सावन का आखिरी सोमवार आज, शिव मंदिरों में जोरदार तैयारियां
भोपाल । पवित्र सावन माह का चौथा और आखिरी सोमवार 8 अगस्त को है। अंतिम सोमवार को लेकर शहर के शिव मंदिरों में खासी तैयारियां की गई हैं। सुबह से देर रात तक भोले की भक्ति का उल्लास छाया रहेगा। मंदिरों में झांकियां सजाई जा रही हंै।
पिछली 14 जुलाई से शुरू हुआ सावन माह अब समाप्ति की ओर है। चातुर्मास का पहला महीना सावन 12 अगस्त को खत्म हो जाएगा। सावन के अंतिम सोमवार को श्रावण शुक्ल एकादशी तिथि रहेगी, जिसके चलते इस दिन पुत्रदा एकादशी का व्रत किया जाएगा। कुछ ग्रंथों में इसे पवित्र एकादशी भी कहा गया है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करना भी श्रेष्ठ रहेगा, साथ ही इस दिन रवि योग का संयोग भी बन रहा है। रवि योग पूजा, उपाय, खरीदी आदि कामों के लिए बहुत ही खास माना गया है। इस शुभ संयोग में सावन के अंतिम सोमवार को भगवान शिव और विष्णु की पूजा से हर मनोकामना पूरी हो सकती है, साथ ही इस दिन पद्म नाम का एक अन्य शुभ योग भी बन रहा है।
आज रवि योग व पुत्रदा एकादशी का बनेगा संयोग
इस दिन पुत्रदा एकादशी का संयोग बन रहा है। सावन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी व्रत रखा जाता है। ऐसे में एकादशी व सोमवार व्रत होने से इस दिन का महत्व और बढ़ रहा है। इसी दिन सावन के आखिरी सोमवार को रवि योग का शुभ सयोंग बन रहा है। ज्योतिष शास्त्र में रवि योग को शुभ व मांगलिक कार्यों के लिए अति उत्तम माना गया है। 08 अगस्तको सुबह 05 बजकर 46 मिनट से दोपहर 02 बजकर 37 मिनट तक रवि योग रहेगा। सावन मास की समाप्ति 12 अगस्त, को होगी। सावन के प्रत्येक सोमवार पर भगवान शिव की पूजा का खास महत्व है. सावन सोमवार का व्रत कई गुना अधिक पुण्यदायी मानी गया है। धार्मिक मान्यता है कि सावन के चौथे सोमवार का व्रत रखकर शिवलिंग का जलाभिषेक और रुद्राभिषेक करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
पुत्रदा एकादशी का महत्व
नि:संतान दम्पतियों की संतान की कामना पूर्ण होती है। पुत्रदा एकादशी का व्रत वर्ष मे दो बार रखा जाता है.प्रथम पुत्रदा एकादशी पौष माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी एवं द्वितीय श्रावण मास की शुक्ल एकादशी ।इस वर्ष श्रावण मास की पुत्रदा एकादशी सोमवार दिनांक 08अगस्त 2022 को मनाई जाऐगी।ऐसे दम्पत्ति जिन्हें कोई संतान नही है उन्हें यह व्रत अवश्य करना चाहिए मान्यता है कि इस व्रत को करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा एवं आशिर्वाद प्राप्त होता है एवं संतान की प्राप्ति होती है।वैसे तो सभी एकादशी का व्रत करने से भगवान विष्णु की विशेष क।पा प्राप्त होती है फिर भी पुत्रदा एकादशी का अपना महत्व है।