शाब्दिक गरिमा को बढ़ाने वाली भाषा है उर्दू- मंत्री ठाकुर
भोपाल : संस्कृति, पर्यटन और धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व मंत्री सुश्री उषा ठाकुर ने कहा कि उर्दू भाषा शाब्दिक गरिमा को बढ़ाने वाली भाषा है। यह बहुत ही तहजीब वाली भाषा है। मंत्री सुश्री ठाकुर राज्य संग्रहालय में संस्कृति विभाग की उर्दू अकादमी के उर्दू रचनाकारों के अलंकरण समारोह को संबोधित कर रही थी। सुश्री ठाकुर ने कहा कि साहित्य सृजन में जीवन भर का ज्ञान, अनुभव और अनुभूति होती है। यह पुरस्कार उर्दू साहित्य में अथक प्रयास और साधना के घोतक है। इस बार पुरस्कार प्राप्त करने वाले सभी रचनाकार मध्यप्रदेश के है।
"आजादी का अमृत महोत्सव" पर मंत्री सुश्री ठाकुर ने सभी से देश की सुख, शांति और समृद्धि को बढ़ाने में भूमिका निर्वहन करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि देश की स्वाधीनता की लड़ाई लड़ने का सुअवसर तो हमे नहीं मिला, लेकिन "आजादी का अमृत महोत्सव" मनाते हुए देश के वीर, क्रांतिकारियों और बलिदानों को याद करने का स्वर्णिम अवसर जरूर मिला है। मंत्री सुश्री ठाकुर ने सभी से अपने घर की बैठकों में देश के महापुरुष और देशभक्तों के चित्र लगाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा यह चित्र परिवार के सदस्यों में चित्त का निर्माण करेंगे। इस तरह हम हमारी भावी पीढ़ी को अपने स्वर्णिम इतिहास और संस्कृति से परिचय करा पाएंगे।
मंत्री सुश्री ठाकुर ने उर्दू साहित्य के छः रचनाकारों को अखिल भारतीय और 13 रचनाकारों को प्रादेशिक पुरस्कार से सम्मानित किया। उन्होंने शाल, स्मृति-चिन्ह और प्रमाण-पत्र प्रदान किए। पूर्व सांसद श्री आलोक संजर और संचालक श्री अदिति कुमार त्रिपाठी सहित उर्दू साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे।
अखिल भारतीय पुरस्कार प्राप्त करने वाले रचनाकारों में वफ़ा सिद्दीकी भोपाल, डॉ. सैफ़ी सिरोंजी सिरोंज, डॉ. ख़ालिद महमूद सिरोंज, डॉ. मो. नौमान ख़ान भोपाल, डॉ. मेहताब आलम भोपाल, डॉ. इशरत नाहीद उज्जैन शामिल हैं। प्रादेशिक पुरस्कार प्राप्त करने वाले रचनाकारों में डॉ. कौसर सिद्दीकी भोपाल, क़ासिम रसा ग्वालियर, डॉ. रज़िया हामिद भोपाल, ज़िया फ़ारूक़ी भोपाल, के.के. राजपूत देवास, इक़बाल मसूद भोपाल, डॉ. महमूद शेख़ जबलपुर, नफ़ीसा सुल्ताना भोपाल, जावेद यजदानी भोपाल, सबीहा सदफ़ भोपाल, डॉ. आरिफ़ अंसारी बुरहानपुर, कौसर फ़रज़ाना इंदौर शामिल है।
अकादमी की निदेशक डॉ. नुसरत मेहदी ने बताया कि अकादमी द्वारा अभी तक व्यक्ति विशेष को उसकी साहित्यिक सेवाओं के आधार पर पुरस्कार दिये जा रहे थे। वर्ष 2021-22 से संस्कृति विभाग की अन्य अकादमियों के समान मध्यप्रदेश उर्दू अकादमी द्वारा भी उर्दू भाषा एवं साहित्य से संबंधित विभिन्न विधाओं पर आधारित प्रकाशित पुस्तकों पर अखिल भारतीय एवं प्रादेशिक पुरस्कार दिये जाने का सिलसिला शुरू किया है। इसका उद्देश्य उर्दू साहित्य की लुप्त होती हुई अनेक विधाओं पर कार्य करने हेतु रचनाकारों का ध्यान आकर्षित करना एवं उन्हें प्रोत्साहित करना है।