जयपुर । राज्य सरकार ने निकायों को वर्तमान स्थिति में नियमों के अधीन काम करने में आ रही अड़चनो के कारण उन 50 साल पुराने नियमों को बदलने की केन्द्र से अनुमति उस अनुशंसा के तहत मांगी है जिसमें भारत सरकार ने राज्य सरकार से जानकारी चाही है कि सरकार ने बरसों पुराने अप्रासांगिक निरयमों को समाप्त करने की क्यो योजना बनाई है केन्द्र से मिले फरमान पर अब राजय सरकार सभी निकायों के प्रशासनिक अधिकारियों कसे उनकी राय मांगने की कवायद में जुटी है।
उल्लेखनीय है कि स्वायत्त शासन विभाग में कई नियम 50 साल से अधिक पुराने है जो समय समय पर संशोधन के कारण अपना प्रभाव खोते जा रहे है पुराने अफसरों ने सरकार का ध्यान आकृष्ट किया था तब सरकार ने सेवानिवृत अधिकारियों की एक समिति गठित करने का मन बनाया था लेकिन वह कवायद कागजों में मिसट कर रह गई है लेकिन अब विभाग ने नियमों में संशोधन करना ही बंद कर दिया है कि कोई बदलाव करना होता है तो कायदे कानून ताक पर रखकर सरकुलर यानि परिपत्र जारी कर देता है जबकि नियमों में संशोधन ने बैगर सरकुलर की कानूनी वैधता नहीं है उसके बावजूद यह ढर्रा चल रहा है विडम्बना यह है कि जो अधिकारी इस प्रवृति के खिलाफ आवाज उठाता है उसे सरकार विरोधी करार देकर प्रताडित और परेशान किया जाता है। सूत्रों के मुताबिक राजस्थान मयूनिसिपेलिटीज ट्रांसफर ऑ चार्ज रूलस 1963, राजस्थान मयूनिसिपेलिटजी (प्रस्काईविंग रेजिस्ट्रक्शन, ििलमिटेशन एण्ड कंडीनंस ऑन डेलिगेशंस आफ पॉवर्स ड्यूटी एण्ड एक्यजुटिव फंक्शंस) रूल्स 1968 राजस्थान नगर पालिका क्रय एवं संविदा नियम 1963 जैसे 15 से अधिक नियम पूरी तरह या आंशिक तौर पर अपनी उपयोगिता खो चुके है इसी तरह राजस्थान नगरपालिका  लेखा नियम 1966 राजस्थान नगर पालिका अधीनस्थ एवं मंत्रालयिक सेवा नियम 1963, स्टापिंग पैटर्न नियम, राजस्थान नगर पालिका, वाहनों का उपयोग नियम 1961 आदि कई नियम है जिनमें इतने अधिक संशोधन हो चुके है राज्य सरकार  स्वयं इन नियमों को अपेडट नहीं कर सकती है इसके अलावा राजस्थान नगरपालिका अधिनियम 1959 के तहत बने कई नियम अप्रचलित व अनुपयोगी हो चुके है।