गांवों में ठहरकर पर्यटक जानेंगे आदिवासी संस्कृति
भोपाल । पर्यटन के लिए मध्य प्रदेश लगातार नवाचार कर रहा है। शहरी क्षेत्र में होम स्टे की सुविधा शुरू करने के बाद अब पर्यटन विकास निगम आदिवासी जिले झाबुआ और आलीराजपुर के ऐसे क्षेत्रों में पर्यटकों के लिए होम स्टे की योजना बना रहा है जो सुदूर पहाड़ी और जंगल में हैं। यहां टोले-मजरों में निवास करने वाले आदिवासी परिवार पर्यटकों को अपने घरों में न सिर्फ ठहराएंगे, बल्कि उन्हें जंगल और पहाड़, नदियों की सैर भी करवाएंगे। इस दौरान पर्यटक परंपरागत आदिवासी भोजन का भी आनंद ले सकेंगे।
पर्यटन विभाग मालवा-निमाड़ की संस्कृति से भी परिचित होंगे। चोरल, पातालपानी, आलीराजपुर, झाबुआ, क_ीवाड़ा, मांडू, धार, मंडलेश्वर सहित महू के वनग्रामों में भी पर्यटकों को ठहरने की सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी। पर्यटन के लिहाज से यह क्षेत्र काफी समृद्ध है। उज्जैन और ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की वजह से यहां लाखों पर्यटक हर वर्ष पहुंचते हैं। सरकार होम स्टे शुरू करने वालों को दो-दो लाख रुपये की सहायता भी मुहैया करवा रही है। इस योजना का लाभ लेने के लिए राज्य पर्यटन विकास निगम यहां के लोगों को जागरूक भी कर रहा है। पर्यटन के नक्शे पर अब मालवा, निमाड़ और झाबुआ की संस्कृति, खानपान और वहां के नजारे भी शामिल हो सकेंगे। जिन गांवों के लोग अभी तक खेत खलिहान तक ही सीमित थे वहीं अब रोजगार के नए अवसर नजर आ रहे हैं और यह कार्य ग्रामीण होम स्टे योजना के तहत किया जा रहा है। इसके तहत न केवल नवीन होम स्टे की सुविधा देने वालों को दो-दो लाख रुपये की सब्सिडी दी जाएगी बल्कि उन्नायन के लिए एक लाख 20 हजार रुपये तक की राशि भी दी जाएगी।
ग्रामीण होम स्टे योजना के तहत प्रदेश के 100 गांवों को जोडऩे की योजना है। योजना के तहत एक हजार परिवारों को अपने घर में होम स्टे देने के लिए तैयार किया जाएगा। वर्तमान में करीब 20 गांवों को योजना से जोड़ा जा चुका है। वर्तमान में इसमें खजुराहो, ओरछा, मंडला व उसके आसपास के गांव जुड़े हैं। प्रथम चरण में इंदौर के आसपास धार, मांडू, मंडलेश्वर, चोरल, पातालपानी, आलीराजपुर, झाबुआ, क_ीवाड़ा को प्रमुखता से जोडऩे का प्रयास किया जाएगा। इन स्थानों पर होम स्टे की सुविधा जरूरी है, क्योंकि यहां पर्यटक ज्यादा आते हैं। इसके अलावा यह स्थान ऐसे हैं जिसके आसपास सैलानियों के लिए बहुत कुछ है पर और इनमें से अधिकांश स्थान अभी भी पर्यटन के नक्शे पर नहीं आ सके हैं। यहां होम स्टे शुरू होने पर न केवल ग्रामीणों को रोजगार मिलेगा बल्कि पर्यटक भी यहां की संस्कृति को जान सकेंगे और यहां की कला को भी बढ़ावा मिलेगा।