मप्र चिंताजनक स्थिति में पहुंचा जलसंकट

भोपाल । देश के प्रमुख जलाशयों के जल संग्रहण में गिरावट आई है और वर्तमान में यह कुल भंडारण क्षमता का 25 प्रतिशत ही रह गया है। केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) ने अपने साप्ताहिक बुलेटिन में कहा कि वर्तमान में देश के 150 प्रमुख जलाशयों में 45.277 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी है। मप्र में तालाब, कुएं और स्टॉप डेम सूख चले हैं। इससे प्रदेश में जलसंकट की स्थिति चिंताजनक स्थिति में पहुंच गई है। केंद्र व प्रदेश सरकार एक तरफ जलसंरक्षण के लिए तालाब व स्टॉप डेम बनाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। दूसरी तरफ इन योजनाओं को मूलस्वरूप में लाने के नाम जिम्मेदार अफसर भ्रष्टाचार करने पर आमदा है। तालाब और स्टॉप डेम में एक बूंद भी पानी नहीं ठहर रहा है। जबकि जलस्तर नीचे गिरने से कुंए सूख गए तथा हैंडपंपों ने भी पानी देना बंद कर दिया है।

 

 28 गांवों में लोग पानी के लिए तरस रहे


सिंगरौली जिले के चितरंगी निवासी सूरज सिंह बताते हैं कि ग्राम अजगुढ़ सहित ब्लॉक के 28 गांवों में लोग एक-एक बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं। गांवों के हैंडपंप, कुएं और आसपास के जलस्त्रोत सूख गए हैं। सूरज बताते हैं कि गांव के लोग पानी के लिए पास के गांवों पर निर्भर हैं। ग्राम पंचायत के रोजगार सहायक ने सीईओ को हकीकत बताई तो उल्टा उसे ही अपशब्द सुनने पड़े। मामला ऊपर पहुंचा तो सीईओ को फोर्स लीव पर भेज दिया। दरअसल, सरकार ने 12 दिन के जल गंगा संवर्धन अभियान में पता चला कि रीवा जिले के कई तालाब, बावड़ी, स्टापडेम सहित अन्य जल स्त्रोत सूख गए हैं। यहां मनरेगा योजना से जीर्णोद्धार कराए जा रहे हैं। इसी जिले के ग्राम पंचायत पिपरा में स्टाप डैम की साफ-सफाई एवं मरम्मत का कार्य चल रहा है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने अकेले जल गंगा संवर्धन अभियान में ग्रामीण क्षेत्रों में 56 हजार से अधिक काम खोले हैं। इनमें 37 हजार से ज्यादा नए काम लिए गए हैं तो जीर्णोद्धार के 19 हजार से ज्यादा हैं। विभाग ने 11 सौ करोड़ खर्च होने का प्लान बनाया है। इससे तालाबों की मरम्मत का काम भी किया जाएगा। नए कुएं, कूप जीर्णोद्धार, खेत तालाब, चेक डैम, स्टापडेम, तालाब, नदी का गहरीकरण कराया जा रहा है। इसके अलावा जहां जरूरत है, वहां साफ सफाई कराई जा रही है। नाला सुधार, परकोलेशन टैंक, रिचार्ज पिट आदि कार्य कराए जाने से ग्राम पंचायतों में ही मजदूरों को काम भी मिल रहा है।

 

यहां पानी के लिए त्राहि-त्राहि


तालाबों के सूखने, कुंओं में पानी नहीं और हैंडपंपों के जवाब देने के मामले सबसे ज्यादा छतरपुर, पन्ना, बालाघाट, झाबुआ, भिंड, मुरैना, गुना, दतिया, सागर, सतना, सिंगरौली, शहडोल जिलों में हैं। तीन साल पहले प्रदेशभर में टूटे-फूटे छोटे तालाब और ऐतिहासिक महत्व जल संरचनाओं में जल स्तर बढ़ाने पुष्कर धरोहर योजना आई। इसके अंतर्गत 33 हजार से अधिक पुष्कर धरोहरों का जीर्णोद्धार हुआ। इनमें 80 फीसदी इस गर्मी में सूख चुके हैं। आयुक्त मनरेगा चेतन्य कृष्ण का कहना है कि गंगा जल संवर्धन अभियान में ग्रामीण क्षेत्रों में एक हजार करोड़ से अधिक के काम हो रहे हैं। 33 हजार पुष्कर धरोहर कंपलीट हैं और 5,700 अमृत सरोवर बन चुके हैं। जल स्तर बढ़ाने के सभी प्रयास हो रहे हैं।