मप्र की विकास दर दोहरे अंक में पहुंची
भोपाल । कोरोना संक्रमणकाल के बाद अब धीरे-धीरे राज्यों की अर्थव्यवस्था पटरी पर आने लगी है। मप्र सहित 19 राज्यों की विकास दर दोहरे अंक में पहुंच गई है। इससे त्योहारी सीजन से पहले बाजार को शुभ संकेत मिले हैं। यानी आने वाले समय में बाजार में बूम आने वाला है। मध्य क्षेत्रीय परिषद की बैठक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी दावा किया कि राज्य में प्रचलित दरों पर 19.74 प्रतिशत की विकास दर अर्जित की है, जो देश में सर्वाधिक है। भारत के 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थ-व्यवस्था बनाने में योगदान देने के उद्देश्य से प्रदेश में 500 बिलियन डॉलर के लक्ष्य के साथ कार्य जारी है। प्रदेश में विकास की गति को देखते हुए अच्छे कारोबार की संभावना को बल मिला है।
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अनुसार कोरोना महामारी की मार से उबरते हुए देश के 19 राज्यों का आर्थिक विकास कोरोना-पूर्व की अवस्था को पार कर गया है। वर्ष 2021-22 के आर्थिक विकास के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि इन 19 में से मध्यप्रदेश समेत सात राज्य तो ऐसे हैं जिनकी विकास दर दोहरे अंकों में पहुंच गई है। विश्लेषण में 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को शामिल किया गया था। गुजरात और महाराष्ट्र सहित 11 राज्य के आंकड़े उपलब्ध नहीं होने के कारण इसमें शामिल नहीं हो पाए। जिन 21 राज्यों का अध्ययन किया गया है उनमें सिर्फ केरल और उत्तर प्रदेश ही अपवाद हैं, जिनकी विकास दर कोविड-पूर्व के स्तर से नीचे बनी हुई है।
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार कोरोना महामारी की मार से उबरते हुए देश के जिन 19 राज्यों ने बेहतर प्रदर्शन किया है उनमें आंध्र प्रदेश, राजस्थान, बिहार, तेलंगाना, दिल्ली, ओडिशा, मध्य प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक, त्रिपुरा, सिक्किम, हिमाचल प्रदेश, मेघालय, झारखंड, जम्मू कश्मीर, पंजाब, तमिलनाडु, पुडुचेरी और उत्तराखंड शामिल है। आंध्र प्रदेश ने सबसे अधिक 11.43 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है वहीं सबसे कम पुडुचेरी ने 3.31 फीसदी। अरुणाचल प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, महाराष्ट्र, मणिपुर, मिजोरम, नगालैंड, पश्चिम बंगाल, अंडमान -निकोबार व चंडीगढ़ के आंकड़े उपलब्ध नहीं हुए। उत्तर प्रदेश ने 2021-22 में सबसे कम 4.24 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज की।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने का कहना है कि मध्यप्रदेश विभिन्न क्षेत्रों में विकास के नए आयाम स्थापित कर रहा है। गत वित्त वर्ष में मध्यप्रदेश 19.74 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर के साथ देश में अग्रणी है। प्रदेश के पूंजीगत व्यय में लगभग 45 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इस साल पूंजीगत व्यय के लिए 48 हजार 800 करोड़ रूपए की राशि से बेहतर कार्य हो रहे हैं। भारत की अर्थ-व्यवस्था में प्रदेश का योगदान बढ़ कर 4.6 प्रतिशत हो चुका है। आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के लिए निरंतर प्रयास हुए हैं।
देश में सबसे पहले मध्यप्रदेश ने आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश का रोडमेप बनाया और इस पर तेजी से कार्य जारी है। प्रधानमंत्री मोदी के विकास, जन-कल्याण और स्वराज के तीनों मंत्रों को प्रदेश ने अपना मिशन बनाया है। पूंजीगत व्यय बढ़ाने से अधो-संरचना विकास होता है और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होते हैं। इसलिए प्रदेश अब राज्य के सकल घरेलू उत्पाद के 04 प्रतिशत तक पूंजीगत व्यय कर रहा है। इस वर्ष पूँजीगत व्यय के लिए 48 हजार 800 करोड़ रूपये का बजट रखा गया है, जो अब तक का सबसे बड़ा बजट प्रावधान है।