अशोक गहलोत को मानहानि केस में राहत
नई दिल्ली । केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की मानहानि मामले में दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट से राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को फिलहाल राहत मिल गई है। कोर्ट ने फिलहाल उन्हें समन तो जारी नहीं किया है लेकिन दिल्ली पुलिस को मामले की जांच के निर्देश दिए हैं। वहीं जांच की निगरानी दिल्ली पुलिस के ज्वाइंट कमिश्नर को सौंपी है। इसमें कोर्ट ने कहा कि दिल्ली पुलिस यह रिपोर्ट दे कि अशोक गहलोत ने गजेंद्र सिंह शेखावत को संजीवनी घोटाले में आरोपी कहकर संबोधित किया कि नहीं। मामले की अगली सुनवाई अब 25 अप्रैल को होगी। बता दें कि राजस्थान के संजीवनी घोटाले को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तमाम बड़े आरोप लगाए थे। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखवत का आरोप है कि मुख्यमंत्री गहलोत ने इस घोटाले में ना केवल उनका नाम जोड़ने का प्रयास किया बल्कि सीधे तौर पर उन्हें इस मामले में आरोपी कहकर संबोधित किया था। इस मामले में केंद्रीय मंत्री ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ राउज एवेन्यू कोर्ट की स्पेशल एमपी/एमएलए कोर्ट में आपराधिक मानहानि का मामला दर्ज कराया था। मामले की सुनवाई के दौरान उम्मीद की जा रही थी कि कोर्ट समन जारी गहलोत को तलब कर सकती है लेकिन अदालत ने कोई समन जारी नहीं किया है। राउज एवेन्यू कोर्ट ने सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस को मामले की जांच के आदेश देते हुए अगली सुनवाई के लिए 25 अप्रैल की डेट दी है। कहा कि दिल्ली पुलिस यह जांच कर बताए कि अशोक गहलोत के खिलाफ लगाए गए आरोपों में कितनी सच्चाई है? इस जांच को निष्पक्ष बनाए रखने के लिए कोर्ट ने दिल्ली पुलिस के ज्वाइंट कमीश्नर को इस जांच की निगरानी के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने जांच की दिशा तय करते हुए कुछ बिंदु निर्धारित किए हैं। इसमें पूछा गया है कि क्या अशोक गहलोत ने मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को संजीवनी घोटाले में आरोपी के रूप में संबोधित किया? क्या अशोक गहलोत ने कहा कि गजेंद्र सिंह शेखावत पर संजीवनी घोटाले में आरोप साबित होते हैं? इसके अलावा कोर्ट ने पूछा कि क्या गजेन्द्र सिंह शेखावत या उनके परिवार के सदस्यों को संजीवनी घोटाले की जांच में दोषी ठहराया गया है? दिल्ली पुलिस इन सभी बिंदुओं पर जांच कर अपनी रिपोर्ट 25 अप्रैल से पहले कोर्ट में पेश करेगी। इसके बाद दिल्ली की अदालत यदि जरूरी हुआ तो अशोक गहलोत को समन कर अदालत में तलब करेगी या फिर उन्हें लगाए गए आरोपों पर जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया जाएगा। जानकारी के मुताबिक राजस्थान में सोसायटी एक्ट के तहत एक फर्म संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी का रजिस्ट्रेशन साल 2008 में कराया गया था। इसके बाद फर्म को 2010 में मल्टी स्टेट को-ऑपरेटिव सोसायटी में बदल दिया गया। वहीं लोगों को अच्छे रिटर्न का लालच देकर 900 करोड़ से अधिक का निवेश कराया गया और फिर यह फर्म निवेश की पूरी रकम डकार गई थी। इस मामले में निवेशकों की शिकायत पर राजस्थान पुलिस ने केस दर्ज किया था और विक्रम सिंह जो इस सोसायटी के पहले एमडी और मास्टरमाइंड थे उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।