शिवराज की लाडली पर कई राज्यों की नजर
भोपाल । मप्र में हाल ही में शुरू की गई लाडली बहना योजना देशभर में तेजी से पॉपुलर हो रही है। दरअसल लाड़ली बहना हर माह त्यौहार और हर माह उपहार देने वाली योजना साबित होगी। लाडली बहना योजना देश में अपने आप में अनुठी योजना है और इसका लाभ प्राप्त करने के लिए प्रदेश की महिलाओं में क्रांतिकारी उत्साह नजर आ रहा है। इस योजना के क्रियान्वयन की मुख्यमंत्री खुद मॉनिटरिंग कर रहे हैं। वहीं प्रदेशभर में महिला सम्मेलन आयोजित कर मुख्यमंत्री बहनों को इसकी जानकारी दे रहे हैं। परिवारों में बहनें, पैसों के लिए मोहताज और दूसरों पर निर्भर रहती हैं। बहनों के पास स्वयं और अपने बच्चों की बेहतरी पर खर्च करने के लिए पैसे नहीं होते हैं। विशेष रूप से गरीब और निम्न मध्यमवर्गीय परिवारों की महिलाओं की इस निर्भरता और बेचारगी की स्थिति को बदलने की तड़प मेरे मन में हमेशा बनी रही। आर्थिक सशक्तिकरण आत्म-विश्वास और आत्म-सम्मान का आधार है। बहनों के सशक्तिकरण के लिए सीधे उनके खाते में पैसा डालने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना आरंभ की गई है। यह योजना बहनों के जीवन में नया विश्वास जगाएगी।
मप्र सरकार की लाड़ली बहना योजना के पीछे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का मुख्य उद्देश्य ये है कि राज्य की बहनों को वित्तीय सहायता प्रदान करके उन्हें आत्मनिर्भर और सशक्त बनाया जाए। इस योजना के तहत बहनों को हर महीने 1000 रुपए और साल भर में कुल 12000 रुपए दिए जाएंगे। इस योजना के तहत बहनों को एक साल में 12000 की धनराशि दी जाएगी, जोकि लाभार्थी बहनों के सीधे बैंक खाते में ट्रांसफर की जाएगी। यह योजना राज्य में सभी महिलाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने में कारगर साबित होगी। लाडली लक्ष्मी योजना की तरह ही लाडली बहना योजना का संचालन किया जाएगा। इसके लिए पांच वर्षों में सरकार अनुमानित तौर पर 60,000 करोड़ रुपए का आवंटन करेगी। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग और सामान्य वर्ग की महिलाएं इस योजना का लाभ प्राप्त कर सकेंगी।
बहनों की आंखों में आत्म विश्वास भरी मुस्कान
प्रदेश में जब से लाडली बहना योजना लॉच हुई है बहनों की आंखों में आत्म विश्वास भरी मुस्कान दिखने लगी है। खुद मुख्यमंत्री का भी कहना है कि मैं बहनों की आंखों में आंसू नहीं, सशक्त आत्म विश्वास से भरी मुस्कान देखना चाहता हूं। ईश्वर ने मुझे बहनों की जिंदगी बदलने के लिए मुख्यमंत्री बनाया है। हमारी सरकार बहनों के लिए सुख, समृद्धि, सुरक्षा और आनंद के मार्ग के साथ उनकी प्रगति के अवसर निर्मित करने के लिए प्रतिबद्ध है। बेटी को बोझ नहीं वरदान समझा जाए, इस उद्देश्य से ही प्रदेश में लाड़ली लक्ष्मी योजना आरंभ की गई। इसी क्रम में बहनों के आर्थिक सशक्तिकरण, आत्म-विश्वास और आत्म-सम्मान के लिए लाड़ली बहना योजना आरंभ की जा रही है।
बहन-बेटियों को सशक्त बनाना लक्ष्य
शिवराज और उनकी सरकार का लक्ष्य है बहन-बेटियों को सशक्त बनाना है। मुख्यमंत्री का कहना है कि बहन-बेटियां दर्द, बेचैनी और पीड़ा क्यों सहें। हमारी सरकार ने बहन-बेटियों को सशक्त बनाने और उनके कल्याण के लिए योजनाएं आरंभ की। मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना हो या लाड़ली लक्ष्मी योजना, बेटियों के जीवन के हर कदम को सरल बनाने के लिए हमने प्रयास किए। इसी क्रम में महिलाओं को स्थानीय निकायों और पंचायतों में 50 प्रतिशत आरक्षण देकर उनके राजनैतिक सशक्तिकरण की दिशा में प्रभावी प्रयास किया। शासकीय नौकरियों में भी बेटियों को अधिक अवसर देने की व्यवस्था की गई है। पुलिस भर्ती में 33 प्रतिशत स्थान महिलाओं के लिए आरक्षित करने का निर्णय भी लिया गया। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के साथ ही हर वार्ड और गांव में लाड़ली बहना सेना गठित की जाएगी। यह सेना बहनों के साथ अन्याय नहीं होने देगी। लाड़ली बहना योजना का लाभ लेने में मदद करने के साथ घरेलू हिंसा के मामलों और गुंडे-बदमाशों को ठीक करने में भी यह सेना सक्रिय रहेगी। इससे आर्थिक सशक्तिकरण के साथ सामाजिक सुरक्षा के लिए महिलाएं एकजुट होंगी।
गेम चेंजर साबित होगी मामा की बहना
मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान सरकार को लाडली बहना योजना से चुनाव में बहुत उम्मीदे हैं। वहीं इस योजना को लेकर प्रदेश की महिलाओं में बेहद उत्साह नजर आ रहा है। हर महीने एक हजार रुपये देने वाली इस योजना को लेकर तेजी से रजिस्ट्रेशन हो रहे हैं। शिवराज सरकार की ये लाडली बहना योजना गेम चेंजर साबित हो सकती है। इस योजना के तहत महिलाओं को मिलने वाली राशि सीधे उनके बैंक खाता में जमा होगी। इस योजना की शुरुआत 2023 में किया गया है। बता दें कि इस योजना की माध्यम से राज्य के निम्न, मध्यम वर्ग की बहनों और गरीब महिलाओं को राज्य सरकार के तरफ से प्रतिमाह आर्थिक सहायता के रूप में राशि दी जाएगी। इस आर्थिक सहायता राशि से गरीब बहनों को एक हजार रुपए प्रति माह रूप में दिया जाएगा।