अब नौकरी देने से ज्यादा सरकार का स्टार्टअप पर जोर
भोपाल । मध्यप्रदेश में बेरोजगारी की समस्या से निपटने के लिए चुनावी साल में सरकार नए प्लान पर अमल करने जा रही है। अब वार्ड स्तर पर ही रोजगार मुहैया कराने पर सरकार का जोर होगा। नगरीय विकास एवं आवास विभाग इस प्लान पर पायलट प्रोजेक्ट के रूप में अमल करेगा। भोपाल, जबलपुर, इंदौर और ग्वालियर नगर निगमों में इसे लागू किया जाएगा। दरअसल, अब नौकरी देने से ज्यादा सरकार का जोर स्टार्टअप पर है। खास बात यह है कि रोजगार के लिए लोन समेत अन्य सहायता के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। बता दें कि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में कुल पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या 25 लाख 81 हजार है।
नगरीय विकास एवं आवास विभाग के अधिकारियों ने बताया कि वार्ड स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराने का कॉन्सेप्ट स्मार्ट सिटी के बी-नेस्ट के एक आइडिया पर तैयार किया गया। इस योजना पर मुख्य रूप से रोजगार कार्यालय और नगरीय प्रशासन काम करेगा। रोजगार पंजीयन के ऑनलाइन आंकड़ों को संबंधित जोन के जरिए वार्डों में उपलब्ध कराया जाएगा। ताकि संबंधित वार्ड के पंजीकृत बेरोजगार की जानकारी जुटाई जा सके। अच्छी बात यह है कि रोजगार देने के लिए ग्राउंड जीरो से पहल भी अब सरकार करेगी। पायलट प्रोजेक्ट रिपोर्ट के बाद इसे पूरे प्रदेश के नगरीय निकायों में लागू किया जाएगा।
ऐसे मिलेगा वार्डों में रोजगार
डाटा संग्रहण
प्लान के तहत संबंधित वार्डों में रहने वाले बेरोजगारों का डाटा तैयार किया जाएगा। रोजगार पंजीयन कार्यालय से शैक्षणिक योग्यता समेत कार्य अनुभव का पूरा खाका तैयार होगा। रोजगार पंजीयन कार्यालय से यह डाटा संबंधित निकाय को मिलेगा।
प्लानिंग रिपोर्ट
संबंधित वार्ड भी अपने स्तर पर रोजगार को लेकर रिपोर्ट तैयार करेगा। इसमें वार्ड में रोजगार के साधन, आवश्यकता, हॉकर्स कॉर्नर समेत अन्य वर्तमान स्थिति की जानकारी होगी। संपत्ति कर समेत अन्य कर वसूली के लिए यह डाटा निकायों में उपलब्ध होता है। अब इसका वर्गीकरण किया जाएगा।
आवेदन और रूचि
रोजगार के लिए संबंधित व्यक्ति से वार्डों में कार्यरत अमला भी संपर्क करेंगे। तय प्रारूप में रोजगार के लिए आवेदन करना होगा। इस आवेदन में रोजगार का प्रकार समेत स्टार्टअप की प्रारंभिक जानकारी देना होगी।
आवेदन का वर्गीकरण और काउंसलिंग
संबंधित निकाय को आवेदन का वर्गीकरण भी करना होगा। स्टार्टअप समेत नौकरी की अलग-अलग श्रेणियों का निर्धारण होगा। वर्गीकरण के बाद काउंसलिंग की जिम्मेदारी भी संबंधित नगरीय निकाय की होगी। काउंसलिंग में कैसे स्टार्टअप खड़ा किया जाएगा। इन तमाम पहलुओं पर चर्चा होगी।
योजनाओं से लाभ की प्राथमिकता
काउंसलिंग के बाद स्टार्टअप खड़ा करने के लिए पहला जोर सरकारी योजनाओं पर होगा। प्रदेश में रोजगार के लिए कई योजनाओं का संचालन किया जा रहा है। इस योजना के जरिए ही स्टार्टअप खड़ा करने पर जोर होगा।
कैटेगरी प्लान
जरूरी नहीं है कि जिस वार्ड का रहवासी हो उसी वार्ड में रोजगार मुहैया कराया जाएगा। इसके लिए जोन स्तर पर भी प्लानिंग होगी। यदि चुना गया स्टार्टअप संबंधित वार्ड में अमल में नहीं जा सकता तो अन्य वार्ड में संभावनाएं तलाशी जाएंगी।
नौकरी के लिए भी निकाय करेंगे पहल
वार्ड स्तर पर रोजगार के लिए नौकरी मुहैया कराने पर भी प्लान तैयार है। यह काम भी कंसल्टेंसी की तर्ज पर होगा। अंतर बस इतना है कि यह काम मुफ्त किया जाएगा। शैक्षणिक योग्यता मुताबिक रिक्वायरमेंट निकायों में दर्ज कराई जाएगी। यह काम भी ऑनलाइन होगा। वार्ड और जोन स्तर पर यह जानकारी संबंधित संस्था या कंपनी तक पहुंचाई जाएगी। स्टार्टअप और नौकरी की मंथली रिपोर्ट से रोजगार सृजन की स्थिति साफ होगी। बता दें कि बिना रोजगार कार्यालय पंजीयन के बिना लाभ नहीं मिलेगा।
मप्र में बेरोजगारी की स्थिति
सरकारी आंकड़े बताते हैं कि एमपी में कुल पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या 39 लाख 32 हजार 634 है। प्रदेश में ओबीसी वर्ग के बेरोजगारों की संख्या करीब 10 लाख है। 8 लाख 11 हजार सामान्य वर्ग के पंजीकृत बेरोजगार हैं। अनुसूचित जाति वर्ग के 4 लाख 35 हजार और अनुसूचित जनजाति वर्ग के 3 लाख 36 हजार बेरोजगार हैं। बेरोजगारी के मामले ग्वालियर प्रदेश के पहले स्थान पर है। यहां 1 लाख 55 हजार पंजीकृत बेरोजगार हैं। दूसरे नंबर पर 1 लाख 31 हजार बेरोजगारों के साथ भोपाल और तीसरे पायदान पर 1 लाख 9 हजार बेरोजगारों की संख्या के साथ रीवा है।
यह अनूठी पहल है- मंत्री
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ओपीएस भदौरिया ने बताया कि रोजगार सृजन को लेकर सरकार कई योजनाओं पर काम कर रही है। इसके अलावा नए प्रयोग भी किए जा रहे हैं। जल्द ही इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया जाएगा। निश्चित ही यह नवाचार आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित होगा।