सडक़ें खराब, आम जनता को करना पड़ रहा परेशानियों का सामना
भोपाल । मानसून की बारिश ने राजधानी भोपाल की सडक़ों को गड्ढ़ों में तब्दील कर दिया है। लगातार हो रही बारिश ने शहर की सडक़ों की पोल खोल दी है। सडक़ों की गुणवत्ता की हालत यह है कि प्रमुख सडक़ों में से 70 फीसदी गारंटी पीरियड में ही खराब हो गई है। भोपाल नगर निगम के पास कुल 4000 किलोमीटर लंबाई की सडक़ों का नेटवर्क है, जिनमें से अधिकांश सडक़ों में बारिश के कारण गड्ढे हो गए हैं। इससे आम जनता को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं भोपाल में पीडब्ल्यूडी की कुल 268 सडक़ें 573 किलोमीटर है। जिनमें से 400 किमी सडक़ें परफॉर्मेंस गारंटी में है। वहीं, 173 किमी सडक़ें साधारण मरम्मत के अंतर्गत आती हैं। बारिश में 14 मार्ग की 22 किमी की लंबाई में करीब 523 वर्गमीटर में गड्ढे पाए गए हैं।
भोपाल में जर्जर सडक़ों के मुद्दे पर पीडब्ल्यूडी का कहना है कि ज्यादातर डामर की सडक़ें हैं। बारिश में पानी की निकासी नहीं होने से ये सडक़ें क्षतिग्रस्त हो जाती है। बारिश में पूरी तरह से सडक़ ठीक नहीं की जा सकती। इसलिए गड्ढों को भरकर राहगीरों को राहत दे रहे हैं। नगर निगम की सडक़ों की तुलना में पीडब्ल्यूडी की सडक़ें काफी कम है। निगम की 4 हजार किलोमीटर से ज्यादा लंबाई की सडक़ें हैं। बारिश की वजह से निगम की सडक़ों की स्थिति ज्यादा जर्जर है। एमपी नगर समेत कई मार्ग निगम के ही है। इनमें गड्ढे हुए हैं। ये सडक़ें हमारी नहीं है। कुछ जगहों पर मरम्मत करने के बावजूद गड्ढे हो रहे थे। इसलिए वहां पेवर ब्लॉक लगाए गए हैं।
पीडब्ल्यूडी ने यह तकनीक भी अपनाई
मुख्य अभियंता आरके मेहरा ने बताया कि विभाग ने नवीन तकनीकों का उपयोग कर लगभग 600 किलोमीटर की सडक़ों का विस्तृत रखरखाव किया है। जिनमें जेट पेचर, वेलोसिटी पेचर और इन्फ्रारेड तकनीक शामिल हैं। भविष्य में शहरी मार्गों को बार-बार क्षतिग्रस्त होने से बचाने के लिए व्हाइट टॉपिंग तकनीक का उपयोग करने की योजना है।
भोपाल के वार्ड-68 में सडक़ देखने पहुंचीं पार्षद, जल्द बनेगी
भोपाल के वार्ड-68 के अयोध्या नगर में परशुराम चौराहे से इसरो गेट एन सेक्टर तक सडक़ निर्माण के लिए मंत्री कृष्णा गौर ने 74 लाख रुपए का बजट स्वीकृत कराया है। इसके चलते पार्षद उर्मिला मौर्य समेत पार्टी कार्यकर्ता और निगम अफसर रोड का निरीक्षण करने पहुंचे। इस सडक़ का कार्य पूर्व में अन्य बजट से किया जाना था। जिसमें टेंडर प्रक्रिया पूर्ण होने के पश्चात बजट न उपलब्ध होने के कारण काम आगे नहीं बढ़ा। लोगों की मांग पर मंत्री गौर ने बजट मंजूर कराया। इसके चलते अब जल्द ही टेंडर प्रक्रिया पूर्ण होगी।