200 सीटें जीतने की रणनीति बताई जाएगी शाह को
- केंद्रीय गृह मंत्री के दौरे से पहले भाजपा में शुरू हुआ मंथन
- राजनीतिक नियुक्तियों से लेकर मंत्रिमंडल विस्तार पर होगी चर्चा
भोपाल । भाजपा के सबसे बड़े रणनीतिकार केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह 22 अगस्त को भोपाल आ रहे हैं। वैसे तो उनका यह दौरा सरकारी है, लेकिन वे पार्टी की परंपरानुसार प्रदेश भाजपा मुख्यालय भी जाएगा। इसको लेकर सत्ता और संगठन सतर्क हो गया है। प्रदेश भाजपा के रणनीतिकार मंथन में जुट गए हैं। पार्टी के पदाधिकारी शाह के दौरे के दौरान उन्हें आगामी विधानसभा चुनाव में 200 विधानसभा सीटें जीतने का फार्मूला बताएंगे। साथ ही राजनीतिक नियुक्तियों और मंत्रिमंडल विस्तार पर भी चर्चा हो सकती है। गौरतलब है कि गृहमंत्री अमित शाह 22 अगस्त को भोपाल के दौरे पर रहने वाले हैं। मध्य प्रदेश के भोपाल में मध्य क्षेत्रीय परिषद की बैठक होगी। बैठक में नक्सलवाद के साथ आतंरिक सुरक्षा के मुद्दे सहित आतंकी गतिविधियों को लेकर चर्चा की जाएगी। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की भाजपा दफ्तर में संभावित बैठक ने प्रदेश संगठन को चौकन्ना कर दिया है। पूरा संगठन इस तैयारी में लगा है कि शाह के सामने ये बताया जा सके कि अगले विधानसभा चुनाव में 200 सीटें जीतने के लिए पार्टी को वोट शेयर 51 फीसदी कैसे किया जाएगा। इसके लिए नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव के परिणामों के आधार पर विश्लेषण किया जा रहा है। जानकारों की मानें तो भाजपा के कद्दावर नेता निकाय और पंचायत चुनावों में बेहतर प्रदर्शन के लिए पार्टी की पीठ थपथपा सकते है।
शाह के सामने पेश होगा फार्मूला
केंद्रीय गृह मंत्री के दौरे को देखते हुए भाजपा दफ्तर में तैयारी भी शुरू हो गई है। प्रदेश भाजपा संगठन अमित शाह के सामने अपनी उस रणनीति का खुलासा करेंगे, जिसके आधार पर भाजपा अगले विधानसभा चुनाव में मप्र में पार्टी की वोट शेयरिगा 51 प्रतिशत तक ले जाएंगे। प्रदेश संगठन ने अपने सभी पंचायत और निकाय चुनाव के प्रभारियों से चुनावी परिणाम का विश्लेषण कर वहां का वोट ऑफ परसेंटेज निकालने को कहा है। दरअसल दोनों चुनावों में जिस तरह से भाजपा को जीत हासिल हुई है उससे ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर नगरों और शहरों में पार्टी का वोट प्रतिशत काफी बढ़ा है। प्रदेश संगठन इस वोट प्रतिशत को कैसे बरकरार रख पाएगा इसी का फार्मूला अमित शाह के सामने रखा जाएगा। मप्र भाजपा के सह मीडिया प्रभारी नरेन्द्र शिवाजी पटेल का कहना है कि केन्द्रीय गृहमंत्री का सरकारी दौरा है। ये भाजपा में होता है कि कोई किसी भी बड़े पद हो, लेकिन वह पहले संगठन का कार्यकर्ता होता है। ऐसे में वे कार्यकर्ता के नाते पार्टी कार्यालय भी आएंगे। ये हम सबके लिए सौभाग्य की बात है कि उनका मार्गदर्शन कार्यकर्ताओं को मिलेगा। हालांकि अभी ऐसी कोई सूचना नहीं है।
राजनीतिक नियुक्ति और मंत्रिमंडल विस्तार पर चर्चा
बताया जाता है कि इस दौरे के दौरान शाह राजनीतिक नियुक्तियों और मंत्रिमंडल विस्तार पर भी चर्चा कर सकते हैं। सूत्रों को कहना है कि भाजपा की रणनीति है कि विधानसभा चुनाव में उतरने से पहले राजनीतिक नियुक्तियां कर दी जाए। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि शाह के दौरे के बाद प्रदेश में राजनीतिक नियुक्तियों का दौर भी शुरू होगा। विधानसभा चुनावों में अब महज सवा साल शेष हैं। ऐसे में समीक्षा अब मिशन 2023 को ध्यान में रखकर की जा रही है। वहीं आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा अब क्षेत्रीय और जातीय समीकरण साधने की कवायद भी पूरी करेगी। प्रदेश में सत्ता-संगठन के नेताओं ने मिशन 2023 को लेकर जमीनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। पिछले विधानसभा चुनाव 2018 के दौरान संगठन की जो कमियां रह गई थीं उन पर अभी से फोकस किया गया है। खासतौर पर आदिवासी बहुल सीटों के लिए भाजपा हर कदम फूंक-फूंक कर रख रही है। ऐसे माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल विस्तार में सुलोचना के अलावा अन्य क्षेत्रीय और जातीय समीकरण साधने के प्रयास किए जाएंगे। शिवराज मंत्रिमंडल में अभी 4 पद खाली हैं। माना जा रहा है कि जल्द ही शिवराज कैबिनेट में दो से तीन मंत्रियों को और बढ़ाया जाएगा। वहीं चुनाव को ध्यान में रखते हुए किसी मंत्री को बाहर करने की संभावना फिलहाल नहीं है। इन सभी विषयों पर शाह से चर्चा हो सकती है। पार्टी से जुड़े सूत्रों की मानें तो पिछले दिनों त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में पार्टी समर्थित उम्मीदवारों से जीत दर्ज कर जिस तरह से ग्राम पंचायतों से लेकर जनपद और जिला पंचायत के अध्यक्ष उपाध्यक्ष जैसे पद हासिल किए है, उसे राजनीति के जानकार भाजपा के बढ़े धार से जोड़ रहे है। इसी तरह निकाय चुनावों में भी भाजपा ने बेहतर प्रदर्शन किया है। विशेषकर ऐसे नगर निगमों में जहां भाजपा को मेयर पद पर हार का सामना करना पड़ा लेकिन उन निवामों में परिषदों में भाजपा का कब्जा रहा है। इसी तरह नगर पालिकाओं और नगर परिषदों में भी भाजपा से ज्यादा कांग्रेस के पार्षद जीतने के बाद भी भाजपा ने अध्यक्ष पद को जीता है। बताया गया है कि पार्टी की रणनीति को दल के केन्द्रीय नेतृत्व ने भी सराहा है। जानकारों की मानें तो अमित शाह अपने प्रवास के दौरान इसके लिए प्रदेश संगठन की पीठ भी थपथपा सकते है, साथ ही जो नगर निगम में मेयर पद हाथ से निकल गए है, वहां भाजपा को कैसी रणनीति बनानी है, इसके लिए भी शाह मार्गदर्शन दे सकते हैं।