भारतीय नस्ल के ज्यादातर पशु क्लाइमेट कंफर्टेबल होते हैं : मोदी
पीएम ने ग्रेटर नोएडा में वर्ल्ड डेयरी समिट का किया उद्घाटन, 50 देशों के 1500 प्रतिभागी हुए शामिल
नोएडा । देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज नोएडा में इंडिया एक्सपो मार्ट में आयोजित इंटरनेशनल डेयरी फेडरेशन वर्ल्ड डेयरी समिट 2022 का उद्घाटन किया। इस अवसर पर यूपी के सीएम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उनके साथ मौजूद हैं। चार दिन चलने वाली डेयरी समिट में 50 देशों के लगभग 1500 प्रतिभागियों हिस्सा ले रहे है। पीएम मोदी ने अंतरराष्ट्रीय डेयरी सम्मेलन का उद्घाटन करते कहा कि भारतीय नस्ल के ज्यादातर पशु क्लाइमेट कंफर्टेबल होते हैं। पीएम भारतीय नस्ल के पशुओं के जलवायु के अनुसार खुद को ढालने का एक किस्सा सुनाया। उन्होंने गुजरात की बन्नी भैंस की कहानी सुनाते हुए कहा कि इससे आपको पता चलेगा कि भारतीय पशुओं की नस्लें कितना ज्यादा क्लाइमेट कंफर्टेबल होती हैं। पीएम ने कहा कि बन्नी भैंस रात में चारा चरने 15 किलोमीटर दूर तक चली जाती है। पीएम मोदी ने कहा कि गुजरात के कच्छ में रहने वाली बन्नी भैंस वहां की रेगिस्तान की परिस्थितियों से ऐसी घुलमिल गई है कि देखकर कई बार हैरानी होती है। वहां दिन में भयंकर धूप होती है। इसलिए बन्नी भैंस रात के कम तापमान में घास चरने के लिए निकलती है। पीएम ने कहा कि विदेश से आए हमारे साथी ये जानकर चौंक जाएंगे कि उस समय समय बन्नी भैंस के साथ उसके किसान या पालक साथ नहीं होते हैं। बन्नी भैंस खुद चारागाह में जाती है। रेगिस्तान में पानी कम होता है। इसलिए बहुत कम पानी में भी बन्नी भैंस का काम चल जाता है।
पीएम मोदी ने बताया कि बन्नी भैंस रात में 15-15 से लेकर 17-17 किलोमीटर तक दूर घास चरने जाती है। उन्होंने कहा कि इतनी दूर जाकर घास चरने के बाद भी बन्नी भैंस सुबह अपने आप खुद घर चाली आती है। पीएम ने कहा कि ऐसा बहुत कम सुनने में आता है कि किसी की बन्नी भैंस खो गई हो या गलत घर में चली गई हो। पीएम ने कहा कि मैंने आपको सिर्फ बन्नी का ही उदाहरण दिया है लेकिन भारत में मुर्रा, मेषाणा, जाफराबादी, नीली रवि, पंडरपुरी जैसे अनेक नस्लें भैंस की आप भी अपने-अपने तरीके से विकसित हो रही हैं। उन्होंने कहा कि गीर गाय, सैवाल, राठी, कांकरे, थारपारकर हरियाणा ऐसी ही कितनी गाय की नस्लें हैं जो भारत की डेयरी सेक्टर को यूनिक बनाती हैं। भारतीय नस्ल के ज्यादातर पशु क्लाइमेट कंफर्टेबल भी होते हैं।
गुजरात के कच्छ क्षेत्र में भैंस की प्रमुख प्रजाति ‘बन्नी’ की एक भैंस ने यहां गिर सोमनाथ जिले में एक किसान के घर पर आईवीएफ तकनीक के जरिए एक बच्चे को जन्म दिया। अधिकारी ने बताया कि इस तकनीक के जरिए भैंस के बच्चे का जन्म कराए जाने का उद्देश्य आनुवांशिक तौर पर अच्छी मानी जाने वाली इन भैंसों की संख्या बढ़ाना है ताकि दूध उत्पादन भी बढ़ सके। बन्नी भैंस शुष्क वातावरण में भी अधिक दुग्ध उत्पादन की क्षमता के लिए जानी जाती हैं। बन्नी ग्रास लैंड जानवरों के चारे के लिए दुनियाभर में मशहूर है। बन्नी भैंस की नस्ल ऐसी होती है, जिसे तमाम दुग्ध उत्पादक खरीदना चाहते हैं। बन्नी भैंस की कीमत एक लाख रुपये से लेकर 3 लाख रुपये तक हो सकती है। इस भैंस की खासियत ये भी है कि ये अधिक सर्दी और अधिक गर्मी दोनों ही बर्दाश्त करने की क्षमता से लैस होती है।