यूपी के बदले परसेप्शन से जीबीसी में हुआ रिकॉर्ड़ इन्वेस्टमेंट
लखनऊ । यूपी में 10 लाख करोड़ से अधिक का निवेश, सभी 75 जनपदों में उद्यमों की स्थापना, 34 लाख रोजगार, ये आज उत्तर प्रदेश की हकीकत है। उत्तर प्रदेश इतनी बड़ी धनराशि का एक साथ निवेश कराने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। 19 फरवरी को पीएम मोदी के हाथों 14 हजार से ज्यादा परियोजनाओं का शुभारंभ होने के साथ ही यूपी ने इतिहास रच दिया है। यह तब संभव हुआ है, जब यूपी का परसेप्शन बदला गया है। सीएम योगी ने पूर्व की सरकारों के समय से व्याप्त भ्रष्टाचार पर नकेल कसी, गुंडाराज का खात्मा किया और प्रदेश में लॉ एंड ऑर्डर की व्यवस्था बनाने के साथ-साथ प्रदेश की कनेक्टिविटी और इंफ्रास्ट्रक्चर को प्राथमिकता के आधार पर सुदृढ़ किया। योगी सरकार के इस मॉडल की प्रदेश और देश में ही नहीं विदेशों तक चर्चा हुई तो निवेशकों ने भी यूपी में रुचि दिखाना शुरू कर दिया। यही वजह है कि उत्तर प्रदेश में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के माध्यम से सिर्फ देश के अंदर ही नहीं, बल्कि विदेशों से भी भारी निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए और अब इन्हीं निवेश प्रस्तावों को जीबीसी के माध्यम से धरातल पर उतारने की पहल शुरू हो चुकी है।
हाल ही में सीएम योगी ने बजट सत्र के दौरान सदन में कहा था कि उत्तर प्रदेश अब बिजनेस हब और निवेश का ड्रीम डेस्टिनेशन बन चुका है। कानून व्यवस्था अच्छी और सरकार की नीयत साफ हो तो देश और दुनिया के निवेशक निवेश के लिए आना चाहते हैं। यह सब इसलिए संभव हुआ है क्योंकि यूपी में सुदृढ़ कानून-व्यवस्था, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस, निवेश अनुकूल नीतियां, सिंगल विंडो सिस्टम तथा जवाबदेह और पारदर्शी नीतियां हैं। यह सीएम योगी के ही प्रयास रहे कि प्रदेश में थल, जल और नभ में इंफ्रास्ट्रक्चर में वृद्धि हुई है। बहुत जल्द यूपी 21 एयरपोर्ट वाला देश का पहला राज्य बनने जा रहा है। पूर्वांचल एक्सप्रेसवे और बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के बाद गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस की शुरुआत होने जा रही है। बलिया लिंक एक्सप्रेसवे भी बन रहा है। चित्रकूट लिंक एक्सप्रेसवे बनने जा रहा है। प्रयागराज महाकुंभ से पहले सरकार का प्रयास है कि गंगा एक्सप्रेस को शुरू कर दिया जाएगा। प्रदेश के विभिन्न जनपदों में फोर लेन की 1235 प्रोजेक्ट को पिछले सात साल में आगे बढ़ाया गया है। यह सब निवेशकों को अपनी ओर लुभा रहा है।
यही नहीं, सीएम योगी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश बीमारू राज्य की श्रेणी से बाहर आकर देश की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। देश की अर्थव्यवस्था में उत्तर प्रदेश 9.2 प्रतिशत का योगदान दे रहा है। उत्तर प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय दोगुनी हुई है तो रेवेन्यू सरप्लस स्टेट के रूप में राष्ट्रीय फलक पर यूपी को नई पहचान मिली। यूपी वन ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी बनने की ओर अग्रसर है। यह एक सामूहिक प्रयास से संभव हो रहा है। 