नगरीय निकाय 1122 करोड़ की राशि नहीं वसूल पाए
भोपाल। प्रदेश के नगरीय निकाय 1122 करोड़ रुपये से अधिक बकाया राशि नहीं वसूल पाए हैं। यह राशि संपत्ति-समेकित कर, नगरीय विकास-शिक्षा उपकर सहित अन्य करों के रुप में वसूल की जाना थी। इसका खुलासा संचालक स्थानीय निधि संपरीक्षा मध्य प्रदेश के वार्षिक संपरीक्षा प्रतिवेदन 2018-19 में हुआ है। सरकारी खजाने में यह राशि समय पर जमा नहीं होने से सरकार की हालत भी पतली हो गई है। मालूम हो कि प्रतिवेदन कल विधानसभा पटल पर रखा गया है। इसमें वर्ष 2010 से 2018 का आकलन किया गया है। प्रतिवेदन के अनुसार प्रदेश के निकायों में विभिन्न करों के 11 अरब, 22 करोड़, 21 लाख 81 हजार 784 रुपये की वसूली बाकी है। करों की वसूली के मामले में सागर नगर निगम की स्थिति सबसे खराब है।नगर निगम सागर, नगर पालिका परिषद बेगमगंज, भिंड, डबरा, मैहर, नगर परिषद बानमोर, सांवेर, झुंडपुरा, अकोड़ा, शहपुरा, सरवनिया महाराज, बड़ागांव 20 प्रतिशत से भी कम संपत्तिकर वसूल पाए हैं। नगर निगम सागर और मुरैना, नगर पालिका भिंड, बैरसिया, पिपरिया, मैहर, नगर परिषद आंतरी, बिलौआ, बानमोर, झुंडपुरा, अकोड़ा एवं नरवर 10 प्रतिशत से भी कम समेकित कर की वसूली कर पाए हैं। नगर परिषद बिलौआ, अकोड़ा और चाचौड़ा 10 प्रतिशत से भी कम नगरीय विकास उपकर वसूल पाए हैं। जल दर की वसूली में भी निकाय फिसड्डी साबित हुए हैं। ये 597 करोड़ 14 लाख 87 हजार 130 रुपये उपभोक्ताओं से वसूल नहीं कर पाए हैं। इनमें नगर निगम इंदौर, मुरैना, जबलपुर और उज्जैन सहित नौ नगर पालिका और नौ नगर परिषद शामिल हैं। जिनमें वसूली 20 प्रतिशत से भी कम हुई है। निकाय स्थावर संपत्ति (किराए पर दी गई संपत्ति) से 27 करोड़ 76 लाख 61 हजार 577 रुपये का किराया नहीं वसूल पाए हैं। इसमें 20 प्रतिशत से कम वसूली करने वाले निकायों में सागर नगर निगम भी शामिल है। दस्तावेजों के परीक्षण से यह भी पता चला कि छह नगर निगम, 25 नगर पालिका और 44 नगर परिषदों में 22 करोड़ 53 लाख 43 हजार 53 रुपये का गलत (अनियमित) भुगतान हुआ है। वहीं दो करोड़ 68 लाख नौ हजार 899 रुपये का अधिक और दो लाख 24 हजार 132 रुपये का दोहरा भुगतान कर दिया गया है। 60 लाख 11 हजार 523 रुपये का गबन भी हुआ है। इतना ही नहीं, स्वागत समारोह, मनोरंजन एवं प्रदर्शनियों पर तय सीमा से एक करोड़ दो लाख 73 हजार 614 रुपये अधिक खर्च कर दिए गए। सरकार को विभिन्न सुविधाओं के बदलने मिलने वाली राशि पर अधिभार या विलंब शुल्क नहीं वसूल पाने के कारण 65 करोड़ 96 लाख 37 हजार 263 रुपये का नुकसान हुआ है।