मुख्यमंत्री, मंत्रिमंडल में बदलाव की खबरो ने जोर पकड़ा
जयपुर । कांग्रेस को हराकर सत्ता में पहुंची भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व ने 2023 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान सांगानेर से पहली बार चुने गए विधायक भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री का पद संभलाकर शायद सोचा होगा कि जिस प्रकार 2014, 2019 में मोदी शाह के नेतृत्व में पार्टी ने राजस्थान में सभी 25 सीटोंं पर जीत हासिल की थी ठीक उसी तरह 2024 में भी सपना संजोये भाजपा के आला नेताओं का सपना सपना रह गया भाजपा और कांग्रेस की सीधी टक्कर में इस बार कांग्रेस ने अपने सहयोगी दलों के साथ 11 सीटो पर जीत दर्ज कराकर प्रदेश के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी, प्रदेश प्रभारी, एवं चुनाव की कमान संभालने वाले नेताओं की चुनावी रणनीति पर प्रश्न चिन्ह खड़ा कर दिया है। अपुष्ट खबरो की माने तो दो बार की मुख्यमंत्री रही श्रीमती वसुंधरा राजे के समर्थको में तीसरी बार मुख्यमंत्री नहीं बनाने का मलाल घर कर गया था इस स्थिति को साफ तब देखा गया जब भजनलाल का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए राजनाथ सिंह ने स्वंय वसुंधरा राजे के हाथ पर्ची खुलवाकर ओपन किया था।
राजे स्वयं स्टारप्रचारक थी पर उन्होने अपने पुत्र दुष्यंत सिंह को जीतने के लिए सारा समय वहीं लगा दिया था और वे राजस्थान की सीट टू सीट प्रचार प्रक्रिया में शामिल नहीं हुई ऐसे में भाजपा का 11 सीटों का हारना चर्चा का विषय बन गया है। चर्चा को बल तब ओर मिल गया जब भजनलाल सरकार में किरोडीलाल द्वारा लोकसभा चुनाव के परिणाम से पहले दिया गया वो बयान जिसमें मोदी ने मुझे सात सीटो की जिम्मेदारी दी है अगर इनमें दौसा लोकसभा सीटा भाजपा हार जाती है तो मै इस्तीफा दे दूंगा अब चुकी भाजपा राजस्थान में 11 लोकसभा सीटे हार गई जिसमें दौसा सीट भी है किरोडी लाल मीणा ने जिस प्रकार एक्स पर लिखा था प्राण जाएं पर वचन ना जायें को चरितार्थ किया तो भजनलाल मंत्रिमंडल में एक कैबिनेट मंत्री की जगह और खाली हो जायेगी इसके अलावा अगर पार्टी ने हार के मंथन के बाद लोकसभा में सीट टू सीट जिम्मेदारी संभालने वाले नेताओं में जिन 11 सीटों पर जीत नहीं दिला पाई उनका भी मंत्रिमंडल में बदलाव के बाद बने रहना मुश्किल दिखता है। कुल जमा पांच माह और पहली बार बने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने लोकसभा चुनाव के दौरान प्रचार में जितना पसीना बहाया उसका असर ही है कि राजस्थान की 14 सीटों पर कमल निशान खिल सका वरना जिन परिस्थितियों में मुख्यमंत्री ने राज्य की कमान संभाली वो परिस्थितियां प्रदेश स्तर पर पार्टी में मनभेद, मतभेद की थी ऐसे में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री तीन बार के सांसद, चार बार विधायक, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे विष्णुदेव साय ने प्रदेश की 11 में से 10 सीटो पर पर कमल खिलाया, मध्यप्रदेश में तीन बार के विधायक और मुख्यमंत्री मोहन यादव ने तो 29 में से 29 सीटों पर गुड परर्फोरमेंस दिया है। मुख्यमंत्री भजनलाल की मेहनत को भी कमत्तर नहीं आंका जा सकता है राजस्थान में 25 में से 14 सीटें भाजपा के खाते में डाली है जबकि पहली बार विधायक, पहली बार ही मुख्यमंत्री बने है फिर भी मुख्यमंत्री को बदले जाने की खबरें उछल रही है फिलहाल जब तक केन्द्र में मोदी की गठबंधन वाली सरकार नहीं बनती तब तक किरोडी लाल मीणा का बयान राजे समर्थको की क्रिया प्रतिक्रिया और मुख्यमंत्री के साथ, मंत्रिमंडल में बदलाव की खबरो को ठहराव नहीं मिलेगा।