प्रधानमंत्री मोदी ने रईसी के निधन पर गहरा शोक जाहिर किया
ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की रविवार को हुए हेलीकॉप्टर हादसे में दुखद निधन हो गया। इस हेलीकॉप्टर हादसे में ईरान के विदेश मंत्री आमिक अब्दोलाहाई की भी मौत हो गई। ये हादसा ऐसे समय में हुआ है, जब समूचा पश्चिम एशिया इस्राइल-गाजा के संघर्ष में उलझा हुआ है। राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के निधन से भारत को निश्चित रूप से गहरा झटका लगा है। रईसी भारत-ईरान के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के पक्षधर थे। रईसी का इस साल भारत दौरा भी प्रस्तावित था, जहां भारत और ईरान के बीच कई समझौतों पर द्वीपक्षीय बातचीत होनी थी। विदेशी मामलों के जानकारों का कहना है कि अपने निधन से पहले ही रईसी भारत के साथ ऐसा एतिहासिक समझौता कर गए, जिसने भारत की अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक पहुंच को और आसान कर दिया। उनके कार्यकाल में ही भारतीयों के लिए वीजा ऑन अराइवल सर्विस शुरू की थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी दुखी
ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की मौत से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी दुखी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इब्राहिम रईसी के बीच ट्यूनिंग काफी अच्छी थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पर लिखा, 'भारत-ईरान द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने में उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। उनके परिवार और ईरान के लोगों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना। दुख की इस घड़ी में भारत ईरान के साथ खड़ा है।' इब्राहिम रईसी ने ईरान की सत्ता 2021 में उस समय संभाली थी, जब उनके सामने घरेलू स्तर पर तमाम चुनौतियां थीं। इब्राहिम रईसी को ईरान के सर्वाच्च धार्मिक नेता अयातोल्लाह खामनेई का काफी नजदीकी माना जाता था और कहा ये भी जाता है कि रईसी को खामनेई के उत्तराधिकारी के तौर पर देखा जा रहा था।
भारतीयों के लिए वीजा फ्री एंट्री
विदेशी और पश्चिमी एशिया मामलों के जानकार और ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन में रिसर्च फैलो कबीर तनेजा कहते हैं कि इब्राहिम रईसी भारत के साथ संबंध मजबूत करने की कोशिशों में जुटे हुए थे। वह अपने कार्यकाल में भारत-ईरान संबंधों को नई ऊंचाइयों तक ले जाना चाहते थे। वह बताते हैं कि इसी वजह से ईरान ने भारतीयों के लिए इस साल फरवरी में वीजा फ्री एंट्री की सुविधा शुरू की थी। वह चाहते थे कि ईरान की तरफ ज्यादा से ज्यादा पर्यटकों आकर्षित हों, ताकि पश्चिमी चैनलों पर ईरान के खिलाफ दिखाई देने वाले 'ईरानोफोबिया' से मजबूती से लड़ाई लड़ी जा सके। इस नीति के तहत भारतीयों को सिर्फ हवाई मार्ग से प्रवेश करने और ज्यादा से ज्यादा 15 दिनों तक रहने की अनुमति होगी। वहीं सड़क मार्ग से आने वाले भारतीयों को वीजा के लिए अप्लाई करना होगा।