आतंकी जमील ने 3 देशों में ISIS को पैसा भेजा...
राजस्थान में दोनों प्रमुख पार्टियों कांग्रेस और बीजेपी की सरकारें आतंकियों को जल्द सजा दिलाने के प्रति कितनी लापरवाही और और उदासीनता बरतती आई हैं, इसका ताजा उदाहरण सीकर के फतेहपुर के मूल निवासी जमील अहमद का मामला है। जिसने हवाला के जरिए आतंकी संगठन आईएस के लिए भारत, बांग्लादेश और यूएई से धन जुटाकर सीरिया, तुर्की और लेबनान में आतंकियों को फंडिंग की थी। नवंबर 2016 में जमील की गिरफ्तारी के बाद एसओजी ने प्रदेश के गृह विभाग को पत्र भेजा कि मामला NIA को जांच के लिए सौंपा जाए। लेकिन 2023 तक पहले बीजेपी और फिर कांग्रेस सरकार ने एसओजी के लेटर को नजरअंदाज किया।
नवंबर 2016 में जमील की गिरफ्तारी के बाद एसओजी ने प्रदेश के गृह विभाग को पत्र भेजा कि मामला एनआईए को सौंपा जाए। लेकिन करीब ढाई साल तत्कालीन बीजेपी की वसुंधरा राजे सरकार ने इसे नजरअंदाज किया और फिर अगले साढ़े 4 साल से मौजूदा सीएम अशोक गहलोत की कांग्रेस सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया।
अब उदयपुर आतंकी हमले को लेकर जब चुनाव से पहले सियासत गरमाई, तो एसओजी ने वापस सरकार को याद दिलाया और अब जाकर राजस्थान सरकार के गृह विभाग ने केंद्रीय गृह मंत्रालय और एनआईए को लेटर भेजा है। जिसमें NIA को जांच सौंपने की अर्जी है। जमील फिलहाल जयपुर सेंट्रल जेल में बंद है। एसओजी ने 2017 में इसके खिलाफ चालान पेश किया था। जयपुर की लोअर कोर्ट ने 11 सितंबर 2020 को जमील की जमानत अर्जी खारिज कर दी थी।
हाईकोर्ट में जमील की जमानत अर्जी पर सुनवाई आज
राजस्थान हाईकोर्ट में आज जमील की जमानत अर्जी पर सुनवाई होनी है। एटीएस और एसओजी के एडीजी ऑफिस से एसपी शांतनु कुमार सिंह ने राज्य के गृह विभाग को 29 मई 2023 को पत्र भेजा था। राजस्थान के गृह विभाग में ज्वाइंट सेक्रेटरी सीमा कुमार ने कहा- " एसओजी ने हमें जो जांच रिपोर्ट भेजी थी, वह हमने एनआईए को भेज दी है। वहां से फिलहाल जवाब नहीं आया है।" एएजी और मामले में पैरोकार एडवोकेट राजेश महर्षि ने कहा जमील ने जल्द ट्रायल नहीं होने का हवाला देते हुए हाईकोर्ट से जमानत मांगी है। मामले में 35 में से 33 गवाह हो गए हैं। 2 ही बाकी बचे हैं।"
आईएसआईएस से जुड़ा है जमील, परिवार को महाराष्ट्र के पालघर शिफ्ट किया
जमील अहमद सीकर के फतेहपुर के व्यापारी मोहल्ला का रहने वाला है। कंप्यूटर कोर्स और एमबीए करने के बाद वह दुबई चला गया था। उसका परिवार भी साल 2011 से 2014 तक उसके साथ दुबई में ही रहा। बाद में उसने अपने परिवार को महाराष्ट्र के पालघर के ढहानू में शिफ्ट कर दिया। उन्होंने 1 करोड रुपए के दो मकान खरीदे। साल 2014 से आतंकी संगठन आईएसआईएस को वह फॉलो करने लगा। वह आईएसआईएस के आतंकी अबू हुरैरा अलहिंदी, अबू अब्दुल्लाह, अल ब्रिटानी, अबू ओसामा, अल सोमाली सहित अन्य के संपर्क में था। उसने अबूसाद अल सूडानी और अबू ओसामा के साथ आपराधिक षडयंत्र रचकर आईएस के आतंकवाद को प्रोत्साहित किया और वेस्टर्न यूनियन के लेबनान, तुर्की, बोस्निया और सीरिया में आईएसआईएस आतंकियों को कई बार मनी ट्रांसफर करवाई।
जांच में यह भी हुआ खुलासा
सुरक्षा एजेंसियों को जांच में यह भी पता चला कि नवंबर 2015 में जमीन में 250 डॉलर और 149 डॉलर दुबई स्थित वेस्टर्न यूनियन के जरिए सीरिया निवासी आतंकवादी मोहम्मद अलहमदान उर्फ वलीद आयशा को उपलब्ध कराए। साल 2016 में जमील ने 1306.85 और 1614.99 डॉलर लेबनान निवासी अबूसाद सूड़ानी के साथ मोहम्मद अलशेखों को भेजे थे। 250 डॉलर अबूसाद सूडानी के साथी सीरिया निवासी वसम अल घन्नाम को भेजे थे। जांच में खुलासा हुआ कि जमील पिछले कई सालों से प्रतिबंधित आतंकी संगठन ISIS और ISIL के संपर्क में था।
700 से ज्यादा लोगों को आईएसआईएस के लिए काम करने के लिए तैयार किया
जमील अहमद ने 700 से ज्यादा लोगों को आईएसआईएस के लिए काम करने के लिए तैयार किया था। इनमें से 250 से ज्यादा युवक जमील को आतंकी संगठन को पहुंचाने के लिए हवाला के जरिए रकम भेजते थे। जमील अहमद जब दुबई से भारत आया, तो एटीएस ने जमील पर निगरानी रखनी शुरू कर दी थी। सीकर के फतेहपुर में एसपी विकास कुमार के नेतृत्व में एक टीम बनाकर भेजी गई। जांच पड़ताल के बाद जमील की भूमिका संदिग्ध आई तो एटीएस ने उसके घर दबिश देकर उसे पकड़ लिया था।
पीएम मोदी के लिए सोशल मीडिया पर भड़काऊ टिप्पणी पोस्ट करता था जमील
सूत्रों के मुताबिक जमील तब सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए भड़काऊ टिप्पणी लिखकर पोस्ट करता था। इस पर कमेंट्स करने वाले युवक-युवतियों से जमील टेलीग्राम पर बात भी करता था और इस्लाम को खतरा बताकर आईएस से जुड़ने के लिए उनका ब्रेन वॉश करता था। फेसबुक, टेलीग्राम, इंस्टाग्राम, ट्विटर के जरिए जमील से भारत, बांग्लादेश, सीरिया, लेबनान जैसे देशों के 700 से ज्यादा युवक-युवतियां आईएस के लिए काम करने के लिए जुड़ चुके थे। पीएम मोदी पर टिप्पणी के बाद वह तेजी से जांच एजेंसियों की नजरों में आ गया था।