गोशाला अर्थव्यवस्था पर रोडमैप तैयार कर रहा नीति आयोग
आवारा पशु एक बड़ा चुनावी मुद्दा बना था। किसानों का फसल बर्बाद करना, और किसानों द्वारा रातभर जागकर अपने खेतों की इन छुट्टे पशुओं से रखवाली करने की बड़ी चर्चा थी। तब बहराइच में किसानों के दर्द को भांपते हुए चुनावी सभा को संबोधित करने के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 मार्च के बाद छुट्टा जानवरों से छुटकारा दिलाने को लेकर बड़ा वादा किया था। पीएम मोदी ने कहा कि यूपी के किसानों को छुट्टा जानवरों से हो रही दिक्कतों को हम गंभीरता से ले रहे हैं।
अब नीति आयोग जिसके अध्यक्ष खुद पीएम मोदी है उसने छुट्टा जानवरों की दिशा में काम करना शुरू कर दिया है। गाय के गोबर के व्यावसायिक इस्तेमाल और किसानों के लिए बोझ बनने वाले आवारा पशुओं से जुड़े अलग अलग मसलों को हल करने को लेकर नीति आयोग एक रोडमैप तैयार कर रहा है। नीति आयोग ने आर्थिक शोध संस्थान एनसीएईआर को गोशालाओं से व्यावसायिक लाभ हासिल करने और उसके अर्थशास्त्र पर एक रिपोर्ट तैयार करने के लिए भी कहा है। रमेश चंद ने कहा कि, हम सिर्फ यह देख रहे हैं कि गोशाला अर्थव्यवस्था में सुधार की क्या संभावनाएं हैं। हम इस संभावना को देख रहे हैं कि क्या हम गौशाला से प्राप्त होने वाले उप-उत्पादों यानी गोबर से कुछ मूल्य सृजित कर सकते हैं या इसका मूल्यवर्धन कर सकते है।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के समय अपने मालिकों द्वारा छुट्टा छोड़ दिये गये आवारा पशुओं की समस्या बड़ा चुनावी मुद्दा बना था। तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस समस्या का समाधान निकालने का भरोसा दिया था। रमेश चंद के मुताबिक, अवांछित मवेशियों को खुले में छोड़ना फसलों के लिए हानिकारक है इसलिए हम गोशाला अर्थव्यवस्था पर काम किया जा रहा है।