2017 में प्रदेश में दो एयरपोर्ट वाराणसी और लखनऊ ही क्रियाशील थे। 7 वर्षों में 10 एयरपोर्ट क्रियाशील हो चुके हैं, जिससे निवेशकों को कनेक्टिविटी की समस्या समाप्त हो गई है। इनके माध्यम से 150 फ्लाइट 75 से अधिक डेस्टिनेशन तक हवाई सेवा उपलब्ध कराई जा रही है। 2016-17 से 2023 तक हवाई यात्रियों की संख्या में 100 गुना की बढ़ोतरी हुई है। नदियों में कनेक्टिविटी के लिए इनलैंड वॉटर वेज अथॉरिटी बनाई गई है। इसके तहत जनपद वाराणसी में मल्टी मोडल टर्मिनल का निर्माण कार्य पूर्ण किया जा चुका है। आज रेल का सबसे बड़ा नेटवर्क यूपी के पास है।
सीएम योगी कई मंचों से अपना संकल्प जगजाहिर कर चुके हैं कि उत्तर प्रदेश को देश की ग्रोथ का इंजन बनाना है। जीबीसी इसी कदम में उठाया गया सकारात्मक और महत्वपूर्ण कदम है। 10 लाख करोड़ की निवेश परियोजनाओं की शुरुआत से न सिर्फ प्रदेश के इंफ्रास्ट्रक्चर और अर्थव्यवस्था में सुधार होगा, बल्कि प्रदेश के युवाओं को रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में भी नहीं भटकना पड़ेगा। सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि जीबीसी के माध्यम से जिन परियोजनाओं की शुरुआत हुई है, उसमें प्रदेश का कोई ऐसा जिला नहीं है जो अछूता हो। यानी हर क्षेत्र, हर जनपद को निवेश से जोड़ने की सीएम योगी की मुहिम सफल रही है। जीबीसी 4.0 में जिन 14 हजार परियोजनाओं का शुभारंभ किया है इनमें सबसे अधिक 52 प्रतिशत परियोजनाएं पश्चिमांचल, 29 प्रतिशत पूर्वांचल, 14 प्रतिशत मध्यांचल और 5 प्रतिशत बुंदेलखंड में धरातल पर उतर रही हैं। जो निवेश हो रहा है उसमें 10 हजार करोड़ से अधिक की 23 प्रतिशत परियोजनाएं हैं। वहीं 5 हजार से 10 हजार करोड़ की 12 प्रतिशत, एक हजार करोड़ से 5 हजार करोड़ की 20 प्रतिशत, 500 करोड़ से एक हजार करोड़ की 10 प्रतिशत, 100 करोड़ से 500 करोड़ की 20 प्रतिशत, 20 करोड़ से 100 करोड़ की 10 प्रतिशत और 20 करोड़ से कम की 5 प्रतिशत परियोजनाएं शामिल हैं।
सीएम योगी से पहले की सरकारों में भी इन्वेस्टर्स समिट कराए गए। 2012 से 2017 के बीच दिल्ली, मुंबई से लेकर दुबई तक में अयोजन के जरिए हजारों करोड़ के निवेश जुटाने का दावा भी किया गया, लेकिन धरातल पर कुछ भी नजर नहीं आया। एक अनुमान के अनुसार 2007 से 2012 के बीच 5 वर्ष में मात्र 60 हजार करोड़ और 2012 से 2017 के बीच के शासन काल में मात्र 50 हजार करोड़ का निवेश ही उत्तर प्रदेश में हो सका। हालांकि जो दावा किया गया था, न उसके अनुसार निवेश ही आया और न ही रोजगार सृजित हुए, बल्कि स्थिति ये हो गई कि प्रदेश में गुंडागर्दी, हिंसा और दंगों के कारण लोग निवेश से घबराने लगे। जो जमे जमाए निवेशक थे, वो भी प्रदेश छोड़कर जाने के बारे में सोचने लगे। यूपी की छवि पिछड़े और बीमारू राज्य के तौर पर होने लगी और प्रदेश के बाहर यूपी के लोगों के सामने पहचान का संकट खड़ा हो गया। हालांकि, सीएम योगी ने सत्ता संभालने के बाद इन सभी खामियों को प्राथमिकता के आधार पर दूर किया और निवेश के अनुकूल माहौल बनाया, जिसका नतीजा आज सबके सामने हैं।