ये 7 जनजातियां है खत्म होने की कगार पर
लंदन । आज भी धरती पर कई ऐसी जनजातियां हैं जो खत्म होने वाली हैं। इनकी आबादी बेहद कम बची है। आज हम ऐसी ही 7 जनजातियों के बारे में बताने जा रहे हैं। ये रिपोर्ट वॉन्डरलस्ट वेबसाइट की साल 2016 की एक रिपोर्ट के आधार पर बनाई गई है।
इस लिस्ट में सबसे पहला नाम है आकुंत्सु का। वॉन्डरलस्ट के अनुसार उत्तर पश्चिमी ब्रांजील में रहने वाली इस जनजाति में सिर्फ 4 लोग बचे हैं वहीं सर्वाइवल इंटरनेशनल नाम की वेबसाइट की एक रिपोर्ट के मुताबिक अब इस जनजाति के सिर्फ 3 ही लोग बाकी हैं। 1980 तक इनकी संख्या काफी ज्यादा थी पर 1990 के दशक में जब लकड़ी के व्यापारी और पशुपालकों ने विकास के नाम पर जंगलों को काटना शुरू किया तो उन्होंने इस जनजाति के लोगों की हत्या भी शुरू कर दी। ये विलुप्त होने की कगार पर हैं।
भारत के अंडमान द्वीप पर रहने वाली जरावा जनजाति की भी संख्या कभी काफी ज्यादा हुआ करती थी पर अब इसमें सिर्फ 400 के करीब लोग रह गए हैं। 1998 तक ये आधुनिक समाज से बिल्कुल अलग रहा करते थे और शिकार, मछली पकड़कर अपना पेट पालते थे। पर्यटकों और शिकारियों की वजह से इन्हें काफी नुकसान पहुंचा है। लैटविया में रहने वाली लिवोनियन्स मछुआरों की जनजाति 4000 सालों से यहां बसी हुई है। इनके गांवों को तबाह किया गया और सालों तक इनके साथ युद्ध चले जिसकी वजह से इनकी जनसंख्या 200 तक पहुंच गई है। कोलंबिया की नुकाक जनजाति में करीब 400 लोग बचे हैं।
कोकोआ उगाने वाले, कोकेन बेचने वाले व्यपारियों की वजह से इनकी जनसंख्या और इनकी बस्तियों को तबाह कर दिया गया। 1988 में ये जनजाति पहली बार बाहरी दुनिया से संपर्क में आई थी और तब से अब तक 50 फीसदी लोगों की मौत हो चुकी है। केन्या की एल मोलो जनजाति भी विलुप्त होने की कगार पर है। रिपोर्ट के अनुसार इस जनजाति में 800 के करीब लोग रह गए हैं। कोई नहीं जानता कि ये कहां से आए थे पर ये केन्या में लेक टुर्काना के पास रहते हैं।साओच- कंबोडिया की साओच जनजाति की आबादी 110 रह गई है। इस जनजाति के लोगों को सिर्फ इसलिए मौत के घाट उतार दिया जाता था क्योंकि वो अपनी भाषा में बात करते थे।
फिलिपीन्स की बाटक जनजाति भी विलुप्त हो सकती है। इसमें सिर्फ 300 लोग बाकी रह गए हैं। ये किसानी और शिकार कर अपना पेट भरते थे पर इनके खिलाफ होने वाली हिंसा और खेती की शिफ्टिंग कल्टिवेशन टेक्निक की वजह से इन्हें कई जगहों पर बैन भी कर दिया गया है। बता दें कि जब से धरती पर इंसानों का कब्जा हुआ, तब से इंसानों ने कई ऐसे आविष्कार किए जिनसे उन्होंने अपनी जिंदगी आसान भी कर ली और खतरे में भी डाल ली। इंसानों ने प्रदूषण का स्तर बढ़ा दिया, जंगलों को काटने लगे और इस चक्कर में कई जानवर विलुप्त हो गए। पर विलुप्त होने की इस श्रेणी में सिर्फ जानवर ही नहीं, इंसान भी शामिल हैं।