भोपाल । लोकसभा चुनाव से पहले और चुनाव के दौरान कांग्रेस को पीठ दिखाने वाले दगाबाज नेताओं को अब भाजपा अपनापन देने पर विचार कर रही है। पार्टी की मुख्यधारा से जोडऩे के लिए अब इन्हें हर बैठक और गतिविधि से जोड़ा जाएगा। इनमें से कुछ नेताओं को संगठन में बड़ी जिम्मेदारी भी दी जा सकती है। चुनावी नतीजे आने के बाद इस प्रक्रिया पर काम शुरू किया जाएगा। लेकिन प्रदेश की इस सियासी गतिविधि पर पूरी तरह केंद्रीय नेतृत्व का फैसला ही काम करेगा।
गौरतलब है कि इससे पहले कांग्रेस के हाथ से सरकार खींच ले जाने के अगुआ बने ज्योतिरादित्य सिंधिया को भाजपा पद और कद से नवाज चुकी है। भाजपा ने उन्हें राज्यसभा के रास्ते केंद्र सरकार का सदस्य भी बनाया और इस सरकार में महत्वपूर्ण विभाग का मंत्री भी बनाया गया। इस लोकसभा चुनाव में सिंधिया को मैदान दिया है। उम्मीद की जा रही है कि इस चुनाव में जीत के बाद उन्हें पहले से ज्यादा मजबूत जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।

बड़ी संख्या में कांग्रेस आए भाजपा में


लोकसभा चुनाव के दौरान तेजी से चले घटनाक्रम में बड़ी तादाद में कांग्रेस की टूट के हालात बने थे। भाजपा और कांग्रेस इस पलायन को लेकर अलग अलग आंकड़े पेश करते रहे हैं। लेकिन पलायन के बाद नई पार्टी और नए लोगों के साथ जा बैठे पुराने पूर्व कांग्रेसियों को अब अपने वजूद पर संकट नजर आने लगा है। भाजपा नेतृत्व ने नई आमद की इसी बेचैनी को भांपते हुए नई रणनीति बनाई है। इसके तहत अब कांग्रेस से आए नेताओं को भाजपा की मुख्यधारा से जोडऩे की तैयारी की जा रही है। सूत्रों का कहना है कि पार्टी ने जिला और मंडल अध्यक्षों को इस बारे में निर्देश दे दिए हैं। इन्हें कहा गया है कि नई आमद को हर बैठक और पार्टी गतिविधियों के बारे में जानकारी देने के लिए कहा गया है।

मिलेगी नई भूमिका


कांग्रेस से पलायन करके भाजपा में आए कई नेता अपनी पूर्व पार्टी में कद, पद, ओहदा और सम्मान रखते थे। भाजपा ने इन लोगों को उनका खोया सम्मान लौटाने की भी रणनीति बनाई है। तय किया गया है कि ऐसे सभी नेताओं को उनके सामथ्र्य और कार्यशक्ति के लिहाज से भूमिका दी जाएगी। सूत्र बताते हैं कि इस पूरे मामले में केंद्रीय नेतृत्व की सलाह पर ही काम किया जाएगा। इससे पहले इस बात पर भी सहमति बन चुकी है कि कांग्रेस छोडक़र भाजपा में आए विधायकों को प्रदेश मंत्रिमंडल में जगह दी जाएगी। ऐसे विधायकों की गिनती करीब चार के आसपास है।