किसानों का बीमा कराने का मामला हाईकोर्ट पहुंचा
भोपाल । बगैर निविदा निजी कंपनी से मप्र राज्य सहकारी बैंक द्वारा हजारों किसानों का जीवन बीमा करा दिया गया। इस मामले में करोडों का घोटाला होने का आरोप लगाया जा रहा है। यह मामला अब हाईकोर्ट पहुंच गया है। इसे लेकर मप्र हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ के समक्ष एक जनहित याचिका दायर हुई है। इसमें आरोप है कि जीवन बीमा के नाम पर करोड़ों का घोटाला हुआ है। प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना में सिर्फ 330 रुपये के प्रीमियम पर दो लाख रुपये का जीवन बीमा हो जाता है, लेकिन बैंक ने किसानों से एक लाख रुपये के बीमे के एवज में 437 रुपये प्रीमियम वसूला। जीवन बीमा पालिसी में शामिल करने से पहले किसानों से सहमति भी नहीं ली गई थी। कोर्ट ने पहली सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता से कहा कि वे अपनी बात के समर्थन में प्रभावितों के कथन शपथ पत्र के साथ प्रस्तुत करें। अब चार सप्ताह बाद सुनवाई होगी। हाईकोर्ट में यह जनहित याचिका जितेंद्र दलाल नामक व्यक्ति ने एडवोकेट पूर्वा जैन के माध्यम से दायर की है। इस याचिका में कहा है कि मप्र राज्य सहकारी बैंक मर्यादित ने हजारों किसानों को लघु अवधि कृषि ऋण वितरित किए थे। किसानों को इस ऋण राशि पर शासन की तरफ से सब्सिडी भी मिलना थी। बैंक ने ऋण लेने वाले किसानों की सहमति के बगैर ही उनका बीमा एक निजी कंपनी से करवा लिया। इसके बदले में किसानों के बैंक खाते से प्रीमियम की राशि भी काट ली गई। हजारों किसानों का जीवन बीमा करने के नाम पर करोड़ों रुपये की वसूली हुई। एडवोकेट जैन ने बताया कि प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना में दो लाख रुपये का जीवन बीमा सिर्फ 330 रुपये प्रीमियम पर हो जाता है, लेकिन बैंक ने इससे ज्यादा प्रीमियम काटा और बीमा राशि भी एक लाख रुपये रखी। बीमा कंपनी ने बैंक कर्मचारियों और अधिकारियों को एजेंट के रूप में कमीशन भी दिया था।