मुलायम सिंह को पसंद थी विदिशा की रबड़ी और नमकीन
विदिशा । पहलवानी करते करते राजनीति के अखाड़े में उतरे मुलायम सिंह यादव खानपान के काफी शौकीन थे। उन्हें विदिशा की रबड़ी और नमकीन बेहद पसंद था। उनके बेहद करीबियों में शुमार पूर्व राज्यसभा सदस्य स्व.चौधरी मुनव्वर सलीम जब भी मुलायम से मिलने दिल्ली या लखनऊ जाते तो रबड़ी और नमकीन ले जाना नहीं भूलते थे। चौधरी के जाने के बाद भी मुलायम सिंह का रिश्ता उनके परिवार से बराबर कायम रहा। सोमवार को जब मुलायम के निधन की सूचना मिली तो विदिशा के चौधरी परिवार में भी गम का माहौल था। चौधरी मुनव्वर सलीम के भाई मुबस्सर बताते है कि मुलायम और उनके परिवार का रिश्ता करीब 40 वर्ष पुराना है। 1980 में जब जनता पार्टी से अलग होकर मुलायम जनता पार्टी सेक्युलर में शामिल हुए, तभी से उनके भाई सलीम मुलायम से जुड़ गए थे। उन्हीं की बदौलत सलीम राज्यसभा पहुंचे थे। मुबस्सर बताते है कि मुलायम छह - सात बार विदिशा आए थे। वर्ष 2002 में विदिशा में समाजवादी पार्टी की दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक रखी गई थी, जिसमें मुलायम दो दिन स्थानीय विश्राम गृह में रुके थे। इस दौरान वे सलीम के घर भी गए थे और रास्ते में बड़ा बाजार में सब्जी वालों से बातचीत भी की थी। मुबस्सर बताते है कि वे अपने कार्यकर्ताओं का बेहद ख्याल रखते थे। जब उनके बड़े भाई सलीम को पहली बार हार्ट अटैक आया था, तब नेताजी ने ही दिल्ली में उनका उपचार कराया था। वे कहते है कि उनके निधन हमारे परिवार का निजी नुकसान है।
चुनावी प्रचार में भी आ चुके है मुलायम
विदिशा जिले में मुलायम राजनैतिक रूप से भी काफी सक्रिय थे। उन्होंने विदिशा, सिरोंज और शमशाबाद विधानसभा क्षेत्र में स्थानीय नेताओं को विधानसभा का चुनाव लड़वाया था। सिरोंज विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे चौधरी मुनव्वर सलीम के चुनाव में वे सिरोंज और लटेरी में जनसभा के लिए पहुंचे थे। इसके अलावा उन्होंने विदिशा विधानसभा क्षेत्र के चुनाव में सपा के प्रत्याशी रहे बसंत जैन के समर्थन में माधवगंज चौराहे पर आमसभा को संबोधित किया था। आजकल शीतल विहार न्यास के अध्यक्ष की भूमिका निभा रहे बसंत जैन कहते है कि आज की राजनीति में मुलायम जैसे नेता बहुत कम बचे है। उनका कार्यकर्ताओ तक सीधा जुड़ाव रहता था। इसी वजह से वे लंबे समय तक सांसद, विधायक और मुख्यमंत्री रहे।