मूंग के लिए राशन दुकानों के चक्कर लगा रहे छात्र
भोपाल । पोषण के नाम पर सरकारी स्कूलों में पहली से 5वीं तक के विद्यार्थियों को 10 और छठी से 8वीं तक के विद्यार्थियों को सालाना 15 किलो मूंग दिए जाना है। लॉकडाउन के दौरान मिड डे मिल बंद हुआ तो सरकार ने स्कूलों के माध्यम से बच्चों तक राशन पहुंचाया था, लेकिन इस बार मूूंग राशन दुकानों से ही दिया जा रहा है। प्रदेश के पहली से 5वीं के 39.79 लाख विद्यार्थियों को 10-10 व छठी से 8वीं तक के 24.55 लाख विद्यार्थियों को 15-15 किलो मूंग देंगे। कुल 64.34 लाख विद्यार्थियों मूंग बंटने हैं। 7.75 लाख क्विं. मूंग दिए जाएंगे।
इसमें भी समग्र आईडी, थंब इम्प्रेशन का मिलान, राशन कार्ड में नाम, एक ही परिवार में दो-तीन बच्चे होने के कारण बच्चों को स्कूल छोड़कर बार-बार राशन दुकानों के चक्कर लगाना पड़ रहे हैं। पांचवीं तक के बच्चों को पूरे साल के लिए 10 किलो मूंग दिए जा रहे हैं, यानी प्रतिदिन मात्र 27 ग्राम। इसमें कितना पोषण मिल पाएगा यह तो कहना मुश्किल है, लेकिन उसे लेने के लिए भी बच्चों को खासी मशक्कत करना पड़ रही है।
समग्र आईडी के मिलान में छूट रहा पसीना
नगर निगम ने दुकानवार हजारों बच्चों की जो लिस्ट जारी की है, उसमें समग्र आईडी के साथ नाम नहीं लिखे हैं। इस कारण शिक्षकों को अपने स्कूल के विद्यार्थियों वाली राशन दुकान पर हजारों समग्र आईडी में अपने बच्चों की आईडी मैच कर खोजना पड़ रही है। इसमें खासी मशक्कत करना पड़ रही है। दुकान कम और विद्यार्थी अधिक होने से खाद्य विभाग, नगर निगम या जिला पंचायत ने अधिकांश बच्चों के नाम दूरस्थ दुकानों को सौंप दिए। प्रदेश के बड़े शहरों में हर दुकान पर 200-300 से अधिक विद्यार्थियों का अतिरिक्त भार आ गया है। जिसे वे मैनेज ही नहीं कर पा रहे हैं। कई चक्कर काटने के बाद भी मूंग नहीं मिल पा रहे। समग्र आईडी में कई दिक्कत है। दुकानदार को जो समग्र आईडी सौंपी गई है, उनमें से वह सिर्फ उन बच्चों को मूंग देने को राजी है, जिनके घर दुकान वाले वार्ड में हैं। हजारों बच्चों की आईडी में पते अलग वार्ड या शहर के हैं, क्योंकि इनमें से ज्यादातर बच्चे पहले किसी अन्य वार्ड या शहर में रहते थे। तीन भाई-बहन एक ही स्कूल में हैं तो उनकी समग्र आईडी में समानता होने से एक ही बच्चे को मूंग मिल पा रहे हैं। राशन दुकान की पीयूएस मशीन परिवार की आईडी मैच कर अन्य बच्चे के थंब इंप्रेशन को रिजक्ट कर रही है। प्राथमिक कक्षाओं के कई बच्चों के थंब मशीन में मैच ही नहीं हो रहे।