के हथियार बेशक छोटे हैं फिर भी इन्हें इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलों पर लगाकर अमेरिका और साउथ कोरिया में तबाही मचाई जा सकती है। सियोल नेशनल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर क्यून सू के मुताबिक मार्च में ऑफिशियली दिखाए गए नॉर्थ कोरिया के परमाणु हथियार 2016 के मुकाबले बड़े हैं। इससे परमाणु हथियार बनाने में उनकी तरक्की साफ दिख रही है।