जातिगत समीकरण के बीच बसपा में ऊहापोह की स्थिति
अलीगढ़ । लोकसभा चुनाव की रणभेरी बजने के साथ अब सबकी नजर भाजपा और बसपा के प्रत्याशी पर हैं। सपा अपना प्रत्याशी उतार चुकी है। इस बार भी तीन प्रमुख दलों के प्रत्याशियों में मुकाबला होने के आसार हैं। देखना यह है भाजपा के रण को चुनौती कौन पेश करता है?
2019 के लोग सभा चुनाव में कांग्रेस ने अकेले ही चुनाव लड़ा था। तब चौ. बिजेंद्र सिंह प्रत्याशी थे। इस बार सपा और कांग्रेस का गठबंधन है। कांग्रेस से सपा में शामिल हुए चौ. बिजेंद्र सिंह को सपा ने गठबंधन का प्रत्याशी बनाया है। पिछले चुनाव में सपा, बसपा और रालोद साथ-साथ थे। इस बार बसपा अकेले चुनाव लड़ रही है।
भाजपा ने अपने दम ही जीता था पिछला चुनाव
बसपा ने अभी प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है। बसपाई अभी इस इंतजार में हैं कि भाजपा किसे प्रत्याशी बनाती है। माना यही जा रहा है कि इसके बाद ही पार्टी अपने पत्ते खोलेगी। पिछला चुनाव भाजपा ने अपने दम ही जीता था। पार्टी प्रत्याशी सतीश गौतम ने बसपा के अजित बालियान को 2,29,261 मतों से पराजित किया था।
अलीगढ़ लोकसभा क्षेत्र से सांसद सतीश गौतम लगातार दो बार जीतकर संसद जा चुके हैं। इस चुनाव में भाजपा और रालोद का गठबंधन है। इससे भाजपा अपने और मजबूत मान रही है। भाजपा अब तक दो बार प्रत्याशियों की सूची जारी कर चुकी है। प्रत्याशी घोषित न होने से दावेदारों की भी धड़कन बढ़ी हुई है।
प्रत्याशी घोषित करने से पहले जातीय संतुलन भी देख रही है पार्टी
भाजपा शीर्ष नेतृत्व अलीगढ़ और हाथरस संसदीय क्षेत्र की सीटों को लेकर किसी भी प्रकार का जोखिम नहीं लेना चाहता। पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह व विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष रहे अशोक सिंघल की कर्म स्थली होने के चलते इन सीटों के परिणामों का असर भविष्य के अन्य चुनावों पर भी पड़ सकता है। सूत्रों का कहना है कि भाजपा के आंतरिक सर्वे की रिपोर्ट पर विचार के साथ प्रत्याशी घोषित करने से पहले पार्टी जातीय संतुलन भी देख रही है।
गठजोड़ के साथ पार्टी लोकसभा चुनाव को जीतेगी
बसपा में जातिगत समीकरण के बीच ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है। पार्टी के पदाधिकारियों ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि मुस्लिम, दलित व सामान्य तीनों वर्गों से एक-एक चेहरे को चिह्नित कर चुके हैं। पार्टी पदाधिकारियों का कहना है कि मुस्लिम-दलित गठजोड़ के साथ पार्टी लोकसभा चुनाव को जीतेगी
बसपा जिलाध्यक्ष मुकेश चंद्रा का कहना है कि जातिगत समीकरण को ध्यान में रखकर अभी नाम को उजागर नहीं किया जा रहा है। साथ ही पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती की ओर से भी आदेश मिलने का इंतजार किया जा रहा है।
अलीगढ़-कानपुर मंडल के प्रभारी सूरज सिंह को बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष ने वार्ता के लिए लखनऊ बुलाया है। लखनऊ में कुछ चेहरों के नाम व प्रोफाइल भेजी गई है। हो सकता है किसी नाम पर मुहर लगा भी दी जाए। पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं ने हर क्षेत्र में दलित-मुस्लिम गठजोड़ पर ही काम किया है। यही 2024 के चुनाव में जीत का मंत्र होगा।