सिंधी समाज श्री गुरु सनातन आदि ग्रन्थ स्थापित करेगा: साईं हंसराम
भोपाल । सिंधी समाज अब दरबारों में श्री गुरु सनातन आदि ग्रंथ स्थापित करेगा इसमें संत महात्माओं की वाणी शामिल होगी। महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम जी आज संत हिरदाराम नगर में पत्रकारों से चर्चा करते हुए यह जानकारी दी। सांई हंसराम जी के मुख्य अतिथय में 51 बच्चो के जनेउ संस्कार हुए। प्रमुख ज्योतिर्लिंग पंडित जय कुमार शर्मा ने जनेऊ संस्कार की रस्म अदा कराई। महामण्डलेश्वर सांई हंसराम उदासीन के आदेशानुसार सम्पूर्ण भारत वर्ष में सभी सिंधी गुरुद्वारों को गुरु ग्रंथ साहिब के स्वरूप वापिस लौटाने के आदेश दिए थे। भारत वर्ष के कई शहरों के सिंधी मंदिरों एवं टिकाणों ने श्री गुरुग्रन्थ साहिब पंजाबी गुरुद्वारो में ससम्मान सौंपे है एवं आगामी 10 अप्रैल तक अन्य शहरो से भी गुरु ग्रन्थ साहिब ससम्मान सौंप दिए जाएगे।
नए ग्रंथ का संकलन शुरू
स्वामी हंसराम ने बताया कि अखिल भारतीय सिंधु संत समाज ट्रस्ट द्वारा एक मत होकर ‘‘श्री गुरु सनातन आदि ग्रन्थ’’ नामक ग्रन्थ का संकलन करने का निर्णय लिया है। इस ग्रन्थ की मर्यादाएं सनातनी परम्परानुसार निर्धारित की जाएगी। और वो ग्रन्थ हमारे सिंधु मन्दिरों और अन्य सनातनी धर्म स्थानों में सनातनी स्वरूप के साथ विराजमान होगा।
सद्गुरु कबीर, सन्त रैदास, भक्तिमति मीराबाई, महापुरुष सूरदास, सन्त कंवरराम, सन्त पहलाज राम, सामी साहिब जैसे सदैव मानव उत्थान और परमार्थ चिंतन में रहने वाले सन्तो महापुरुषों और भक्तो की वाणी इस ग्रन्थ में संकलित होगी, अतः इस ग्रन्थ में किसी भी जाति, धर्म और सम्प्रदाय के भेदभाव के बिना सम्पूर्ण मानव जाति के लिए संदेश होगा। उन्होंने बताया कि हमारा समाज अनेक मजहबो, पन्थो मत-मतान्तरों में बंट जाने के कारण सामाजिक एकता कम हो रही है। ये सनातनी ग्रन्थ हमारी सामाजिक एकता को मजबूत करेगा। महामंडलेश्वर जी ने बताया कि संस्था के निर्णय अनुसार सभी प्रान्तों के अनेक सिंधी धर्म स्थानो से श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी के स्वरूप ससम्मान पंजाबी गुरुद्वारों में सौपे जा रहे है। सम्मेलन के दौरान लिये गये निर्णय साधु संतों के सानिध्य में सिंधी समुदाय के लिए सनातनी ग्रन्थ आदि का अतिशीघ्र सभी सिंधी गुरुद्वारो मेें रखने के लिए प्रदान किए जाएगे। पत्रकारों से चर्चा के दौरान स्वामी हंसराम ने कहा कि सरकार को सिंधी समाज को एक अलग प्रांत बनाने के लिए जमीन आवंटित करनी चाहिए ताकि 5 हज़ार साल से अधिक साल पुरानी सिंधु सभ्यता को बढ़ावा दिया जा सके।