पायलट समर्थक उम्रदराज मंत्री ने विधायकों का चुनाव लड़ने से किया इनकार....
राजस्थान के बीकानेर पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक और गहलोत सरकार में शिक्षा मंत्री डॉ बीडी कल्ला ने गुरुवार को प्रदेश कांग्रेस वार रूम कार्यालय में कांग्रेस प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर रंधावा से मुलाकात की। उम्रदराज नेताओं के चुनाव नहीं लड़ने की अपील पर मंत्री बीडी कल्ला मीडिया से बोले- मैं तो बीकानेर पश्चिम से चुनाव लड़ूंगा। क्योंकि वहां मैं ही जिताऊ उम्मीदवार हूँ। कोई दूसरा जिताऊ कैंडिडेट ही तैयार नहीं हुआ है। कल्ला ने कहा बीजेपी के पास मेरे सामने कोई उम्मीदवार ही नहीं है। फिलहाल बीकानेर कांग्रेस के पास भी मेरे अलावा कोई उम्मीदवार नहीं है। भविष्य कोई नौजवान उम्मीदवार तैयार होगा, तो हम मैदान छोड़ देंगे।मेरे सामने मैदान बिल्कुल साफ है। इसलिए इस बार भी मैं ही बीकानेर से चुनाव लड़ूंगा।
पायलट समर्थक हेमाराम चौधरी और पूर्व विधानसभाध्यक्ष दीपेंद्र सिंह ने की चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा
दूसरी ओर सचिन पायलट के समर्थक और उनके खेमे के माने जाने वाले उम्रदराज मंत्री और कुछ विधायक चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा कर चुके हैं। इनमें मंत्री हेमाराम चौधरी, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और मौजूदा विधायक दीपेंद्र सिंह शेखवात जैसे नेता शामिल हैं। वन मंत्री हेमाराम चौधरी कई बार घोषणा कर चुके हैं कि वह चुनाव नहीं लड़ेंगे। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष दीपेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि मैं सब 3-4 महीने के लिए ही विधायक हूं। फिर आचार संहिता लग जाएगी। अपने स्वास्थ्य को देखते हुए मैंने यह निर्णय लिया है कि मैं अगला विधानसभा चुनाव नहीं लडूंगा। मेरे समर्थक मुझे दोबारा चुनाव जिताने के लिए प्रचार कर रहे थे, लेकिन मैं जब चुनाव लड़ूंगा ही नहीं, तो कैसे जीता देंगे ? दीपेंद्र सिंह शेखावत ने पिछले दिनों एक सार्वजनिक कार्यक्रम में भी चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा की थी।
भरत सिंह कुंदनपुर और अमीन खान भी कर चुके चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा
इनके अलावा सांगोद से कांग्रेस विधायक भरत सिंह कुंदनपुर और बाड़मेर के शिव विधायक अमीन खान भी घोषणा कर चुके हैं कि वह अगला विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। अपनी अधिक उम्र और युवाओं को मौका देने के लिए स्वेच्छा से इन्होंने यह फैसला लिया है।
कुछ विधायक बेटे-बेटियों को बढ़ाना चाहते हैं राजनीति में आगे
दरअसल मंत्री हेमाराम चौधरी की बेटी टिकट की प्रबल दावेदार है। इसी तरह दीपेंद्र सिंह शेखावत के बेटे बालेंद्र सिंह शेखावत भी टिकट मांगते हैं। शेखावत भी चाहते हैं कि श्रीमाधोपुर से बेटे को टिकट मिल जाए। इसलिए वो चुनाव नहीं लड़ने की बात कह रहे हैं। श्रीगंगानगर के करणपुर से कांग्रेस विधायक और पूर्व मंत्री गुरमीत सिंह कुनर ने भी कहा कि जो मंत्री बने हैं, उन्हें मैं रोज़ रोते हुए देखता हूँ, अच्छा हुआ मैं मंत्री नहीं बना। हम केवल एमएलए हैं, तो सुखी हैं। मैं भी कहकर आया हूँ कि मेरे बेटे को टिकट दे दो तो मेरी जान छूटे। वह काम करने लायक है और मैं मेरे मन से चुनाव लड़ना नहीं चाहता हूँ। क्षेत्र में चुनाव लड़ने वाले पहले बहुत थे, लेकिन 25 साल में वो घिस गए। हमारे पास ही कांग्रेस का सिस्टम है, वहां दूसरा कोई और नहीं बचा है, जो चुनाव लड़कर जीत सके।
क्यों उठा यह मामला ?
कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने पार्टी हाईकमान के निर्देश के बाद राजस्थान में उम्रदराज नेताओं को खुद ही टिकट की दौड़ से बाहर होने का आग्रह किया है। प्रभारी रंधावा मौजूदा मंत्री-विधायकों में से उम्र दराज नेताओं की नब्ज़ भी टटोल रहे हैं। जिन का चुनाव सर्वे में नेगेटिव फीडबैक आया है। जो आगामी विधानसभा चुनाव में जिताऊ कैंडिडेट नजर नहीं आ रहे हैं। रंधावा की अपील का कुछ असर भी हो रहा है। लेकिन खुद के चुनाव नहीं लड़ने के बदले ज्यादातर विधायक चाहते हैं कि उनके बेटे या बेटी को टिकट दे दिया जाए। कुल मिलाकर ये नेता अपने परिवार से बाहर टिकट नहीं जाने देना चाहते हैं।