यूपी की इस सीट से चुनाव लड़ सकते हैं नीतीश कुमार...
प्रयागराज। ऐतिहासिक फूलपुर संसदीय क्षेत्र से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने की अटकलों को फिर पंख लगे हैं। इसकी वजह है क्षेत्र में कराया जा रहा सर्वे। इसमें क्या आया है, इस बारे में जनता दल यूनाईटेड के पदाधिकारी गोपनीयता बरत रहे हैं, लेकिन विपक्षी (भाजपाई) चौकन्ने हो चले हैं।
मौजूद भाजपा सांसद केशरीदेवी पटेल इतना भर कहती हैं कि सब लगे हैं, चुनाव लड़ने से कोई किसी को रोक नहीं सकता। पटेल बाहुल्य इस संसदीय क्षेत्र में लगभग 19.75 लाख मतदाता हैं। करीब चार लाख पटेल मतदाता जिसके पक्ष में एकतरफा झुकते हैं उसका पलड़ा भारी हो जाता है।
जवाहर लाल नेहरू कर चुके हैं इस सीट का नेतृत्व
इस संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू कर चुके हैं, इसलिए यह हमेशा खास रही है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि नीतीश कुमार यहां से लोकसभा चुनाव लड़कर अपनी छवि राष्ट्रीय स्तर के नेता के रूप में स्थापित करना चाहते हैं।
मई में नीतीश कुमार ने जौनपुर के पूर्व सांसद धनंजय सिंह को राष्ट्रीय महासचिव बनाया था। धनंजय सिंह की प्रतिक्रिया ने हलचल बढ़ा दी। उन्होंने कहा था कि ‘हमारी पार्टी चाहती है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार फूलपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ें।’
इसके बाद से तीर कमान लगे झंडे वाली कार इस संसदीय क्षेत्र में दौड़ने लगीं। युवा जनता दल के राष्ट्रीय सचिव नीरज पटेल ने करीब छह माह से आंतरिक सर्वे कराए जाने की बात मानी। बताया कि हमारी लोकल टीम है, पटना कार्यालय में एमएलसी संजय सिंह को रिपोर्ट दी गई है। यदि नीतीश कुमार यूपी में चुनाव लड़ते हैं तो फूलपुर से ही लड़ेंगे। मीरजापुर में भी बात थी लेकिन वहां अनुप्रिया पटेल हैं।
तो 20 साल बाद लड़ेंगे लोकसभा चुनाव
नीतीश कुमार वर्ष 2004 के लोकसभा चुनावों में बाढ़ एवं नालंदा से चुनाव लड़े। नालंदा से जीते परंतु बाढ़ की सीट हार गए। यदि फूलपुर से वह चुनाव मैदान में उतरते हैं तो करीब 20 साल बाद फिर लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे। अपने गृहराज्य से बाहर किसी अन्य राज्य में उनके लोकसभा चुनाव लड़ने का यह पहला मौका मिलता है।
नहीं गलने पाएगी दाल
केशरीदेवी पटेल फूलपुर से भाजपा सांसद केशरीदेवी पटेल आश्वस्त हैं कि नीतीश कुमार की दाल नहीं गलेगी। उन्होंने दैनिक जागरण से कहा कि पहले भी कुछ लोग आए। क्षेत्रीय लोगों ने उन्हें खारिज कर दिया। उनका इशारा सोनेलाल पटेल तथा कौशलेंद्र पटेल के रूप में है।
अपना दल संस्थापक सोनेलाल पटेल इस क्षेत्र से कभी चुनाव नहीं जीत पाए जबकि यह पटेल बाहुल्य है। वाराणसी के महापौर रह चुके कौशलेंद्र पटेल उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य द्वारा लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद हुए चुनाव में भाजपा से उतरे थे। उन्हें भी सपा के नागेंद्र पटेल से शिकस्त मिली है। नीतीश कुमार वर्ष 2016 में इसी संसदीय क्षेत्र में जनसभा भी संबोधित कर चुके हैं।